“कॉफ़ी विद एसडीएम”

“कॉफ़ी विद एसडीएम”

एसडीएम के साथ कॉफी कार्यक्रम में पहुंचे प्रतियोगी छात्र

एसडीएम ने अपने अनुभवों को साझा कर छात्रों को किया प्रेरित

हमेशा भीड़ से अलग सोचें, लक्ष्य बड़े रखें : एसडीएम

गढ़वा में प्रतियोगी छात्र-छात्राओं के लिए बना है एक अच्छा माहौल

यूपीएससी, जेपीएससी, एसएससी आदि परीक्षाओं की तैयारी के लिए दिए गए टिप्स


दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा

महाभारत के संजय को ही केवल दिव्यदृष्टि प्राप्त नहीं थी। भारत में गढ़वा के अधिकारी संजय को भी दिव्यदृष्टि प्राप्त है। अपने अनूठे कार्यक्रम में समाज के वैसे तमाम वर्गों को चिन्हित कर आमंत्रित कर लेना जिन्हें मार्गदर्शन की सचमुच जरूरत है यह बिना दिव्यदृष्टि के संभव ही नहीं है। जिससे सभी लाभान्वित हो रहे हैं। अभी किसे अनुभव का लाभ मिला आइए आपको भी इस खबर के जरिए बताते हैं। गढ़वा अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने अपने एक घंटे के साप्ताहिक कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में बुधवार को अनुमंडल क्षेत्र के उन छात्र-छात्राओं को अपने यहां कॉफी पर बुलाकर अनौपचारिक संवाद किया। जो यूपीएससी, जेपीएससी, एसएससी, बैंक, रेलवे आदि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे हैं। एसडीओ के आमंत्रण पर 50 से अधिक ऐसे अभ्यर्थी अनुमंडल कार्यालय पहुंचे हुए थे। इस एक घंटे से अधिक के वार्तालाप में न केवल अभ्यर्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारियां दी गयीं। बल्कि उनकी शंकाओं, समस्याओं और सुझावों को भी सुना गया।

मानक पुस्तकों को ही पढ़ें: संवाद के क्रम में कुछ छात्रों ने संजय कुमार से पुस्तकों एवं अन्य अध्ययन सामग्री के चयन के बारे में प्रश्न पूछे। संजय कुमार ने सभी को सलाह दी कि वे न केवल सिर्फ मानक पुस्तकों के अद्यतन संस्करण को पढ़ें। बल्कि कम से कम पुस्तकों को पढ़ें। बाजार में तमाम सारे प्रकाशन हैं और एक ही विषय पर सैकड़ों पुस्तकें उपलब्ध हैं। किंतु पुस्तकों के चयन में सावधानी बरतें और कोशिश करें कि किसी भी विषय की प्रामाणिक आधार पुस्तक के रूप में एक या दो पुस्तक ही रखें। अधिक पुस्तकों का संग्रह करने से बचें।

ऑनलाइन पढ़ाई में सतर्कता बरतें: संवाद के दौरान ऑनलाइन पढ़ाई के गुण और दोषों को लेकर हुई चर्चा के क्रम में संजय कुमार ने अभ्यर्थियों से कहा कि आज प्रत्येक प्रतियोगी परीक्षा के लिए थोक में सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है। किंतु अगर समझदारी नहीं दिखाई तो आप गलत तथ्य भी पढ़ सकते हैं। उन्होंने कहा कि एक ही प्रश्न के अलग अलग वेबसाइट पर अलग-अलग उत्तर मिल जाते हैं। ऐसे में छात्र-छात्राओं का कॉन्सेप्ट बेहतर होने की बजाय उनकी दुविधा बढ़ जाती है। फल स्वरुप परीक्षा में अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाते हैं।

करंट अफेयर के लिए सरकारी वेबसाइट्स से पढ़ने की सलाह: छात्र-छात्राओं को बताया गया कि वे समसामयिक घटना क्रम के लिए सरकारी वेब पोर्टल या वेबसाइट का उपयोग भी कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी वेबसाइट पर तथ्यों की प्रमाणिकता होती है। उन्होंने इंडियन पार्लियामेंट, बजट, इंडियन कोड, इकोनामिक सर्वे, पर्यावरण, कला और संस्कृति, अध्यादेश और अधिनियम, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि के लिए विभिन्न सरकारी पोर्टल की सूची भी छात्र-छात्राओं को उपलब्ध करवाएं।

एनसीईआरटी की किताबों को बनाएं आधार: छात्र-छात्राओं को सुझाव दिया गया कि वे कक्षा 12 तक की एनसीईआरटी की पुस्तकों को भली भांति अध्ययन कर लें। यदि उनके पास इन पुस्तकों की उपलब्धता नहीं है तो वे एनसीईआरटी की वेबसाइट से इन्हें आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं। कहा कि इसके लिए दीक्षा एप तथा ई-पाठशाला पोर्टल का भी प्रयोग किया जा सकता है।

