दूसरों की सुनने वाले आज खुद कर रहे खुद की फ़रियाद",जी हां हम बात कर रहे हैं झारखंड पुलिस की जिनके द्वारा सालों से की जाने वाली मांग नहीं माने जाने के कारण आज उन्हें एक अलग तरीके से अपनी आवाज रखनी पड़ी,क्यों परेशान और हलकान हैं पुलिस वाले जानने के लिए पढ़िए यह रिपोर्ट-
आज भूखे रहे जवान:- अपनी मांग मनवाने को हो कर परेशान,आज भूखे रहे जवान",जी आज किसी एक जिले की नहीं बल्कि पूरे राज्य की पुलिस उन्हें सामूहिक अवकाश पर रही,राज्य में पुलिस मुख्यालय के साथ साथ गढ़वा में भी पुलिसकर्मी पुलिस लाइन स्थित एसपी कार्यालय के बाहर उपवास पर रहे,सभी के द्वारा सरकार की गलत नीति को ले कर नाराज़गी स्वरूप नारे लगाए गए।
कब हमारी सुनी जाएगी:-हम तो सबकी सुनते हैं,लेकिन कब हमारी सुनी जाएगी",कुछ इसी अंदाज में अपनी व्यथा व्यक्त करते पुलिस एसोसिएसन के अध्यक्ष रवि कुशवाहा ने कहा कि सातवें वेतनमान के अनुसार भत्ता देने सहित कई मांगों को पूरा करने की मांग हम सरकार से कर रहे हैं लेकिन आज कई साल गुजरने के बाद भी हमारी मांग अधूरी है,ऐसे में अब हम तीव्र आंदोलन के मूड में हैं आज सामूहिक उपवास पर हैं अगर मांग पूरी नहीं होती है तो आगे सामूहिक धरना प्रदर्शन,आमरण अनशन और सामूहिक रूप से हड़ताल पर चले जायेंगे।
नहीं सुन रहे खादिवाले:- कह रहे वर्दीवाले,लेकिन नहीं सुन रहे खादिवाले",जी हां इसे अजीब विडंबना और बेईमानी नियत ही कहेंगें की खुद के ज़बान से वर्दी का सम्मान और हर संभव सहायता की बात दुहराने वाले का ज़मीर ज़बान से पूरी तरह जुदा है,हम बात कर रहे हैं सरकार की जिसकी नियत राज्य के पुलिसकर्मियों के प्रति पूरी तरह बेईमान है,तभी तो आज कोई एक दो दिन और सप्ताह माह नहीं बल्कि सालों से पुलिसकर्मियों द्वारा कई मांगों को ले कर करुण फ़रियाद की जा रही है पर हाय रे बेरहम सरकार जो इस ओर से उदासीन और लापरवाह बनी हुई है,ऐसे में यह कहने में कोई अतिशयोक्ति नहीं होनी चाहिए कि काश यहां भी पुलिसिया शासन की व्यवस्था संविधान में निहित होती जिससे सरकार को सत्ता से बेदख़ल कर सत्ता पुलिस अपने हांथों में ले लेती।