क्या ऐसे कार्यक्रम में कोई अधिकारी सो सकता है.?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

लगातार कार्यालय का काम भी संपादित करना और साथ ही जनता दरबार में भी शिरकत करना,ऐसे भागदौड़ के बीच में पूरी नींद नहीं सो पाने की सूरत में अगर कभी किसी कार्यक्रम में अधिकारी को थोड़ी झपकी आ ही गई तो कौन सा बड़ा बवेला हो गया,अरे भाई वो भी एक इंसान हैं और कहा भी जाता है की हर व्यक्ति को कम से कम आठ घंटे ज़रूर सोना चाहिए ताकि शरीर स्वस्थ रह सके,अब एक अधिकारी को स्वस्थ रहना तो बेहद ज़रूरी ही है क्योंकि उन्हें कई जिम्मेवारियों का निर्वहन जो करना है,लिखते लिखते हम इतना लिख दिए लेकिन बताए ही नहीं की किस कार्यक्रम में अधिकारी के सोने की चर्चा हो रही है तो आइए आपको बताऊं।

BDO साहेब सो रहे हैं या कुछ सोच रहे हैं: – हमने ख़बर का शीर्षक दिया है की BDO साहेब सो रहे हैं या कुछ सोच रहे हैं,भले एक तस्वीर को ले कर चर्चा हो रही है की जनता दरबार में मौजूद कांडी बीडीओ मंच पर ही सो गए,लोग कहें लेकिन मैं कैसे कह दूं,दो बातें हो सकती हैं,एक ओर जहां लगातार व्यस्तता के कारण थोड़ी झपकी आ भी सकती है तो उधर दूसरी ओर कभी कभी लोग ऐसे आंख बंद कर किसी की बातों को ध्यान से सुनते और कुछ सोचते भी हैं,तो हो सकता है की बीडीओ साहेब अपनी आंखें बंद कर कुछ सोच ही रहे हों,ख़ैर बात कुछ भी हो लेकिन इतना ज़रूर है की राज्य में अनवरत आयोजित हुए उक्त जनता दरबार रूपी ड्रामे में लोगों के कितने ज़रूरी कामों का पटाक्षेप हुआ यह तो आने वाला वक्त बताएगा,लेकिन इतना ज़रूर कहेंगे की प्रतिरोज़ अपने कार्यालय में ग्रामीणों से मिल कर उनकी समस्या का समाधान करने वाले वरीय से ले कर उनके अधीनस्थ अधिकारी हलकान बहुत हुए,सारी बातें हो गईं लेकिन एक बार फिर याद आया तो पूछ रहा हूं की क्या BDO साहेब सच में सो गए थे या आंख बंद कर कुछ सोच रहे थे.?