सिविल सेवा परीक्षा में वैकल्पिक विषय का चयन सोच समझकर करें: सिविल सेवा की तैयारी कर रहे आयुष कुमार व विवेक कुमार आदि ने ऑप्शनल सब्जेक्ट के चयन के बारे में अपनी दुविधा बताई तो एसडीओ संजय कुमार ने सभी को सहज तरीके से समझाया कि ऐसी कोई अनिवार्यता नहीं है कि वे उन विषयों को ही चुनें जो उन्होंने ग्रेजुएशन की परीक्षा में लिए थे। बल्कि वे चाहें तो अपनी रुचि का कोई ऐसा विषय भी चुन सकते हैं। जिसे उन्होंने पहले कभी किसी कक्षा में नहीं पढ़ा है। उदाहरण के लिए कोई साइंस या इंजिनियरिंग से स्नातक करने वाला व्यक्ति संघ या राज्य सिविल सर्विस परीक्षा में कला या ह्यूमैनिटी का भी कोई विषय चुन सकता है। पर ध्यान रहे कि चुने गए विषय में न केवल अभ्यर्थी की रुचि हो बल्कि उसमें पकड़ भी हो। साथ ही सिलेबस का आकार और विषय की सफलता दर का भी विश्लेषण कर लेना चाहिए।

लक्ष्य हमेशा बड़ा रखें: संवाद के क्रम में संजय कुमार ने अभ्यर्थियों को अभिप्रेरित करते हुए सलाह दी कि वे अपनी क्षमताओं और अन्य परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए तैयारी करें। किंतु फिर भी उन्हें अपना लक्ष्य हमेशा बड़ा रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि जितनी बड़ी परीक्षा होती है वहां प्रतियोगिता का दायरा उतना ही कम होता है। किंतु छोटे पदों के लिये होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में भीड़ अधिक होती है। कट ऑफ मार्क्स अधिक रहते हैं। फल स्वरुप अनिश्चितता के चलते सफलता दर कम रहती है। वहीं सिविल सर्विस जैसी परीक्षाओं में भीड़ अधिक न होने के कारण गंभीर अभ्यर्थियों के लिए सफलता दर अधिक होती है इसलिए लक्ष्य हमेशा बड़ा रखें।

गढ़वा में बन रहा है प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए माहौल: संवाद के दौरान छात्र-छात्राओं से बातचीत के क्रम में यह स्पष्ट हुआ कि गढ़वा में प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए अच्छा माहौल बन रहा है। कॉफी विद एसडीएम में पहुंचे दो छात्रों ने बताया कि वे पलामू जिले के रहने वाले हैं। लेकिन गढ़वा में रह कर तैयारी कर रहे हैं। क्योंकि यहां अच्छी और निशुल्क पुस्तकालय तो है ही यहां पर पढ़ने का एक अच्छा प्रतियोगी माहौल भी है।

पुस्तकालय में अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें उपलब्ध कराने का अनुरोध: संवाद के दौरान स्नेहा कुमारी, आयुष कुमार एवं कुछ छात्राओं ने एसडीएम से अनुमंडलीय पुस्तकालय में अंग्रेजी माध्यम की पुस्तकें उपलब्ध करवाने का अनुरोध किया। इस पर सभी छात्र-छात्राओं को कहा गया कि वे सूची बनाकर उनकी मांग के अनुरूप पुस्तकें उपलब्ध कराने का प्रयास किया जाएगा।

पुस्तकालय के सामने बेतरतीब पार्किंग रोकने की मांग: छात्रा रूपांजलि कुमारी ने एसडीएम के समक्ष शिकायत रखी कि अनुमंडलीय पुस्तकालय के सामने बेतरतीब पार्किंग के चलते उन्हें हमेशा परेशानी होती है। उस पर रोक लगाई जाए। इस पर उन्हें आश्वस्त किया गया कि उनकी इस शिकायत पर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी।

अभ्यर्थियों को लेखन सामग्री दी गई उपहार: कॉफ़ी विद एसडीएम कार्यक्रम में पहुंचे सभी छात्र-छात्राओं को शहर के बाबा कमलेश प्रतिष्ठान के प्रोपराइटर कमलेश अग्रवाल की ओर से नोटबुक और पेन उपहार में प्रदान किए गये।

व्यक्तिगत समस्याएं भी रखी गई: संवाद के दौरान कई छात्र-छात्राओं की ओर से उनकी निजी समस्याएं भी रखी गईं। जिनके समाधान हेतु यथासंभव पहल करने का भरोसा दिया गया।

इस कार्यक्रम के दौरान सुरुचि मिश्रा, आयुष दुबे, रमेश कुमार यादव, पंकज कुमार, रंजन कुमार, मुकेश कुमार सहित अन्य छात्र-छात्राओं ने अपने विचार रखे।

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Ashutosh Ranjan

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