वह जिला परिषद हो या नगर परिषद,विकास की अपनी सतत प्रक्रिया है जो देर सबेर चलती रहती है,हम उस विषय पर अभी चर्चा नहीं करेंगें,लेकिन इतना तो जरूर कहेंगें की इन दोनों परिषद के जद्द में आपसी मनमुटाव,अनबन शुरुआत से देखने को मिल रही है,अब इधर एकाएक ऐसा क्या हुआ कि दिन के उजाले में नहीं बल्कि रात के अंधेरे में जुट कर रणनीति बनानी पड़ी,अब किस परिषद के लोग रात में एकत्र हुए और वहां क्या बात हुई आइये न आपको इस ख़बर के जरिये बताते हैं।
आख़िर रात के अंधेरे में बनी कौन सी रणनीति:- जी बिल्कुल यह अपने आप में एक बड़ा सवाल इसलिए है कि दिन के उजाले में ही कभी अकेले तो कभी समूह में जुट कर कई विषयों को ले कर विरोध ज़ाहिर करने वाले वार्ड पार्षदों के सामने आख़िर वह कौन सा ऐसा मुद्दा आ गया जिस ख़ातिर उन्हें दिन में नहीं बल्कि रात के अंधेरे में जुटना पड़ा,हम यहां बात झारखंड के गढ़वा नगर परिषद की कर रहे हैं,जिनके वार्ड पार्षदों द्वारा रात के अंधेरे में जुट कर किसी विषय पर लंबी बहस करते हुए रणनीति बनायी गयी,अब क्या रणनीति बनी इस बावत तो हम कुछ नहीं बता पाएंगें लेकिन इतना जरूर कहेंगें की बात छोटी नहीं बल्कि बड़ी है,हुआ निर्णय छोटा नहीं बड़ा है,अब तो आपके साथ साथ हमें भी बेसब्री से इंतज़ार रहेगा कि वह दिन कब आएगा जब रात के अंधेरे में हुआ वार्ड पार्षदों का निर्णय सबके सामने ज़ाहिर होगा।