भला ज़िंदा मछली कैसे निगल जाऊं..?

भला ज़िंदा मछली कैसे निगल जाऊं..?

फर्जी कागज़ पर कितना ईमानदारी से कार्य किए होंगे PHED वाले ठेकेदार..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

गांव देहात में लोग एक बहुत प्रचलित कहावत कहा करते हैं कि ज़िंदा मछली कैसे निगल जाऊं यानी पूरी सच्चाई जानते हुए उसे सिरे से झुठला दूं,उसी कहावत को दुहरा रहे हैं झारखंड के गढ़वा से भाजपा विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी,ऐसा उनके द्वारा आख़िर किस संदर्भ में कहा जा रहा है,आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं।

कितना ईमानदारी से कार्य किए होंगे PHED वाले ठेकेदार : – मुझे पूरी जानकारी तो है नहीं लेकिन इतना ज़रूर मालूम है कि वैसी बड़ी योजना जिसका काम टेंडर यानी निविदा प्रक्रिया के ज़रिए होता है,जिसके संवेदक द्वारा कई तरह के कागज़ात समर्पित किए जाते हैं तब जा कर उन्हें उक्त योजना का काम मिला करता है,लेकिन विधायक की मानें तो पीएचईडी विभाग का काम करने वाले कई ठेकेदार ऐसे हैं जिनके द्वारा पूरी कागज़ात कौन कहे उनके द्वारा फर्जी कागज़ के ज़रिए काम लिया गया,इससे सहज अंदाज़ा लगाइए कि जिस ठेकेदार द्वारा काम हेतु फर्जी कागज़ात समर्पित किया गया होगा उसके द्वारा किस समर्पण और ईमानदारी से धरातल पर काम किया गया होगा,विधायक ने कहा कि क्या ऐसे हालत में उक्त योजना की जांच नहीं होनी चाहिए,क्योंकि कोई भी योजनाएं जनहित के लिए आती हैं लेकिन जब इस तरह पूरी ईमानदारी से नहीं बल्कि बेइमानी में आकंठ डूब कर काम हुआ होगा तो जन का कितना हित हुआ होगा,साथ ही लोगों का कितना विकास हुआ होगा..?

भला ज़िंदा मछली कैसे निगल जाऊं : – मैं एक जनप्रतिनिधि हूं और मुझे लोगों द्वारा एक आशा और विश्वास को अपने दिल में समाहित कर के अपना विधायक बनाया गया है,अब मैं उनके विश्वास पर खरा नहीं उतरूं तो मेरा जनप्रतिनिधि बनना पूरी तरह बेमानी साबित होगा,साथ ही कहा कि एकदम सही कहावत है कि सबकुछ जानते और समझते हुए ज़िंदा मछली कैसे निगल जाऊं,यानी जिस तरह फर्जी कागज़ के ज़रिए काम ले कर धरातल पर नहीं उतारा गया है और बेइमानी करने के साथ साथ फर्जीवाड़ा करने के साथ साथ सरकारी राशि को लुटा गया है उसकी जांच कैसे नहीं कराऊं,इसलिए मैं पीएचईडी विभाग से पूर्व में हुए सभी योजनाओं के विषयक सदन में सवाल उठाने के साथ उसकी जांच कराऊंगा और वैसे संवेदकों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई कराऊंगा ताकि इस विभाग के साथ साथ अन्य सभी विभागों के संवेदक चेत जाएं और पूरी ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ काम करते हुए विकास योजनाओं को धरातल पर उतारें।

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Ashutosh Ranjan

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