आइए सराहना करें सदर अस्पताल के डॉक्टरों के सेवा की

आइए सराहना करें सदर अस्पताल के डॉक्टरों के सेवा की

आख़िर कब सुध लेगी सरकार…?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

हमारा आपका जब भी तबियत नासाज़ होता है तो सबसे पहले अपने जिला मुख्यालय में अवस्थित सदर अस्पताल का याद आता है और सीधे वहीं पहुंचते हैं,कभी उपयुक्त इलाज़ मयस्सर हो जाता है तो कभी रेफर होना पड़ता है,लेकिन इस दरम्यान कई बार ऐसी स्थिति आन पड़ती है कि हम आप वहां कार्यरत डॉक्टरों के ऊपर नाराज़गी ज़ाहिर करने के साथ साथ कभी कभी उन्हें अपशब्द भी बोल दिया करते हैं,लेकिन उस नाराज़गी के बीच कभी यह सोचना उचित नहीं समझते कि आख़िर जिन डॉक्टरों द्वारा वहां मौजूद रह कर हमारा आपका इलाज़ किया जा रहा है वो किस विषम हालात में इलाजीय सुविधा मुहैया करा रहे हैं,तो आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए वाक़िफ करते हैं।

विषम हालात में भी सेवा भाव : – डॉक्टरों के ऊपर नाराज़गी ज़ाहिर करने के साथ साथ उनसे उलझ जाने से पहले सदर अस्पताल में कार्यरत रह कर जिले की लाखों आबादी को इलाजीय सुविधा प्रदान करने वाले डॉक्टरों के सामने कितनी परेशानी आती है जरा उसके बारे में जान लीजिए,आपको बताएं कि अस्पताल में कुल 32 स्वीकृत चिकित्सीय पद हैं,जिसमें 31 डॉक्टर और 1 उपाधीक्षक शामिल हैं। लेकिन वर्तमान में केवल 14 चिकित्सकों के भरोसे पूरा अस्पताल संचालित हो रहा है,जिनमें 10 विशेषज्ञ और 4 मेडिकल ऑफिसर शामिल हैं। वहीं, नर्सिंग स्टाफ जी एन एम के 24 स्वीकृत पदों में से एक भी रेग्यूलर प्रतिनियुक्ति नहीं हुई है। मौजूदा नर्सिंग स्टाफ या तो एनजीओ के माध्यम से या अनुबंध पर कार्यरत हैं,अब आप ज़रा दिली संजीदगी से सोचिए कि जहां 32 डॉक्टर होने चाहिए वहां मात्र 14 हैं ऐसे में वो किस विषम हालात में हम आप सबको इलाजिय सुविधा प्रदान कर रहे हैं,यहां यह भी कहना बेहद ज़रूरी है कि बार बार यह बात भी कही जाती है कि डॉक्टरों द्वारा अपने निजी क्लिनिक में मरीज़ देखा जाता है,लेकिन यहां आपको एक सच्चाई से अवगत करा दें कि जिन डॉक्टरों पर हम निजी क्लिनिक वाला इल्ज़ाम लगाते हैं वो तब वहां पहुंचते हैं जब अस्पताल में उनकी कार्य अवधि समाप्त हो जाती है,उसके बाद जब भी उनकी ज़रूरत महसूस होती है तो एक सूचना के बाद वो अस्पताल पहुंचते हैं और अपनी जिम्मेवारी का बख़ूबी निर्वहन करते हैं,ऐसे में हम आप डॉक्टरों की परेशानी को देखते हुए यह संकल्प लें कि अब कभी हम ना तो उनके प्रति नाराज़गी व्यक्त करेंगे और ना ही उनसे कभी उलझेंगे।

व्यवस्था के सृजन में जुटे हैं सिविल सर्जन : – पर्याप्त डॉक्टर नहीं रहने के विषम हालात में भी कभी आम और ख़ास के साथ साथ वरीय प्रशासनिक अधिकारी एवं राजनीति से जुड़े लोगों की कई तरह की बातें सुन कर भी लोगों को इलाजीय सुविधा प्रदान कराने के साथ साथ अस्पताल में व्यवस्था के सृजन में सिविल सर्जन अशोक कुमार दिली तन्मयता के साथ जुटे हुए हैं,उनके अनुसार गुज़रे समय को परे रखें तो वर्तमान गुजरते वक्त में काफ़ी हद तक व्यवस्थाएं सुधरी हैं,साथ ही कहा कि सृजित पद के अनुरूप जितने भी डॉक्टर हैं वो पूरे मनोभाव से अपनी जवाबदेही निभा रहे हैं,उनके द्वारा सभी से हर बार की तरह एक बार फ़िर से अपील की गई है कि प्रशासन के सहयोगी बन जिले को जिस तरह विकास के पथ पर अग्रसर करने में गढ़वा के लोग सहभागी बन रहे हैं ठीक उसी तरह सदर अस्पताल और यहां कार्यरत डॉक्टरों के प्रति भी दिली भाव रखें जिससे वो आपको सेवा प्रदान करते रहें।

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