सड़क की दुर्दशा देख बिफरे साहब,बुला कर विभागीय अधिकारी को दिया निर्देश,कहा बनाइये न बात अब सुधारिये सड़क की हालात,वह सड़क है कौन सा और उससे किन परिस्थितियों में लोग दो चार होते हैं,साथ ही उसके बारे में विभागीय अधिकारी को क्या कहा साहब ने जानने के लिए पढ़िए यह रिपोर्ट-
कहीं गुज़र ना जाये पचहत्तर साल:- सबका वादा होता है हालात बदलने का,पर कहां बदलता है हाल मेरा,सुधारने को मेरा हाल,कहीं गुज़र ना जाये पचहत्तर साल,जी हां ऐसी कई जुमलेनुमा पंक्तियां हैं जो पलामू-गढ़वा से हो कर गुजरने वाली सड़क एनएच 75 के बाबत कही जाती हैं,क्योंकि सड़क बनने के शुरुआती साल से अब तलक कई वर्ष गुज़र गए लेकिन ना तो उसका पूर्ण रूपेण निर्माण पूरा हुआ,और जहां तक बना भी वह टूट कर बिखर गया,हालात ऐसे हैं कि प्रतिरोज़ लोग अपने मंज़िल पर पहुंचने से पहले अस्पताल पहुंच जाया करते हैं,उधर उसके हालात सुधारने का नेतायी वादा सुन सुन कर थक और आजिज आ चुके लोग अब यही कहने लगे हैं कि क्या लग जायेंगें पचहत्तर साल,सुधारने को एनएच 75 का हाल।