बेरंग गुजरी थी होली,बेनूर होगी दिवाली
आशुतोष रंजन
गढ़वा
जिनके कार्यों से पा रहे सभी निवाले,आज उन्हें ही खुद को पड़े हैं भोजन के लाले,जी हां हम बात कर रहे हैं गढ़वा ग्रामीण विकास विभाग में कार्यरत दर्जनों कर्मचारियों की जो आज लगभग एक साल से मानदेय नहीं मिलने के कारण भुखमरी की ज़िंदगी बसर करने को विवश हैं।
वो हैं कार्य करने को मजबूर:- वेतन से हैं दूर,फिर भी विवशता ऐसी की,हैं वो कार्य करने को मजबूर,इस विषम परस्थिति से वो गुजर रहे हैं जिनके द्वारा किये जा रहे कार्यों से दूसरों की स्थिति सुधर रही है,फिर भी उनके हालात को नजर करने वाला कोई नहीं है,आज आलम है कि डीआरडीए के दर्जनों कर्मी पिछले लगभग एक साल से वेतन नहीं मिलने से खस्ताहाल जीवन गुजारने को विवश हैं।
फ़िर ज़ख्म होगा हरा:- बेरंग गुजरी होली,सूखा होगा दशहरा,होगी बेनूर दिवाली,पूछ रहे हैं वो सभी से,कब सुधरेगी हालत माली,आज वेतन मिल जाएगा इस आस के साथ प्रतिरोज़ घर से कार्यालय आने वाले कर्मी दिन भर काम कर फ़िर शाम को खाली हांथ निराश मन से वापस लौट जाया करते हैं,एक कसक के साथ पीड़ित कर्मी कहते हैं कि क्या आम क्या खास सबकी होली रंग से भरी रही पर अपनी होली बेरंग गुजरी,ईद की खुशी मातम में बदली,वहीं अब आने वाले दशहरा में एक बार फिर ज़ख्म होगा हरा,और फीकी होगी अपनी दिवाली,पर अफसोस ना जाने कब सुधरेगी अपनी यह हालत माली।
कैसे चलाएं घर-बार:- अब तो दुकानदार भी नहीं देते उधार,कैसे चलाएं घर-बार,साल भर से वेतन नहीं मिलने के कारण अब तो कर्मियों को दुकानदारों ने भी उधार देना बंद कर दिया,आलम है कि जहां खुद की क्षुधा भूख से व्याकुल है वहीं परिवार भी बिलख रहा है,ऐसे में अब सहन करना मुश्किल हो रहा है।
विभाग रो रहा राशि का रोना:-अभी भी कहां है भुगतान होना,रो रहा है विभाग राशि का रोना,एक तरफ़ वेतन नहीं मिलने के कारण विभागीय कर्मी परिवार सहित भूख से पूरी तरह बेहाल हैं,उधर विभाग राशि आवंटन नहीं होने का रोना रो रहा है,ऐसे में कर्मियों को ना जाने कब तलक होगा भूखे रहना यह सवाल यक्ष प्रश्न बना हुआ है जिसका जवाब अब तक किसी के पास नहीं है।
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