सच में प्यार कभी पूरा नहीं होता.?
आशुतोष रंजन
गढ़वा
वो द्वापर नहीं है कि भगवान कृष्ण राधा से और राधा उनसे प्रेम किया करती थीं,दोनों का प्रेम निश्छल था,दोनों की मोहब्बत कैसी थी शायद मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है,लेकिन वो द्वापर युग था और आज कलियुग है,जहां हम जिससे प्रेम कर रहे हैं वो केवल हमसे ही मोहब्बत करे इस पर यक़ीन कर पाना मुश्किल है,तभी तो कान्हा की दूसरी नगरी के रूप में मशहूर झारखंड के श्री बंशीधर नगर में मोहन द्वारा अपने जिगरी दोस्त की हत्या मात्र इसलिए कर दी गई क्योंकि उसका दोस्त उसकी प्रेमिका से प्रेम करने लगा था,क्या है पूरी कहानी आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं।
दोस्ती,मोहब्बत,नफ़रत और इंतक़ाम की कहानी : – इस कहानी की शुरुआत कुछ साल पहले राज्य मुख्यालय रांची से होती है,जहां दो रोटी कमाने की जुगत में दो दोस्त राहुल और मोहन गांव से रांची पहुंचते हैं,दोनो काम भी करने लगते हैं,लोग बताते हैं कि दोनों की दोस्ती बहुत प्रगाढ़ थी,तभी तो गांव में पढ़ने और खेलने से ले कर जब रोज़ी रोटी के लिए भागदौड़ के लिए अपनों का साथ छूट जाता है लेकिन इन दोनों का साथ तब भी नहीं छूटा,एक साथ एक कमरे में रहना,साथ में काम करने जाना और शाम में साथ लौटना,यूं ही दोनों का दिन अच्छे उपार्जन के साथ गुज़र रहा था कि इसी बीच मोहन की ज़िंदगी में एक लड़की आ जाती है,दोनो के बीच बातचीत शुरू होती है जो आगे चल कर प्यार में बदल जाता है,काम से फ़ुरसत मिलने पर दोनो का मिलना और साथ में समय गुजारना भी शुरू होता है,एक ओर जहां मोहन का प्यार परवान चढ़ रहा था तो दूसरी ओर राहुल का तांक झांक भी शुरू हो रहा था,राहुल का बीच में आने को पहले तो मोहन द्वारा मज़ाक समझा गया,क्योंकि नए परिचित तो थे नहीं,दोस्त थे तो एक दूसरे से सभी बातें शेयर भी किया करते थे,कभी कभी मोहन अपनी प्रेमिका से राहुल की बात भी करा दिया करता था,पर ऐसा करना ही मोहन के लिए ग़लत क़दम साबित हुआ,क्योंकि उसकी प्रेमिका का राहुल के प्रति भी झुकाव बढ़ने लगा,दोनो मोहन से छुप छुप कर बात करने के साथ साथ बाहर में मिलने भी लगे,आलम हुआ कि राहुल का रहन सहन और पैसे खर्च करने को देखते हुए वो मोहन से दूर और राहुल के क़रीब आने लगी,दोनो की करीबी इस क़दर बढ़ी कि एक रोज़ मोहन ने दोनों को आपत्तिजनक हालत में देख लिया,दोनो में काफ़ी बहस भी हुआ,और यहीं से एक लड़की की मोहब्बत ख़ातिर बचपन की दोस्ती में नफ़रत की दरार पड़ गई,जिसे आगे चल कर राहुल द्वारा पाटने की कोशिश ज़रूर हुई पर दरार बढ़ने की जगह पट नहीं सका,इसी बीच दोनों घर को लौट आते हैं,पुराने अंदाज़ में ना सही नएपन के साथ दोनों का यहां मिलना और साथ समय बिताना हुआ करता था,लेकिन बातचीत के दरम्यान भी मोहन खोया खोया सा रहता था,उसे हम आप भले खोया या प्रेमिका और दोस्त की दग़ाबाज़ी को ले कर कसक के साथ सोचना कहें लेकिन वो तो एक बड़ी साज़िश को अंज़ाम देने की योजना सोचा करता था,क्योंकि उसे तो किसी और के साथ नहीं बल्कि अपने ही दोस्त के साथ इंतक़ाम लेना था,और उसके द्वारा जब पूरी योजना तैयार कर ली गई तो वो तारीख़ था 14 नवंबर जिस रोज़ मोहन राहुल के पास पहुंचता है और उससे कहता है कि चलो घूमने चलते हैं,अपने दोस्त द्वारा रची गई साज़िश से अनजान राहुल उसके साथ हो लेता है और दोनो साथ निकलते हैं,आगे बढ़ने पर मोहन उससे कहता है कि चल के कुछ खाते और बहुत दिन हो गया आज ड्रिंक भी करते हैं,दोनो अहिरपुरवा गांव पास से गुज़रे रेलवे लाइन पास पहुंचते हैं,वहीं दोनों खाते पीते हैं,इधर