भवन तो है लेकिन स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है

भवन तो है लेकिन स्वास्थ्य उपकेंद्र नहीं है

10 वर्षों पूर्व बने लाखों के भवन में आजतक कभी नहीं आए स्वास्थ्यकर्मी न हुआ मरीजों का इलाज

बिना उपयोग के ही भवन हो गया जर्जर

अब यह हो गया जुआ व नशाखोरी का अड्डा

केवल ठेकेदारी के लिए खेली गई सार्वजनिक संपत्ति की होली


दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा

गढ़वा : दस वर्षों से हाथी के दांत की तरह खड़े स्वास्थ्य उपकेंद्र के एक भवन को पंचायत के लोगों के स्वास्थ्य से कोई मतलब नहीं है। क्योंकि इस केंद्र में ना तो कभी स्वास्थ्य कर्मी रहे और ना ही किसी रोगी का इलाज हुआ। किसी भी भवन को स्वास्थ्य केंद्र तभी कहा जा सकता है जब वहां डॉक्टर, स्वास्थ्य कर्मी, दवाएं, इलाज से संबंधित संसाधन व मरीज मौजूद हों। लेकिन झारखंड के गढ़वा जिलांतर्गत कांडी प्रखंड के पंचायत मुख्यालय ग्राम घटहुआं कला में 2016 में निर्मित स्वास्थ्य उपकेंद्र का भवन अनुपयोगी पड़े पड़े जर्जर हो गया। इसमें कभी किसी मरीज का ना तो इलाज हुआ और न उसे इसके अंदर एक टैबलेट मिला। बावजूद इसके यहां के लोग इसे स्वास्थ्य उप केंद्र ही कहते हैं। चूंकि सरकारी विभाग ने उन्हें कह रखा है कि स्वास्थ्य उपकेंद्र घटहुआं कला के भवन का निर्माण हो रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि इस भवन निर्माण से इसके ठेकेदार, संबंधित अधिकारी एवं अन्य संबद्ध लोगों को ही इसका लाभ मिला है। लेकिन पब्लिक को आजतक कोई लाभ नहीं मिला। उल्लेखनीय है कि 8000 की आबादी वाले घटहुआं कला पंचायत में सरकारी स्वास्थ्य सुविधा शून्य है। आज भी यहां के लोगों को पंचायत की सीमा रेखा के अंदर नीम हकीम झोलाछाप एवं टोना टोटका झाड़ फूक पर ही निर्भर रहना पड़ता है। हल्की बीमारी में भी उन्हें 25 किलोमीटर मझिआंव एवं 50 किलोमीटर गढ़वा की यात्रा करनी पड़ती है। क्योंकि प्रखंड मुख्यालय कांडी में भी अवस्थित अस्पताल रेफर अस्पताल है। वहां से भी अधिकांश मरीजों को मझिआंव ही भेजा जाता है। इसका नतीजा है कि संस्थागत प्रसव का लाभ लेने के लिए भी लोगों को मझिआंव एवं गढ़वा की यात्रा करनी पड़ती है। इसमें अगर किसी तरह विलंब या कोई कॉम्प्लिकेशन हुआ तो उसका नतीजा जच्चा और बच्चा में से किसी की मौत या मरीज को लेकर गढ़वा या रांची की यात्रा करनी पड़ती है। जिसमें यहां की बहुत बड़ी आबादी सक्षम नहीं है। गांव का स्वास्थ्य उप केंद्र यदि चालू होता और यहां स्वास्थ्य कर्मियों का पदस्थापन होता तो हल्की-फुल्की दवाएं एवं चिकित्सकीय परामर्श तो उपलब्ध होता। जिससे लोगों को सही जानकारी मिलती तथा नीम हकीमो, झोलाछाप एवं झाड़ फूंक टोना टोटका से बच जाते। लेकिन इसकी चिंता किसी को नहीं है। तारीफ की बात तो यह है कि यह स्वास्थ्य केंद्र उस विधायक के कार्यकाल में बना है जो 2019 से 2024 तक झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री रहे हैं। बावजूद इसके घटहुआं कला पंचायत के लोगों को नाम मात्र के लिए भी सरकारी स्वास्थ्य सुविधा उपलब्ध नहीं हो सकी।

15 दिनों के लिए दिया गया था नजर को धोखा :- 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान नेताओं के गांव में आने पर एक अदद स्वास्थ्य उपकेंद्र के भी चालू नहीं रहने की फरियाद की गई थी। उस दौरान इसे तत्काल चालू कराए जाने का भरोसा दिया गया था। चुनाव पीरियड में 15 दिनों तक एक एएनएम आ रही थी। उसके बाद ना तो उसका और ना और किसी स्वास्थ्य कर्मी का ही कोई पता चला। ग्रामीणों ने कहा कि वह नजर को धोखा दिया गया था।

वर्तमान में जुआ व नशाखोरी का अड्डा बन गया है हेल्थ सेंटर का जर्जर भवन :- 10 वर्षों की अवधि में भले ही एक दिन के लिए भी स्वास्थ्य उपकेंद्र काम नहीं किया हो लेकिन बिना देखभाल के भवन जर्जर हो गया है। दरवाजा खिड़कियां भी या तो टूट चुकी हैं या चोरी हो गईं। पूरा भवन पानी बरसात के कारण काला पड़ गया है। इसी तरह प्लास्टर भी टूटकर गिरता जा रहा है। वैसे इसमें जुआ व नशाखोरी का अड्डा बन चुका है।

क्या कहते हैं सीएमओ :- जिला के मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी सह सिविल सर्जन डॉ जेएफ केनेडी ने कहा कि देखते हैं स्टाफ होने पर वहां स्टाफ भेजेंगे।

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Ashutosh Ranjan

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