क्या इसका बेजा इस्तेमाल ही होता है.?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

ऐसे तो अपने यहां कमोवेश हर तंजिमें हमारे आपके जरूरत के अनुसार ही बनाई गईं हैं,लेकिन एक कानून ऐसा है जिसके बारे में मैं तो नहीं पर कई ज़ुबानी कहते सुनता आ रहा हूं की इसका ज्यादा बेजा इस्तेमाल ही किया जाता है,हम बात SC एक्ट की कर रहे हैं,जिसके बावत कहा जाता है की सौ में से अस्सी प्रतिशत लोग इसका इस्तेमाल अपने लाभ के लिए ही किया करते हैं,आज इस विषयक लिखे जाने का मेरा तात्पर्य यह है की झारखंड के गढ़वा में कुछ ऐसा ही एक मामला सामने आया है,मुझे यहां बताने की जरूरत इसलिए नहीं है की केवल इस जिले में नहीं बल्कि पूरे राज्य में डॉक्टरों के साथ दुर्व्यवहार मारपीट और उनकी जान तक लेने की कोशिश की जा रही है,बाक़ी और जगहों पर भले कोई असामाजिक तत्वों द्वारा ऐसा किया गया हो पर यहां तो आरोप राज्य सत्ता के प्रमुख धड़ा झारखंड मुक्ति मोर्चा के ऊपर है,क्योंकि डॉक्टरों द्वारा शहर थाना में जो प्राथमिकी दर्ज़ कराई गई है उसमें उक्त राजनीतिक पार्टी के पदधारी नेताओं को ही नामजद किया गया है,जो फिलवक्त ना जाने किस कारण प्रशासनिक कार्रवाई की जद्द से बाहर हैं,खैर यह तो हो गया उस वाक्या की बात जो घटित हुई है,अब आइए मैं मुख्य विषय SC एक्ट पर आता हूं,कारण की डॉक्टरों द्वारा मामला दर्ज़ कराए जाने के बाद नेताओं द्वारा भी डॉक्टरों के विरुद्ध SC एक्ट के तहत मामला दर्ज़ कराया गया है,मैं इससे इनकार नहीं कर सकता की ऐसा नहीं हुआ होगा,लेकिन बात यह है की जब एक SC नेता द्वारा ख़ुद के साथ हुए दुर्व्यवहार के मामले में इंसाफ़ के लिए मामला दर्ज़ कराया गया तो फिर अन्य SC नेता जहां एक ओर इसे सिरे से नकार रहे हैं वहीं दूसरी ओर इसकी मुखालफात भी कर रहे हैं,उनकी मानें तो झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं द्वारा इस एक्ट का बेजा इस्तेमाल किया जा रहा है,जो बिल्कुल गलत है,दो रोज़ पहले भाजपा के जवाहर पासवान और लक्ष्मण राम द्वारा एक प्रेसवार्ता का आयोजन कर झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेताओं द्वारा डॉक्टरों के विरुद्ध दर्ज़ कराए गए SC एक्ट को जहां गलत कहा गया वहीं वकालत करने की जगह पुरजोर ढंग से इसकी मुखालफात की गई,तभी मेरे जेहन में ही नहीं बल्कि सबके मन में एक ही सवाल कौंध रहा है की क्या ऐसा सच में गलत हुआ है,तभी तो SC नेताओं द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है।