साथ में एक लाख जुर्माना भी
गढ़वा के संग्रहे खुर्द का मामला
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा : विशेष न्यायाधीश पोक्सो के न्यायाधीश दिनेश कुमार की अदालत में सोमवार को पिता के द्वारा अपनी ही नाबालिग पुत्री के साथ दुष्कर्म करने वाले गढ़वा थाना अंतर्गत संग्रहे खुर्द निवासी शेख इम्तेयाज को अंतिम सांस तक के लिए आजीवन सश्रम कारावास एवं एक लाख रुपये आर्थिक जुर्माना की सजा सुनाई गई है। विदित हो कि गढ़वा थाना क्षेत्र स्थित संग्रहे खुर्द निवासी पीड़िता के दादा शेख ऐनुल्लाह के द्वारा लिखित आवेदन के आधार पर गढ़वा थाना कांड संख्या 197/ 2023 दिनांक 15 मई 2023 को प्राथमिकी दर्ज की गई है। जिसमें आरोप लगाया गया है कि पीड़िता अपने घर में मायूस रहा करती थी। इस दौरान उन्होंने दादी को बतलाया। उसके आधार पर पीड़िता से उसके दादा ने पूछताछ करने पर बताई कि ईद से पहले रोजा के समय पीड़िता के पिता के द्वारा दुष्कर्म किया जाता था। इस आशय की जानकारी पर पीड़िता से पूछताछ करने पर बताई कि मेरे अब्बू ने मेरे साथ घर में कई बार गलत काम करते हैं और डरा धमका कर बोलते हैं कि यह बात किसी को बताएगी तो तेरा जीभ काट देंगे और डैम में फेंक देंगे। यह बात अपने मम्मी को बताए। जब इस बात के संबंध में परिवार के समझने एवं पूछताछ करने पर इम्तियाज ने गाली गलौज कर मारपीट करने की धमकी दिया। उसके बाद पीडिता के दादा ने इस बात को लेकर अपने समाज में पंचायती किया। पंचायती के बाद वह अपने साथ रखने लगा। जिस पर अभियुक्त जान मारने की धमकी देने लगा। इस आशय की जानकारी होने पर प्राथमिकी दर्ज कर 20 मई 2023 को गढ़वा थाना के द्वारा अभियुक्त को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। एवं उसके विरुद्ध भादवि की धारा 376 ए बी 5 एम एवं 6 पोक्सो एक्ट के तहत आरोप पत्र समर्पित किया गया। न्यायालय द्वारा विभिन्न धाराओं में संज्ञान लेते हुए आरोपी के विरुद्ध आरोप गठन कर त्वरित कार्रवाई करते हुए अभियोजन पक्ष को साक्ष्य प्रस्तुत करने हेतु तिथि निर्धारित की गई। लोक अभियोजक उमेश दीक्षित के द्वारा आठ साक्षियों का साक्ष्य प्रस्तुत कराया गया। जबकि बचाव पक्ष की ओर से दो साक्षियों का भी साक्ष्य प्रस्तुत किया गया। उपलब्ध दस्तावेज एवं साक्ष्य के आधार पर न्यायालय द्वारा आरोपी का बयान दर्ज कर बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता नित्यानंद दुबे को बहस करने का मौका प्रदान करते हुए लोक अभियोजक उमेश दीक्षित को भी पक्ष रखने का मौका दिया गया। तत्पश्चात दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए अभियुक्त को दोषी करार दिया गया। सजा के बिंदु पर सुनवाई कर अभियुक्त को आजीवन सश्रम कारावास एवं ₹100000 आर्थिक जुर्माना की सजा सुनाते हुए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया एवं निर्णय की एक कॉपी नि:शुल्क प्रदान की गयी।