पुलिस के रडार पर मददगार
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा : सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद कुछ लोग घायल नक्सलियों की मदद कर रहे हैं। झोलाछाप डॉक्टर मुठभेड़ में जख्मी नक्सलियों की इलाज कर रहे हैं। वहीं कुछ लोग नक्सलियों को भगाने के लिए गाड़ी उपलब्ध करवा रहे हैं।
नक्सल विरोधी अभियान के दौरान पुलिस और सुरक्षाबलों के साथ हुई मुठभेड़ के बाद कई खुलासे हो रहे हैं। पता चला है कि कुछ झोलाछाप डॉक्टर जख्मी नक्सलियों की इलाज कर रहे हैं। मुठभेड़ के बाद यह झोला छाप डॉक्टर कुछ ही देर में नक्सलियों के ठिकाने तक पहुंच जाते हैं। दरअसल पलामू पुलिस ने एक अभियान चला कर नक्सल इलाके में ऐसे कुछ झोलाछाप डॉक्टरों को चिन्हित किया है। अकेले पलामू में 130 से अधिक झोला छाप डॉक्टर चिन्हित हुए हैं। पुलिस सभी के नाम पता का सत्यापन कर रही है।
केस स्टडी 01: 17 मई को पलामू के मनातू थाना क्षेत्र में पुलिस और टीएसपीसी के बीच मुठभेड़ हुई थी। इस मुठभेड़ में टीएसपीसी के जोनल कमांडर गौतम यादव जख्मी हो गया था। इसके बाद झोला छाप डॉक्टर ने गौतम का इलाज किया था। बाद में गौतम यादव स्थानीय समर्थक और परिवार की मदद से इलाज के लिए वाराणसी के एक अस्पताल में भर्ती हो गया। हालांकि यहां पुलिस ने कार्रवाई करते हुए गौतम यादव उर्फ मिथिलेश यादव को गिरफ्तार कर लिया। जिसके बाद पूरे मामले का खुलासा हो गया।
केस स्टडी 02: पलामू चतरा सीमा पर अप्रैल 2023 में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में नक्सलियों के 05 टॉप कमांडर मारे गए। वहीं 05 लाख का इनामी नंदकिशोर यादव उर्फ ननकुरिया जख्मी हो गया। नंदकिशोर यादव की मदद पलामू चतरा सीमा पर एक मुखिया ने की थी। यहां एक झोलाछाप डॉक्टर से उसका इलाज करवाया गया था। नंदकिशोर यादव के पकड़े जाने के बाद पूरे मामले का खुलासा हुआ।
मदद के लिए नक्सलियों ने तैयार किया है चेन, डायरी से हुए कई खुलासे: पलामू पुलिस एवं प्रतिबंधित नक्सली संगठन तृतीय सम्मेलन प्रस्तुति कमेटी के बीच पिछले एक महीने में दो बार मुठभेड़ की घटना हुई है। मुठभेड़ के दौरान पुलिस को एक डायरी भी मिली है। इस डायरी से कई खुलासे हुए हैं। डायरी में अलग-अलग इलाकों में नक्सलियों की मदद करने वाले स्थानीय समर्थक झोलाछाप डॉक्टरों के नाम पता दर्ज है। डायरी में इस बात का भी जिक्र है कि समर्थकों के पास कौन सी गाड़ी मौजूद है। कौन व्यक्ति जेसीबी कौन व्यक्ति ट्रैक्टर उपलब्ध कराता है। नक्सलियों ने मदद में लिए एक तरह से चेन तैयार किया है।
17 मई को हुई मुठभेड़ में टीएसपीसी के एक सब जोनल कमांडर जख्मी हुआ था। पुलिस के अनुसंधान में यह बात सामने आई है कि लोकल स्तर पर जख्मी नक्सल कमांडर को मदद मिली है। लोकल और झोला छाप डाक्टर ने स्थानीय स्तर पर इलाज किया। उनकी मदद से ही वह वाराणसी गया। पुलिस की अपील है नक्सल संगठन या स्प्लिंटर ग्रुप की मदद ना करें। वैसे लोग जो किसी भी प्रकार से नक्सलियों की मदद करेंगे उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू।
नक्सलियों, टीएसपीसी और जेजेएमपी के लिए अलग-अलग हैं मददगार: पलामू के इलाके में प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी, टीएसपीसी और जेजेएमपी का प्रभाव रहा है और इसके दस्ते सक्रिय रहे हैं। तीन संगठनों के अलग अलग इलाकों में अलग-अलग मददगार है। इस मददगारों के बीच कई संघर्ष भी हुए है! मददगारों के अलग-अलग तरह के सामाजिक समीकरण भी हैं।