पुलिस का काम ज़बान पर नहीं,ज़मीन पर बयां होता है:एसपी
आशुतोष रंजन
गढ़वा
गढ़वा में आने वाले नए पुलिस कप्तान यानी एसपी कैसे हैं यह जानने की उत्सुकता सबमें है,लेकिन पूरी जानकारी तब मिल पाएगी जब वो यहां पहुंच पदभार लेंगें और मीडिया से मुख़ातिब होगें,पर जहां तक अपनी बात उनसे हुई उससे जो मालूमात हुआ उसका कुछ अंश आपको इस ख़बर के जरिये पढ़ाता हूं।
ऐसे अधिकारी हैं श्रीकांत सुरेश:- वह सिविल प्रशासन का अधिकारी हो या पुलिस प्रशासन का,सभी के काम करने के अपने अपने तरीक़े होते हैं,साथ ही कोई अधिकारी नहीं चाहता कि कोई कार्य अधूरा रहे,पर सभी अधिकारियों में से भी कुछ अधिकारी विरले होते हैं,जिनमें इनका नाम भी प्रमुखता से लिया जाता है,तभी तो प्रशासनिक गलियारे में कहा जाता है कि नहीं छोड़ते किसी काम को जो शेष,ऐसे अधिकारी हैं श्रीकांत सुरेश",हम बात गढ़वा के नए एसपी खोत्रे श्रीकांत सुरेश राव की ही कर रहे हैं,बतौर एसपी उनका यह पहला जिला भले हो लेकिन उनकी कार्य दक्षता की चर्चा बहुत पहले से होती है,पुलिस सेवा में आने के बाद वो जिस पद पर भी आरूढ़ हुए उस पद के निमित मिली जिम्मेवारी का बखूबी निर्वहन किया,उसी कार्यकुशलता का ही परिणाम है कि गढ़वा जैसा नक्सल और आपराधिक के साथ साथ कई विषयों को ले कर पेचीदगी वाला जिला उन्हें एसपी के रूप में मिला,उनके पूर्व के कार्यों का सुपरिणाम को नज़र करते हुए ही वरीय अधिकारियों ने उन पर विश्वास जताया है कि वो एसपी के रूप में भी उच्च कार्यदक्षता को परिलक्षित करेंगें।
ज़बान से नहीं,ज़मीन से बयां होता है:- संक्षिप्त बातचीत के दौरान पुलिसिया कार्य के बारे में जिस बेबाकी से उनके द्वारा कहा गया वह उनकी कार्यशैली को प्रमाणित करने के लिए काफ़ी है,उन्होंने कहा कि बिना वहां पहुंचे,पदभार लिए बिना,और जिला की स्थिति से अवगत हुए बिना कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगा,लेकिन इतना जरूर उनके द्वारा कहा गया कि पुलिस का जवान हो या अधिकारी उसका काम ज़बान से नहीं बल्कि ज़मीन पर बयां होता है।
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