आशुतोष रंजन
गढ़वा
जब मुझे नज़र आया तो गढ़वा से ताल्लुक रखने वाले आप सभी को भी सदृष्य दिख रहा होगा कि दानरो नदी में बड़े स्तर पर बांस बल्ली गाड़ा जा रहा है,सूत्रों की माने तो कोई बड़ा कार्यक्रम होना है,यहां दो सवाल का उठना लाज़िमी है,पहला यह कि नदी में सब्ज़ी बाज़ार लगा करता है,जहां ग़रीब कुछ सब्ज़ी की बिक्री कर अपने परिवार का लालन पालन किया करते हैं,अगर वहां कोई कार्यक्रम होता है तो सबसे पहले तो उन ग़रीबों को भारी परेशानी के साथ अनजाने ख़तरे की आशंका बनी रहेगी क्योंकि नदी में कार्यक्रम होने के बाद वो मुख्य सड़क के किनारे पर अपनी सब्ज़ी की टोकरी ले कर बैठेंगे,जिससे छोटी से ले कर बड़ी गाड़ियों की आवाजाही के क्रम में उसके जद्द में आने की आशंका बनी रहेगी,अब दूसरे सवाल की बात करें तो कोई भी बड़ा कार्यक्रम करने से पूर्व प्रशासनिक पदाधिकारी से आदेश लेना होता है,ऐसे में सवाल उठता है कि जिसके द्वारा नदी में बांस बल्ली गाड़ा जा रहा है क्या आयोजकों द्वारा अनुमति ली गई है,मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि जिन्हें आयोजन के निमित आदेश देना है उनके द्वारा किसी प्रकार की अनुमति नहीं दी गई है,अब अनुमति नहीं देने के बाद भी अगर आयोजक द्वारा ऐसा किया जा रहा है तो क्या इसे मनमानी नहीं समझा जाए..?