बिग कैट एलायंस को अंतिम रूप देने की तैयारी, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय – बिग कैट एलायंस पलामू

बिग कैट एलायंस को अंतिम रूप देने की तैयारी, प्रधानमंत्री मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्णय – बिग कैट एलायंस पलामू

गुजरात में वाइल्ड लाइफ बोर्ड ऑफ इंडिया की बैठक में वन्य जीवों के संरक्षण के लिए चल रहे कार्यों की हुई समीक्षा



दिवंगत आशुतोष रंजन

आकाश लोहार
गढ़वा


पूरे विश्व में बिग कैट एलायंस बनाने की तैयारी चल रही है। बिग कैट एलायंस के लिए भारत सरकार कोशिश कर रही है। दरअसल गुजरात के गिर सेंचुरी में वाइल्ड लाइफ बोर्ड ऑफ इंडिया की बैठक संपन्न हुई। इस बैठक की अध्यक्षता प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। बैठक में भाग लेने के लिए वन्य जीवों के लिए संरक्षण के काम कर रहे प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव को भी आमंत्रित किया गया था। प्रोफेसर नेचर कंजर्वेशन सोसायटी नामक संस्था का संचालन करते हैं, जो वन्य प्राणियों के लिए काम करती है।

पीएम मोदी ने बिग कैट फैमिली के संरक्षण दिया जोर : प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव

प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि वाइल्ड लाइफ बोर्ड ऑफ इंडिया की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए है। इससे पहले दुनिया में बिग कैट एलायंस बनाने की बातचीत चल रही है। बिग कैट एलायंस में बाघ, तेंदुआ, शेर, चीता, स्नो लेपर्ड जैसे दुर्लभ वन्यजीव शामिल हैं। उन्होंने बताया कि बैठक 10 साल के बाद गुजरात में हुई है। जिसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए हैं। यह बैठक कई मायनों में काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इसकी अध्यक्षता प्रधानमंत्री खुद करते हैं। बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने बिग कैट फैमिली के संरक्षण के लिए पहल करने की बात कही है। इसके साथ ही अन्य देशों के साथ एलायंस बनाने की तैयारी चल रही है। वन्य जीवों के संरक्षण के लिए वनवासियों के साथ जंगल क्षेत्र के आसपास के स्थानीय लोगों की भी मदद ली जाएगी।

प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव ने कहा कि बोर्ड की बैठक में कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए।

वे बताते हैं कि वन्य जीवों के संरक्षण के लिए वनवासियों और स्थानीय लोगों की मदद लेने की तैयारी है। ईको टूरिज्म के माध्यम से स्थानीय लोगों को जोड़ा जाएगा और संरक्षण में मदद ली जाएगी। रिजर्व एरिया से बाहर रहने वाले वन्य जीवों के लिए भी सुरक्षा प्रदान करने का निर्णय हुआ है और रिजर्व एरिया के बाहर के वन्य जीवों को मॉनिटर करने पर सहमति बनी है। प्रोफेसर ने आगे बताया कि हाथी परियोजना और घड़ियाल परियोजना को लेकर भी बातचीत चल रही है।

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Ashutosh Ranjan

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