गढ़वा में आयोजित हुआ था भाजपा का टिफिन बैठक
आशुतोष रंजन
गढ़वा
राजनीति में देखा जाए तो भाजपा ही वो पार्टी है जिसके द्वारा किसी चुनाव के मद्देनजर नहीं बल्कि ऐसे भी साल के बारहों महीने सांगठनिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहते हैं,लेकिन फिर भी अंदरखाने में सबकुछ ठीक प्रतीत नहीं होता दिखता है,या यूं कहें तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी की एक दल में होने के नाते मंच पर सभी एक साथ मौजूद तो रहते हैं पर जो नज़र आता है उसके अनुसार वो दिल से साथ नहीं होते पर ऊपर से ले कर नीचे तक यानी राज्य से ले कर जिला तक भाजपा अपने कुनबे को समेटने के साथ साथ उनके आपसी मनमुटाव को दूर करने के कवायद में जुट गया है,बाबूलाल मरांडी के प्रदेश अध्यक्ष बनते ही उनका रघुवर दास से मुलाकात होना,और उधर रघुवर दास का अर्जुन मुंडा से हाथ मिलाते हुए गर्मजोशी से मिलना जहां भाजपा के सेहत के लिए ठीक बताया जा रहा है वहीं यह मुलाकात राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय भी बना हुआ है,पर बात अगर हम गढ़वा जिला की करें तो यहां की राजनीति भी कम महत्वपूर्ण नहीं है,अन्य राजनीतिक पार्टियां भले एकजुट दिखाई दे रही हों पर भाजपा में सबकुछ ठीक नहीं दिख रहा है,आखिर ऐसा क्यों,तो आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताता हूं।
या मंच पर जाने से: – ऐसे तो लोग कुछ अलग करने वाले व्यक्ति के गतिविधि पर नज़र रखा करते हैं,लेकिन अगर आप राजनीति से जुड़े हैं तो आपका हर क्रियाकलाप देखा जाता है,और लोग चर्चा भी किया करते हैं तभी तो कुछ रोज़ पहले ही गढ़वा में आयोजित भाजपा का टिफिन बैठक राजनीतिक गलियारे के साथ साथ आम लोगों के बीच भी चर्चा का विषय बना हुआ है,वो किस रूप में इस बावत आपको बताएं की उक्त बैठक में पार्टी के कई नेता शरीक नहीं हुए,उनका वहां नहीं जाने को ले कर लोग यही बात कहते सुने जा रहे हैं की क्या टिफिन के खाने से उन्हें परहेज़ है या मंच पर जाने से,ऐसा हो भी सकता है की हर कोई टिफिन का खाना खाने की इच्छा नहीं रखता है,तभी वो उक्त कार्यक्रम में उनका जाना नहीं हुआ,फिर मुझे याद आता है की जिला में भाजपा नेताओं की संख्या अच्छी खासी है,और वो कार्यक्रम भी तो पार्टी का ही था लेकिन फिर भी नेताओं का नहीं पहुंचना एक बार फिर इस बात को बल दे दिया की गढ़वा भाजपा में पिछले कई सालों से चल रहा आपसी मनमुटाव अब और ज्यादा बढ़ गया है,सवाल उठता है की आगामी लोकसभा और विधानसभा चुनाव को फतह करने को ले कर कवायद में जुटी पार्टी के आला नेताओं को गढ़वा जिला के परिप्रेक्ष्य में पहले क्या करना चाहिए,चुनावी तैयारी में जुटना चाहिए या नेताओं के बीच के आपसी मनमुटाव को दूर करना चाहिए.?,ताकि सही मायने में लक्ष्य हासिल हो सके..?
