क्यों घबराने लगे सरकार से..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

लगातार तबियत नासाज़ रहने के कारण कल घटित हुई गोलीचालन की घटना को ख़बर में समाहित नहीं कर सका,क्योंकि कल शाम से कुछ ज्यादा ही तबियत ख़राब है,आपको तो जानकारी है ही की गढ़वा रेहला मुख्य सड़क पर अवस्थित बेलचंपा गांव निवासी अमित कुमार सिंह उर्फ बाबुल सिंह जो ज्ञान निकेतन स्कूल के संचालक भी हैं और राजनीति से भी जुड़े हैं,कल देर शाम जब वो छठ घाट से लौट रहे थे तो उनकी जान लेने की नियत से अपराधियों द्वारा उन पर गोली चलाई गई,गोली उनको लगी,लेकिन मारने वाले से बड़ा बचाने वाला होता है,तभी तो उनकी जिंदगी बच गई,लेकिन यहां हम एक बात ज़रूर कहना चाहेंगे की गोली भले अमित सिंह को लगी पर निशाना तो कहीं और है,वो कैसे,आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं।

निशाना गिरिनाथ सिंह: – अमित सिंह को जितना मैं जानता हूं उससे कहीं ज्यादा आप ज़रूर जानते होंगें,व्यवहार कुशल,मृदुभाषी और बड़ा कम बोलने वाले,किसी से मिलने पर उसका पूरा हाल जानने वाले अमित सिंह को अपराधियों द्वारा चलाई गई जो गोली लगी उसके बावत चर्चा यही बलवती हो रही है और सूत्र भी बता रहे हैं की गोली अमित सिंह को ज़रूर मारी गई लेकिन निशाना तो कहीं और लगाया गया है,आप अमित सिंह को अक्सर पूर्व मंत्री सह भाजपा के प्रदेश कार्यसमिति सदस्य गिरिनाथ सिंह के साथ देखे होंगें,कार्यक्रम छोटा हो या बड़ा हर जगह अमित साए की तरह उनके साथ मौजूद रहते हैं,यहां पर बताना शायद मुझे ज़रूरी नहीं है की पहले से कहीं ज्यादा वर्तमान गुजरते वक्त में गिरिनाथ सिंह राजनीति में सक्रिय हैं,आवास पर आने वाले ग्रामीणों से मिल कर उनके समस्या का समाधान करने को प्रयासरत रहने के साथ साथ हर रोज़ अहले सुबह से देर शाम तक कई गांव में पहुंच लोगों का हाल जानने वाले गिरिनाथ सिंह द्वारा जहां एक ओर गुजरे दुर्गा पूजा के दरम्यान गढ़वा विधानसभा क्षेत्र के सभी छोटे बड़े पूजा पंडालों में पहुंच दर्शन पूजन के साथ साथ आयोजन समिति को सहयोग किया गया तो वहीं दूसरी ओर छठ महापर्व में भी वो हर घाट पर पहुंचे और वहां भी क्लब और ग्रुप को सहयोग दिया गया,अब यहां पर यह भी कहना ज़रूरी है की राजनीति में सक्रिय होना विरोधी राजनेताओं को सहन नहीं होता यह पुराना शगल है,बस इसलिए चर्चा है की गिरिनाथ सिंह के तेज़ होते राजनीतिक क़दम को रोकने के ख्याल से इस गोलीचालन की घटना को अंजाम दिलाया गया है,सूत्र बता रहे हैं की यह राजनीतिक साज़िश है।

क्यों घबराने लगे सरकार से: – घटना के बाद यह सवाल हमारे साथ साथ सबके जेहन में कौंध रहा है की अभी तो बहुत वक्त है,क्यों अभी से ही सरकार से घबराने लगे.?, सरकार लिखने का मतलब आप राज्य और केंद्र सरकार मत समझ लीजिएगा,बहुत लोग तो इसका मतलब समझ रहे होंगें जो नहीं समझ पाए उनके लिए बता दूं की रंका राज परिवार से ताल्लुक रखने वाले गिरिनाथ सिंह चाहे अपने आवास पर हों या क्षेत्र में लोग उन्हें प्यार और अदब से सरकार ही कहा करते हैं,यह मुझे उस वक्त ज्ञात हुआ जब 2007 में एक बार उनके साथ मुझे क्षेत्र में जाने का मौक़ा मिला,उनका स्वागत देख मैं अभिभूत हो गया था,क्योंकि एक राजा का स्वागत होते हुए मैं फिल्मों में ही देखा था,लेकिन खुली नज़रों से देख मैं आवाक रह गया था,कहने का मतलब की सरकार यानी गिरिनाथ सिंह को लोग अपने दिलों में पेवस्त रखे हैं,और जब इधर इनकी सक्रियता तेज़ हुई है तो लोग भी काफ़ी आह्लादित हैं,लेकिन इनका राजनीति में तीव्रता से सक्रिय होना,लोगों का आह्लादित होना और जहां भी क्षेत्र में जाने पर उनका ही नाम सुनने पर विरोधियों के कलेजे पर विषधर लोट रहा है,बस इसीलिए सूत्रों का मानना है की हो सकता है अमित सिंह के ऊपर गोली चला कर उन पर निशाना साधा गया हो,पर शायद विरोधियों को इसका इल्म नहीं की गिरिनाथ सिंह ऐसे गीदड़भभकियों से घबराने वाले नहीं हैं,बल्कि इस घटना से उनके हौसले को परवाज़ मिली है,और यहां पर एक लाइन ज़रूर लिखना चाहूंगा की अगर इसी तरह उनके रास्ते में व्यवधान लाया जाता रहा तो आगामी विधानसभा चुनाव में गढ़वा विधानसभा क्षेत्र का परिणाम देखने लायक होगा।