पुलिस कर रही है आत्मसमर्पण की अपील
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
अविभाजित बिहार में पलामू प्रमंडल का इलाका नक्सलियों का सबसे बड़ा ठिकाना रहा है। पलामू, गढ़वा और लातेहार देश के सबसे ज्यादा नक्सल प्रभावित इलाकों की सूची में भी शामिल रहे हैं। 2024 में केंद्र सरकार ने पलामू को नक्सल सूची से हटा दिया है। लेकिन आज भी इलाके में हलचल है। टॉप कमांडर सक्रिय हैं।पलामू प्रमंडल में 16 टॉप नक्सल कमांडर हैं। टॉप नक्सल कमांडरों के खिलाफ अभियान चलाया जा रहा है। साथ ही पुलिस सभी से सरेंडर करने की अपील भी कर रही है। पुलिस नक्सलियों के परिजनों से भी संपर्क कर सभी को सरेंडर कराने के लिए प्रेरित कर रही है।
कौन-कौन हैं टॉप नक्सली कमांडर और कितना है इनाम: टीएसपीसी सुप्रीमो ब्रजेश गंझू (25 लाख), भाकपा माओवादी क्षेत्रीय कमेटी सदस्य सह 15 लाख इनामी नितेश यादव, रवींद्र गंझू, जोनल कमांडर सह 10 लाख इनामी कुंदन खेरवार, मृत्युंजय भुइयां, मनोहर गंझू, संजय गोदराम, टीएसपीसी के शशिकांत गंझू, जेजेएमपी के पप्पू लोहरा, माओवादी सब-जोनल कमांडर 05 लाख का इनामी शिव सिंह, मनीष यादव, सुखलाल बृजिया, पंकज कोरवा, टीएसपीसी के मुखदेव यादव, जेजेएमपी के रवींद्र यादव, टीएसपीसी के प्रभात गंझू शामिल हैं।
“मुख्यधारा से भटके लोगों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए सरकार की नई दिशा नामक योजना है। लगातार अपील की जा रही है कि उन्हें मुख्यधारा में शामिल करने के लिए पुलिस और सरकार सहयोग करेगी। योजना से संबंधित सभी लाभ दिए जाएंगे। पुनर्वास के लिए हर स्तर पर पहल की जाएगी। नक्सलियों से लगातार आत्मसमर्पण की अपील की जा रही है।” सुनील भास्कर, आईजी, पलामू
कुछ इलाकों में ही सिमटी नक्सली गतिविधि: पलामू प्रमंडल के कुछ इलाकों में नक्सली गतिविधियां मौजूद हैं। पिछले पांच सालों में पुलिस और सुरक्षा बलों ने कई इलाकों में बदलाव किया है और नक्सलियों की स्थिति कमजोर हुई है।ि पलामू प्रमंडल में भाकपा माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी जैसे नक्सली संगठन सक्रिय हैं। झारखंड के बूढ़ापहाड़ का इलाका माओवादियों का ट्रेनिंग सेंटर था। सुरक्षाबलों ने पूरे इलाके को माओवादियों से खाली करा लिया है।