वक्फ बोर्ड बिल के विरोध में शनिवार को गढ़वा में विरोध मार्च

वक्फ बोर्ड बिल के विरोध में शनिवार को गढ़वा में विरोध मार्च

मार्च के बाद सीएम व गवर्नर के नाम डीसी को सौंपा जाएगा ज्ञापन


दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा


वक्फ बोर्ड बिल के विरोध में शनिवार को विरोध मार्च का आयोजन किया जाएगा। इसकी जानकारी अल्पसंख्यक अधिकार मंच के अध्यक्ष शौकत कुरैशी ने एक प्रेसवार्ता में दी। मदरसा तब्लीगुल इस्लाम परिसर में आयोजित प्रेसवार्ता में शौकत कुरैशी ने कहा कि विरोध मार्च की शुरुआत कर्बला के मैदान से की जाएगी। वहीं विरोध मार्च में शामिल लोग मझिआंव मोड़, मुख्य पथ व रंका मोड़ होते हुए हुए टाउन हॉल के मैदान में पहुंचेंगे। इसके बाद विरोध मार्च का समापन किया जाएगा। विरोध मार्च के समापन के बाद टाऊन हॉल के मैदान से अल्पसंख्यक अधिकार मंच का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त को मुख्यमंत्री व राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपने को लेकर समाहरणालय जाएगा। जहां प्रतिनिधिमंडल के द्वारा उपायुक्त को ज्ञापन सौंपा जाएगा। प्रेस वार्ता में लोगों ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा वक्फ एक्ट 1995 में बिना मुस्लिम समुदाय के माहिर व मुतवल्लियों के मशवरा किए बिना और संशोधित बिल में जेपीसी को दिए गए सुझाव को शामिल किए बिना जल्दबाजी में बहुमत के बल पर तानाशाही रवैया अपनाते हुए असंवैधानिक संशोधन कर वक्फ ऐक्ट 2025 बना दिया गया है। जो भारतीय मुसलमानों के धार्मिक स्वतंत्रता और मौलिक अधिकारों का हनन है। उन्होंने कहा कि देश एवं झारखंड में जो वक्फ की संपत्ति है। उनमें से अधिकतर मस्जिद, मदरसा, ईदगाह, कब्रिस्तान, मजार, खानकाह , मकबरा, मुसाफिरखाना के अलावा दुकान, मकान, संस्थान, खेत, खलिहान है। जो हमारे पूर्वजों द्वारा अपनी निजी जमीन संपत्ति को इस्लामी परंपरा के अनुसार वक्फ कर स्थापित किया गया है। वहीं बहुत सी जमीनों को राजा, महाराजा, नवाब, जमींदार, ओहदार द्वारा भी दिया गया है। जिसका उपयोग धार्मिक कार्यों के तौर पर वर्षों से हो रहा है। केंद्र सरकार को लगता था कि वक्फ संपत्तियों में कब्जा, अतिक्रमण, मनमानी, हिसाब किताब सही नहीं है और वर्तमान दर से आमदनी नहीं है। जिसके कारण गरीब मुसलमानों को लाभ नहीं मिल रहा है तो वक्फ एक्ट 1995 में बिना संशोधन के भी सुधार किया जा सकता था। इसमें ऐसे सभी प्रावधान है। लेकिन मनमानी कर वक्फ अधिनियम 2025 बनाया गया है। उन्होंने कहा कि इस कानून से बहुत सारे वक्त संपत्तियों को नुकसान हो सकता है। प्रेस वार्ता में शामिल लोगों ने कहा कि यह कानून अल्पसंख्यकों के संवैधानिक अधिकारों विशेष रूप से अनुच्छेद 14, 25, 26 और 29 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है। वक्फ बोर्डों में गैर मुसलमानों को सदस्य बनाने से मुस्लिम समुदाय की धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में हस्तक्षेप होगा। वहीं दूसरे तरफ हिंदू धार्मिक न्यास बोर्ड, सिख धार्मिक बोर्ड व अन्य धर्म के बोर्ड में उनके धर्म के मानने वाले सदस्य होंगे। उन्होंने कहा कि यह कानून राज्य प्राधिकरणों को वक्फ संपत्तियों और विवादों पर महत्वपूर्ण अधिकार प्रदान करके नियंत्रण को केंद्रीकृत करता है। इस बदलाव से नौकरशाही का अतिक्रमण, मनमाना भेदभाव होगा। जिससे संभावित कानूनी चुनौतियां पैदा हो सकती हैं। लोगों ने कहा कि कानून उपयोगकर्ता द्वारा वक्फ को मान्यता देने के प्रावधानों को हटाया है। जो औपचारिक दस्तावेज के बिना वक्फ उद्देश्यों के लिए ऐतिहासिक रूप से उपयोग की गई संपत्तियों व धार्मिक स्थलों को खतरे में डाल सकता है। उन्होंने कहा कि वक्फ न्यायाधिकरण के प्राधिकार को हटाने और संपत्ति निर्धारण का अधिकार जिला कलेक्टरों तथा उच्च अधिकारियों को सौंपने से विवाद बढ़ सकते हैं तथा समाधान प्रक्रिया जटिल हो सकती है। वक्फ बोर्ड में गैर मुस्लिम लोगों को सदस्य बनाने से इस्लामी कानून व परंपरा की समझ की कमी के कारण वक्फ बोर्ड की अखंडता कमजोर कर सकता है। अब वही व्यक्ति वक्फ कर सकते हैं जो कम से कम 5 वर्ष से इस्लाम धर्म का पालन कर रहा है।जबकि दूसरे धर्म में दान के लिए ऐसी कोई शर्त नहीं रखी गई है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार लचीलापन दिखाते हुए वक्फ संशोधन अधिनियम 2025 को वापस ले अथवा उपरोक्त बिंदुओं में सुधार करे। उन्होंने कहा कि वक्फ अधिनियम 2025 के खिलाफ शनिवार को गढ़वा शहर में विरोध मार्च का आयोजन किया जाएगा। प्रेस वार्ता में शामिल लोगों ने विरोध मार्च में अधिक से अधिक लोगों को शामिल होने की अपील की है। प्रेस वार्ता में शौकत कुरैशी के अलावे डॉक्टर यासीन अंसारी, डॉक्टर एम एन खान, सुषमा मेहता, ई ओबैदुल्लाह हक अंसारी, जमीरूद्दीन अंसारी, इमाम हसन, डॉक्टर मकबूल आलम खान, तनवीर खान, शंभू राम, मासूम खान, शादाब खान आदि उपस्थित थे।

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Ashutosh Ranjan

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