उधर की बातें होती हैं,बहुत देर वहां गुजारने के बाद राहुल द्वारा कहा जाता है कि अब घर को चला जाए,इतना सुनते ही मोहन यह कहता ज़रूर है कि हां चला जाए,लेकिन बेचैन हो जाता है क्योंकि उसे तो अपनी साज़िश को अंज़ाम देना था,सो वो कहता है कि तुम बाइक पर बैठो हम बस तुरंत आते हैं,इतना कह कर मोहन झाड़ी की ओर और राहुल बाइक पर बैठ जाता है,अभी राहुल बस चंद लम्हों में बाइक स्टार्ट ही करने वाला था कि आहिस्ते आहिस्ते मोहन उसके पीछे पहुंचता है और हाथ में रखे कुल्हाड़ी से उसके गर्दन पर वार कर देता है,अचानक हुए घातक वार से राहुल बाइक समेत नीचे गिर जाता है और उधर मोहन द्वारा लगातार कई वार किया जाता है,घटना स्थल पर ही राहुल की मौत हो जाती है,उधर अपनी घिनौनी साज़िश को अंज़ाम देने के बाद मोहन घर को लौट जाता है,यही है दोस्ती,मोहब्बत,नफ़रत और इंतक़ाम की कहानी,अब आइए आपको बताते हैं कि पुलिस द्वारा कैसे इस हत्याकांड की गुत्थी को सुलझाई गई ।
पुलिस को रेलवे लाइन पास शव होने की सूचना मिलती है : – मोहन द्वारा 14 की रात में घटना को अंजाम दिया गया था,अगले रोज़ यानी पंद्रह नवंबर को अहले सुबह पुलिस को सूचना मिलती है कि एक युवक का शव रेलवे लाइन पास है,सूचना मिलते ही पुलिस वहां पहुंचती है,तब तक लोगों की भीड़ भी जुट गई थी,शव की पहचान जंगीपुर गांव निवासी राहुल कुमार के रूप में की जाती है,उधर मृतक राहुल की मां के बयान के आधार पर अज्ञात के विरुद्ध हत्या की प्राथमिकी दर्ज़ कर पुलिस मामले की पड़ताल में जुट जाती है ।
रहिमन दाबे ना दबे,जाने सकल जहान : – आखि़र पुलिस द्वारा उक्त हत्याकांड का खुलासा कैसे किया गया उस बावत बताने से पहले हम यहां एक पंक्ति कहना चाहेंगे,खैर,खून,खांसी,ख़ुशी,बैर,प्रीत,मधुपान,रहिमन दाबे ना दबे,जाने सकल जहान रहीम द्वारा कही गई ये बातें कल भी नहीं छुप सका है और ना तो आज ही छुप पाता है,तभी तो मोहन द्वारा रात के अंधेरे में सोची समझी साज़िश को भले अंज़ाम दिया गया लेकिन लाख छुपाने की कोशिश के बाद भी नहीं छुप सका,प्राथमिकी के बाद एसपी दीपक पांडेय द्वारा एसडीपीओ सत्येंद्र नारायण सिंह के नेतृत्व में एक टीम का गठन किया गया,उक्त टीम द्वारा तकनीकी साक्ष्य के साथ साथ चश्मदीद गवाह द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर टीम द्वारा मोहन को गिरफ़्तार कर लिया गया,उधर मोहन द्वारा जहां एक ओर ख़ुद का अपराध स्वीकारा गया तो वहीं दूसरी ओर उसके द्वारा क्यों अपने जिगरी दोस्त की ही जान ली गई उसकी पूरी कहानी बताई गई,उसे गिरफ़्तार करने के साथ साथ उसके बताए जगह से हत्या में प्रयुक्त धारदार हथियार टांगी को भी बरामद किया गया ।
इस टीम ने हासिल की सफ़लता : – श्री बंशीधर नगर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी सत्येंद्र नारायण सिंह के नेतृत्व में राहुल हत्याकांड का सफ़ल खुलासा करने वाली टीम में पुलिस निरीक्षक रतन कुमार सिंह,थाना प्रभारी आदित्य कुमार नायक,पुलिस अवर निरीक्षक जितेंद्र कुमार,सहायक अवर निरीक्षक अनुज कुमार सिंह,संजय पासवान एवं आरक्षी कौशल कुमार द्विवेदी का नाम शामिल है ।
दोस्ती,मोहब्बत,नफ़रत और इंतक़ाम की पूरी कहानी के साथ साथ गढ़वा के कुशल पुलिस कप्तान दीपक कुमार पांडेय के नेतृत्व में काम कर रही टीम द्वारा हासिल की गई सफ़लता की जानकारी हमने इस ख़ास ख़बर के ज़रिए दिया लेकिन दोस्ती जैसी पवित्र रिश्ते का ऐसे अंत को देखते हुए दिल से बरबस यही निकलता है “हम केवल दुश्मन को शक की निगाहों से ना देखें तो बेहतर,क्योंकि अगर कभी कत्ल हो तो,वो क़ातिल अपना यार भी हो सकता है” ।