क्या आप भी अपने बच्चों को IAS बनाने का सपना देखते हैं.?

राजीव भारद्वाज की कलम से
गढ़वा

बचपन में जब कोई घर पर आता तो बाबूजी बोलते – देखिएगा इसको हम आईएएस अफसर बनाएंगे। का हुआ, जो हम नही बन सकें,मेरा बेटा जरूर बनेगा। और उसके बाद शुरू होता मेहमान का मुझसे प्रश्न,बताओ बेटा ” कै नवां दू तीन चार” हम उच्चरुंग जैसन मुंह बना लेते। खैर मेहमान के जाने पर ले चप्पल, ले गोड़, ले थाप। बाबूजी का सपना एक झटके में टूट जाता,आज कल हम भी अपने बेटा को आईएएस ही बनाने का सोच रहे हैं,और उसी प्रकार कसीदे गढ़ रहे हैं जिस प्रकार हमर बाबूजी गढ़ा करते थे। हां बाबूजी ने कभी मेरे मन की बात नहीं सुनी, लेकिन हम अपन बेटा के मन की बात सुनते हैं,बताओ बेटा रक्षित अगर आईएएस बन जाओगे तो क्या करोगे.?,मन में आया तो पूछ लिया,पापा हम होटवार जायेंगे। आईएएस बनने के बाद की क्या जरूरत है.?,होटवार तो चोरी करके भी जा सकते हो। पापा चोरी के बाद ही,लेकिन पोस्ट बड़ा हो तो इज्जत से जायेंगे। मतलब मकसद होटवार जाने का है! बेटा आपको इस प्रकार की प्रेरणा कहां से मिली.?,आप पेपर नही पढ़ते हैं क्या यहां प्रतिदिन आईएएस की कहानी आ रही है, साहब का क्या रुतबा था, आज क्या हो गया,मैने अपने बेटे को कुछ टिप्स दिया की कैसे आईएएस क्लियर करोगे, जो निम्न प्रकार है,अभी से ही मन में जज्बा रखो की आईएएस बन कर सिर्फ और सिर्फ पैसा कमाना है, इससे तैयारी करने में लगन जागेगी और लगन से कामयाबी सौ प्रतिशत प्राप्त होगी,साक्षात्कार में गरीब और गरीबी को प्रमुखता से प्रसारित करना है,राष्ट्रवाद और जनकल्याण की बात आने पर भावुक हो जाना है।

कर्म को पूजा बताना है,किसी प्रकार के दबाव से नही घबराने जैसी बात करना है और समझौता की बात पर गुस्सा दिखाना है,भ्रष्ट नीति और भ्रष्टाचार का नाम आते ही मुंह पर घृणा का भाव लाना है,देखना फिर कैसे तुम्हारा रिजल्ट आता है। और जैसे ही रिजल्ट आयेगा बेटा तुम्हारी शादी में करोड़ रुपया तो खाली गिफ्ट मिलेगा,यहां दहेज की बात सिरे से नकार देना है,अगर कोई जिला मिला तो,ऐसा कड़क रुतबा बनाना है की लोगों को लगे की कड़क अफसर आया है, जहां जितना डर होगा, मालपानी उतना ही ज्यादा आयेगा। हां पैसा अपने नाम पर कभी मत लेना। फूफा,जीजा,मौसा,मौसी,ड्राइवर के अकाउंट का प्रयोग करना,इससे रिश्तेदारी भी बची रहेगी, कोई रूसेगा भी नही और निचले कर्मी आपके हमेशा आभारी भी रहेंगे,भोकाल जितना टाइट रहेगा, छवि उतना रौबदार।आधी जवानी राज सिंहासन पर बीतेगा और आधी जेल के चबूतरे पर, और बुढ़ापा लिख के ले लो वृद्धा आश्रम में,आईएएस बन जाने के बाद सीधे मुंह किसी से बात मत करना इससे लोगों का डर खत्म हो जायेगा। आम जन में कभी भूल कर भी घुलना मिलना नही, अगर ऐसा करोगे तो सहज पदाधिकारी लगोगे और सहजता से नाम कमाया जा सकता है पैसा नहीं। महीना में एकाध बार छोटे अधिकारी का विलंब से कार्यालय आने पर वेतन काट कर मीडिया में देने से छवि और रौबदार होगी। सड़क किनारे लगे ठेले खोमचे कभी कभी खुद हाथ में डंडा लेकर हटवाना,पाओगे की आम पब्लिक भी तुम्हे सैल्यूट करेगी। गरीबों पर जुल्म करके गरीबों के हक में बात करना,तुम्हारी छवि लाजवाब बनेगी।

गरीब कल्याण की योजना से आधा हक मार लेना, और अपना घर भरना। गरीब का हाय बुढ़ापा में लगता है, जवानी तो ऐश से कटेगा। बुढ़ापा में हाय रोटी, हाय रोटी कहते रहोगे लोग तुम्हारे सामने कुत्ते को दे देंगे लेकिन तुम्हे नही। फिक्र मत करना जवानी में माया तुम्हे धृतराष्ट्र बना देगा, तुम सब देख कर भी देख नही पाओगे। यदि पकड़े जाना तो मीडिया के सामने रो जरूर देना ताकि लोगों को तुम मासूम लगो। पकड़ाने पर जल्द किसी का नाम नही लेना है, क्योंकि हिस्सेदार का भी धड़कन बढ़ा रहे की अब की कब। जेल का खाना सुपाच्य और निरोग रखेगा। समय से उठना और प्रभु भक्ति करना, हो सके तो अभी से ही झाल कूटना शुरू कर दो क्योंकि यही एक वाद्ययंत्र है जिसे तुम आसानी से बजा सकते हो। माया से दूर होने वाला एकाध भजन अगर याद कर लोगे तो जेल के प्रमुख गायक में तुम्हारा नाम सदियों तक सुनाया जाएगा,मेरा बेटा बोला – पापा इतने पढ़ने के बाद और इतने बड़े पद प्राप्त करने के बाद अगर इस प्रकार की दुर्गति होगी तो रिक्शा चला लेंगे लेकिन आईएएस नही बनेंगे। मेरे छह साल का मासूम बच्चा समझ गया लेकिन,खैर मुक्तिधाम से पहले होटवार आपका इंतजार कर रहा है यदि आप उपांकित गुण रखते हो। नाम कमाने में सदियां लग जाती है, बदनाम होने में एक पल ही काफी है,अंत में सामान बांध लिया है मैंने,अब बताओ कहां रहते है वो लोग जो कहीं के नही रहते,बाकी सब फर्स्ट क्लास है।