नहीं चाहता हूं देखना किसी का चेहरा उदास: बिकाश दुबे
आशुतोष रंजन
गढ़वा
बस उनसे जुड़ा रहे आपका सहयोग वाला हाथ,क्योंकि जन्म से जनाज़े तक हैं वो आपके साथ ऐसे कई कसीदे उनके कृतित्व के आगे कम पड़ जाएगा क्योंकि जिस तरह एक समाजसेवी के रूप में उनके द्वारा समाजसेवा किया जा रहा है वो एक उदाहरण बनते जा रहा है,आप पूछिएगा की आख़िर किसके बारे में इतना कहा जा रहा है तो आपको बताऊं की मैं बात यहां समाजसेवी सह विश्रामपुर विधानसभा क्षेत्र से भावी विधायक प्रत्याशी बीकाश दुबे की कर रहे हैं,तो आइए उनके द्वारा किए जा रहे समाजसेवा के बावत आपको बताता हूं।
तो गम में भावुक होते हैं वो: – आइए जानिए कैसे हैं वो,मैं कहूं तो ऐसे हैं वो,खुशी में मुस्कुराते तो गम में भावुक होते हैं वो”,कहा गया है की दूब का दर्द वही जान सकता है जिसके दिल की धरा नरम हो,तभी तो आज उनके द्वारा क्षेत्र के लोगों के सालों की जड़वत पीड़ा को दिली शिद्दत से महसूस करते हुए उसका समाधान किया जा रहा है,जहां एक ओर उनके द्वारा हर रोज़ सुबह में अपने घर पर पहुंचने वाले लोगों से उनकी परेशानी सुनी जाती है,किसी को अगर सहयोग की दरकार है तो उस सहयोग की जाती है,उधर हर रोज़ क्षेत्र के गांव में पहुंच ग्रामीणों की समस्या सुनने के साथ साथ उसका समाधान किया जाता है,किसी के हारी बीमारी में आर्थिक सहयोग से ले कर पर्व त्योहार को निर्विघ्न संपन्न कराने के निमित भी सहयोग की जा रही है,तभी तो आगामी मुहर्रम को ले कर कांडी मुख्यालय में स्थित सुन्नत इस्लामिया मुहर्रम कमिटी को उनके द्वारा इक्कीस हज़ार रुपए का सहयोग किया गया,साथ ही मौक़े पर सभी से कहा गया की हर पर्व त्योहार को आपसी भाईचारे और मिल्लत के साथ संपन्न कराने का पुराना इतिहास गढ़वा के नाम दर्ज़ है,गंगा जमुनी तहज़ीब का जीवंत उदाहरण इस बार भी कायम हो इसलिए मुहर्रम को अमन और सुकून के साथ मनाएं,साथ ही कहा की मैं हर वक्त अपने क्षेत्र के लोगों के लिए मौजूद हूं,मैं बस यही चाहता हूं की किसी का उदास चेहरा ना देखूं,सभी के चेहरों पर सुकून की मुस्कान और अपना क्षेत्र खुशहाल हो।