अंधेरा देखना हो तो यहां आएं

अंधेरा देखना हो तो यहां आएं

देश के सबसे अंधेरे इलाकों में से एक है यह इलाका

एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए है सबसे खास



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा


गढ़वा : झारखंड के पलामू प्रमंडल में एक ऐसा इलाका है, जिसकी गिनती वैसे क्षेत्रों में की जाती है, जहां सबसे ज्यादा अंधेरा होता है। बूढ़ापहाड़ और नेतरहाट की तराई ऐसा ही क्षेत्र है। इसके अलावा ऐसा अंधेरा महाराष्ट्र के इंद्रावती टाइगर रिजर्व इलाके में भी होता है।

दरअसल, बूढ़ापहाड़ में नेतरहाट की तराई का इलाका पलामू टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आता है। दोनों इलाके लातेहार जिले में हैं और इस इलाके में आदिवासी परिवार निवास करते हैं। 2021 में डार्क साइट फाइंडर के सर्वे में भारत में सबसे ज्यादा अंधेरा पलामू टाइगर रिजर्व और महाराष्ट्र के इंद्रावती टाइगर रिजर्व के इलाके में दर्ज किया गया था। तब से पलामू टाइगर रिजर्व का इलाका सबसे अंधेरे इलाके के तौर पर जाना जाता है।

पलामू टाइगर रिजर्व के नेतरहाट की तलहटी में मौजूद बारेसांढ़ और कोरगी, बूढ़ापहाड़ के तिसिया, नावाटोली और छत्तीसगढ़ से सटे सीमावर्ती इलाके में सबसे ज्यादा अंधेरा रिकॉर्ड किया गया है। यह इलाका हिमालय की तराई से भी ज्यादा अंधेरा है।

“पलामू टाइगर रिजर्व के कई ऐसे इलाके हैं, जहां इंसान की पहुंच नहीं है। इसका एक बड़ा कारण यह है कि यहां जंगलों का संरक्षण किया गया है। पीटीआर का इलाका एशिया के सबसे अंधेरे इलाकों में से एक है। इलाके में लाइट पॉल्यूशन नहीं है। घने जंगल और बहुत कम आबादी के कारण यह इलाका अंधेरा रहता है।” – प्रजेशकांत जेना, उप निदेशक, पलामू टाइगर रिजर्व

“पलामू टाइगर रिजर्व का इलाका सबसे अंधेरा इलाका रहा है। यह इलाका एस्ट्रो फोटोग्राफी के लिए बहुत मुफीद है।” – मुकेश कुमार, डीएफओ, चतरा

कैसा है बूढ़ापहाड़ और नेतरहाट का तराई इलाका

पलामू टाइगर रिजर्व 1129 वर्ग किलोमीटर में फैला है। 460 वर्ग किलोमीटर पलामू टाइगर रिजर्व का कोर एरिया है। कोर एरिया सबसे अंधेरा है। बूढ़ापहाड़ और नेतरहाट का तराई इलाका घने जंगलों से भरा हुआ है। इलाके में साल, सखुआ व चीड़ के घने जंगल हैं। इलाके में आबादी बहुत कम है। जिसके कारण रात में इलाके में रोशनी नहीं रहती। दिन में भी कई इलाकों में सूरज की रोशनी नहीं पहुंच पाती है।

वन्यजीव विशेषज्ञ प्रोफेसर डीएस श्रीवास्तव कहते हैं कि पलामू टाइगर रिजर्व में कई ऐसी चीजें हैं, जिनका सर्वे नहीं हुआ है। साल व सखुआ के जंगल के अलावा कई प्रजातियों के पेड़ मौजूद हैं और घना जंगल है। पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल कहते हैं कि इलाके में वाहन और अन्य प्रदूषण नहीं है, जिसकी वजह से इलाके में यह अंधेरा मौजूद है।

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Ashutosh Ranjan

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