पलामू में अफीम की खेती के खिलाफ एकजुट हुए ग्रामीण

पलामू में अफीम की खेती के खिलाफ एकजुट हुए ग्रामीण

जहां हुई थी मुठभेड़ उस इलाके के लोगों ने ली शपथ

इस दौरान लोगों को वैकल्पिक खेती के बारे में भी दी गई जानकारी



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन आज
बिंदास न्यूज, गढ़वा


डालटनगंज : जिले में अफीम की खेती के खिलाफ ग्रामीण एकजुट हो गए। सैकड़ों की संख्या में ग्रामीणों ने अफीम की खेती के खिलाफ शपथ ली। पलामू के मनातू थाना क्षेत्र के मिटार इलाके के ग्रामीणों ने अफीम की खेती नहीं करने की शपथ ली। मिटार प्रतिबंधित नक्सली संगठन टीएसपीसी प्रभावित इलाका रहा है।

सितंबर महीने में टीएसपीसी के साथ इसी इलाके में दो बार मुठभेड़ हुई थी। पहली बार टीएसपीसी प्रभावित इलाके में ग्रामीणों ने अफीम की खेती नहीं करने की शपथ ली है और एकजुटता दिखाई। मिटार इलाके में 2025 में 42 लोगों पर एफआईआर दर्ज हुआ था। जबकि मनातू थाना क्षेत्र में 132 एफआईआर दर्ज हुआ है।

मनातू का इलाका अफीम की खेती को लेकर चर्चित रहा है। इलाके में बदलाव के लिए कई योजनाओं पर कार्य हो रहा है। ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है ताकि वे मुख्यधारा से जुड़े – मदन कुमार सुमन, प्रखंड विकास पदाधिकारी, मनातू

ग्रामीणों को दी गई वैकल्पिक खेती की जानकारी

प्रशासन द्वारा अफीम के खिलाफ शपथ लेने वाले ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती के तरीकों के बारे में बताया गया। इसके अलावा ग्रामीणों को पशुपालन, दूध उत्पादन, कुटीर उद्योग, खेती के अन्य तरीकों की भी जानकारी दी गई। इस दौरान मनातू के प्रखंड विकास पदाधिकारी, मनातू के सर्किल इंस्पेक्टर अनिल कुमार सिंह, थाना प्रभारी निर्मल उरांव, विधायक प्रतिनिधि उदेश यादव, जेएसएलपीएस की बीपीएम कुमारी नम्रता समेत कई अधिकारी मौजूद थे।

ग्रामीणों को जागरूक किया जा रहा है। साथ ही इससे होने वाले नुकसान के बारे में भी जानकारी दी जा रही है – अनिल कुमार सिंह, इंस्पेक्टर

ठंड पड़ते ही शुरू हो जाती है अफीम की खेती

दरअसल, ठंड के शुरुआत के साथ अफीम की खेती की तैयारी शुरू हो जाती है। अक्टूबर में खेतों की जुताई की जाती है और फिर नवंबर-दिसंबर तक अफीम का पौधा लगाया जाता है। वहीं, फरवरी के अंतिम सप्ताह में अफीम तैयार हो जाता है और तस्करी शुरू हो जाती है। इस बार पुलिस ने ठंड शुरू होने से पहले ही जागरूकता अभियान शुरू कर दिया है। झारखंड लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी की बीपीएम कुमारी नम्रता ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती के बारे में ट्रेनिंग दे रही हैं और जानकारी भी दे रही हैं।

ग्रामीणों से अफीम की खेती नहीं करने की अपील की जा रही है। अगर फिर भी ग्रामीण अफीम की खेती करते हैं तो ऐसे लोगों पर कार्रवाई की जाएगी। ग्रामीणों को वैकल्पिक खेती के बारे में भी जानकारी दी जा रही है।
– निर्मल उरांव, थाना प्रभारी, मनातू

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Ashutosh Ranjan

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