ई वाला सड़क नगर परिषद में नहीं है का..?
आशुतोष रंजन
गढ़वा
हम भी एकदम से बुड़बक ही हैं,कुछ भी लिख देते हैं,कुछ लोग बड़ी गरियाता भी है,लेकिन का करें विषय ही ऐसा सामने आ जाता है की लिखना ही पड़ता है,अब हम ख़ुद को बुड़बक इसलिए कह रहे हैं की अब आप ही बताइए किसी भी क्षेत्र में विकास का कोई काम एक दो व्यक्ति के कारण थोड़े होता है,अब हम दोनो बेकत,कहने का मतलब की पति पत्नी घर से निकल कर कहीं जाने के दौरान सड़क ख़राब होने के कारण तीन बार गिर पड़े,हमको तो कम चोट आया लेकिन पत्नी को बहुत चोट लगा भाई,दवा देना पड़ा तब जा कर राहत हुआ,मेरे कहने का मतलब है की हम दोनो गिर गए तो इसका मायने यह थोड़े है की हमारे सहूलियत के लिए तुरंत भर में ख़राब सड़क बढ़िया हो जाएगा,मने की बन जाएगा,और लोग बोलेगा,गुहार ले कर दौड़ लगाएगा,तब न इस ओर बनाने वाले का ध्यान जाएगा,अब देखिए एक बार फिर हम अपने आप को पूरा बुड़बक कहेंगे,काहे की इतना बात कर दिए और उस सड़क के बारे में बताए ही नहीं की वो कहां है,तो बताएं की गढ़वा नगर परिषद क्षेत्र के सहिजना मोहल्ला स्थित हनुमान नगर गेट के सामने जो सड़क है हम बात उसी की कर रहे हैं,वो शुरुआत से ले कर आगे तक इस तरह बदहाल है की उससे हो कर गुजरने वालों के ख़ुद का हाल बिगड़ जाता है,एक हम ही पति पत्नी थोड़े हैं जो उस सड़क में गिरे,और लोग भी चोटिल हुए हैं,बस अंतर इतना ही है की वो दर्द बर्दाश्त करते हुए चुप रह गए,हम दोनो भी दो बार दर्द सहन कर गए,लेकिन तीसरी बार गिरने के बाद जब ज्यादा चोट लगा तो बड़ा ख़राब लगा,काहे की एक रोज़ जब अपने फेसबुक में अपलोड फोटो देखने लगे तो पिछले नगर परिषद चुनाव रोज़ का फोटो नज़र आया जिसमें संयोग से हम दोनो का ही उस वक्त का फोटो था जब हम वोट दे कर मतदान केंद्र से बाहर आए थे,उसी क्षण मन में आया की कुछ बात तो लिखना बेहद ज़रूरी है,और यह पूछते हुए लिखना ज़रूरी है की क्या वोट हम दोनो चोट खाने के लिए दिए थे.?