मत्स्य पालन से जुड़ने के बाद जीवन में आया परिवर्तन : लाभुक समिति
उपायुक्त ने किया अन्नराज जलाशय में केज कल्चर योजना का निरीक्षण
दिवंगत आशुतोष रंजन
वीडियो एडीटर आकाश लोहार
गढ़वा
नीली क्रांति में शामिल लोगों के जीवन में केज कल्चर से क्रांतिकारी बदलाव सुनिश्चित है। इस योजना को जिला के अन्नराज व चिरका डैम में शुरू किया जा चुका है। जबकि खजुरी डैम में भी जल्द शुरू होगी यह योजना। इसे निकट से देखने व परखने के लिए डीसी शेखर जमुआर ने स्वयं अन्नराज जाकर मौके का मुआयना किया। कब और कैसे आइए आपको इस खबर के जरिए बताते हैं।
जिला दण्डाधिकारी-सह- उपायुक्त शेखर जमुआर की वैश्विक सोच से गढ़वा जिला मत्स्य पालन में बेहतरी की दिशा में अग्रसर है। उपायुक्त शेखर जमुआर जिले को मत्स्य पालन में अग्रणी बनाने के लिए डैम एवं तालाबों में मत्स्य पालन को बढ़ावा देने में जुटे हैं। उपायुक्त ने आज खुद अन्नराज डैम का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने यहां पूर्व में शुरू की गई केज कल्चर से मत्स्य पालन की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने मत्स्य पालकों से बातचीत की और इससे बेहतर फायदा उठाने की बातें कही। उन्होंने कहा कि केज कल्चर से जुड़े मत्स्य पालकों को आर्थिक लाभ होगा। वहीं जिले के लोगों को ताजी मछलियां मिल पाएंगी।

मत्स्य उत्पादन में आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास
गढ़वा सदर प्रखण्ड मुख्यालय से लगभग 12 कि0मी0 की दूरी पर अन्नराज डैम में अनाबद्ध निधि योजना अन्तर्गत केज कल्चर योजना की स्वीकृति प्रदान की गई। योजना का मुख्य उद्देश्य स्थानीय लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना, आर्थिक स्थिति में सुधार, जिले को मत्स्य उत्पादन के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना, स्थानीय लोगों को उचित दर पर ताजा मछली उपलब्ध कराने के साथ ही पर्यटकों को आकर्षित करना है।
उपायुक्त श्री जमुआर ने बताया कि केज कल्चर योजना स्थिर जल श्रोतों में पिंजरे बनाकर अंगुली आकार के मछलियों को संचयित करते हुए बड़े आकार में रूपांतरण कर उसे बेचा जाता है। इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार, आर्थिक उन्नयन, पलायन पर रोक, पर्यटकों के लिए आकर्षण केन्द्र के अवसर बनते हैं। इस योजना का कार्य पूर्ण होने पर मत्स्य विभाग को हस्तांतण के उपरांत जिला मत्स्य पदाधिकारी धनराज आर. कापसे द्वारा अन्नराज डैम में तैयार केज कल्चर का लगातार दौरा कर योजना से संबधी प्रस्ताव तैयार कर इस जलाशय पर केज कल्चर योजना के बारे में स्थानीय विस्थापितों के साथ बैठक कर विस्तार से योजना के बारे में बताया गया। इसके बाद समिति के लोगों को प्रशिक्षण दिया गया। प्रशिक्षण उपरांत उन्होने अपने गांव के कृषकों को संगठित कर मत्स्य पालन हेतु दो समितियों का गठन किया। समिति का नाम रखा गया ‘‘भदुआ समूह एवं ओबरा समूह’’ दोनों समिति को मिलाकर लगभग 50 सदस्य हैं। जिनकी आजीविका मत्स्य व्यवसाय से चलती है। समिति के लोगों के सराहनीय कार्यो को देखते हुए इन्हें पुरस्कार स्वरुप अनुदान पर मोटर साइकिल भी प्रदान किया गया। इसके अतिरिक्त मत्स्य विभाग द्वारा इनलोगों के तत्काल आजिविका के लिए अनुदान पर मत्स्य स्पॉन, फीड, जाल इत्यादि प्रदान किया गया। मत्स्य पालन से जुड़ने के बाद समिति के सभी लोगों को नियिमत आय होना प्रारंभ हो जाएगा। केज मत्स्य पालक के रुप में इनके कार्य सराहनीय हैं। समूह के सारे सदस्य पलायन छोड़कर केज मत्स्य पालन से जुड़ गये हैं तथा उन्हे स्थानीय स्तर पर रोजगार प्राप्त हुए हैं।
जिला प्रशासन का सपना है कि सभी किसान एवं उनके बच्चे शिक्षित हों, वे आर्थिक स्थिति में आत्मनिर्भर हों, बेरोजगारी मुक्त हों, मत्स्य पालन से जुड़ें एवं उन्नति के रास्ते पर चलें। इसके लिए वे सतत प्रयासरत हैं।
चिरका डैम में सफलतापूर्वक चल रहा केज कल्चर
गढ़वा जिला के चिनिया प्रखण्ड के चिरका डैम में भी केज कल्चर योजना सफलता पूर्वक चल रही है। जबकि जिले के मझिआँव प्रखण्ड अंतर्गत खजुरी डैम में भी योजना स्वीकृत कर दी गई है। जल्द ही वहाँ भी केज कल्चर योजना का कार्य प्रारंभ हो जाएगा।