कॉफ़ी विद एसडीएम

कॉफ़ी विद एसडीएम

एसडीएम ने परंपरागत बैंड और ढोल वादकों के साथ कॉफी पर किया संवाद

ढोल बैंड वादकों ने सुनाई व्यथा, कहा कि उनकी जीविका को ले डूबा डी.जे.

आर्थिक संकट से जूझते हुये धीरे-धीरे छोड़ रहे हैं व्यवसाय, कर रहे हैं पलायन

डीजे पर बैन लगने से ढोल-नगाड़ा वालों में फिर से जगी है उम्मीद

लघु ऋण उपलब्ध कराकर प्रोत्साहित किया जाएगा, सरकारी योजनाओं से जोड़ा जायेगा : एसडीएम



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा


जैसे डीजे ने ढोल नगाड़ा वालों की कमर तोड़ दी। वैसे ही कई नए प्रचलन ने पारंपरिक पेशे को निगल लिया है। आज के परिप्रेक्ष्य में परंपरागत ढोल नगाड़ा वालों की दशा व उनकी अपेक्षाओं से रूबरू होने के लिए एसडीएम ने अपने अभिनव कार्यक्रम में आमंत्रित किया। कहां कैसे आइए इस खबर के जरिए आपको भी बताते हैं। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने अपने एक घंटे के नियमित साप्ताहिक कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में बुधवार को अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत ढोल, नगाड़ा, मांदर, देशी बैंड, भांगड़ा आदि के व्यवसाय से अपनी जीविका चलाने वाले वाद्य कलाकारों को कॉफी पर आमंत्रित कर उनसे संवाद किया।

इस दौरान न केवल उनकी निजी समस्याओं को सुना बल्कि सभी ढोल-बैंड वादकों के समक्ष आ रही व्यावसायिक दिक्कतों और प्रशासन से उनकी अपेक्षाओं के बारे में जाना गया। उनसे महत्वपूर्ण सुझाव भी लिए गए। एसडीएम के निमंत्रण पर अलग-अलग प्रखंडों से अनुमंडल कार्यालय पहुंचे इन लोगों ने एक-एक कर अपनी बात रखी। जिस पर एसडीएम संजय कुमार ने सभी की शिकायतों और सुझावों पर यथासंभव पहल करने का भरोसा दिलाया।

ज्यादातर आमंत्रित सदस्यों ने डीजे पर पाबंदी के निर्णय पर हर्ष व्यक्त किया। साथ ही गढ़वा में इस निर्णय के प्रभावी अनुपालन पर प्रशासन को धन्यवाद दिया। इस दौरान कुछ लोगों ने क्षेत्र की विधि व्यवस्था से जुड़ी कई महत्वपूर्ण सूचनाओं एवं रचनात्मक सुझाव भी दिये।

एक डीजे बीस आदमी का छीन रहा है व्यवसाय: पंजाबी भांगड़ा संचालक सदर प्रखंड के वाल्मीकि कुमार ने कहा कि उनके भांगड़ा समूह में 20 लोग काम करते हैं। किंतु जब डीजे के चलते उनका काम कम हुआ तो इससे सीधे 20 लोगों की जीविका प्रभावित हुई है। उन्होंने इन सभी 20 लोगों के लिए किसी सामूहिक बीमा योजना या किसी अन्य सामाजिक सुरक्षा योजना से जोड़ने हेतु एसडीएम से पहल करने का अनुरोध किया

पूंजी बढ़ाने के लिए लघु ऋण चाहिए: गढ़वा के बिनाका बैंड के संचालक नंदलाल ने कहा कि उन्हें अपने परंपरागत बैंड बाजा व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए पूंजी की जरूरत है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर से लघु ऋण दिलवाने की पहल की जाए। उन्होंने कहा कि बच्चे और बूढ़ों के लिए डीजे समान रूप से खतरनाक है। इसका बहिष्कार किया जाना चाहिए।

मजबूरी में करना पड़ रहा है पलायन: डंडा प्रखंड के गढौता गांव के मनोज रवि ने कहा कि परंपरागत काम घटते जाने के चलते इस व्यवसाय से जुड़े लोगों को मजबूरन रोजी-रोटी के लिए पलायन करना पड़ रहा है। मनोज रवि अमेरिका बैंड के नाम से पांच लोगों को अपने साथ जोड़कर रोजगार देने का काम कर रहे हैं।

दो बेटों को नहीं करने दिया बैंड व्यवसाय: गढ़वा के महेंद्र राम ने कहा कि पहले जन्मदिन, सगाई और ऐसे ही कार्यक्रमों में ढोल और बैंड को बुलाया जाता था। किंतु अब इन सबका स्थान डीजे ने ले लिया है। ऐसे में उन्होंने अपने तीन में से दो बेटों को बाहर काम करने भेज दिया है। क्योंकि उन्हें पता है कि अब यह व्यवसाय उनका पेट भरने के लिए काफी नहीं है। मजबूरन एक बेटा ही उनके साथ इस परंपरागत व्यवसाय से अभी जुड़ा है।

डीजे पाबंदी के बाद बड़ी उम्मीद से शुरू किया है ढोल व्यवसाय: लगमा खजुरी के 25 वर्षीय सुनील कुमार कहते हैं कि उन्होंने अभी ढोल और बैंड बाजा का नया-नया काम 2 महीने पहले ही खोला है। डीजे पर पाबंदी के बाद उन्हें लगा कि अब ढोल व्यवसाय के दिन वापस आएंगे इसी आशा में उन्होंने आसपास के 20 लोगों को जोड़कर इस परंपरागत काम को शुरू किया है।

दोबारा से काम शुरू करने के लिए गुजरात से लौटे :- राजा बैंड के नाम से ढोल ताशा का काम करने वाले बाना, मेराल के अखिलेश ने बताया कि वे काम करने के लिए गुजरात चले गए थे। किंतु डीजे बैन की खबर से खुश होकर वे वापस अपने गांव लौट आए हैं। अब वे पांच अन्य लोगों को साथ लेकर दोबारा से ढोल भांगड़ा के क्षेत्र में उतर रहे हैं।

जितनी मेहनत है उतनी मजदूरी नहीं :- मेराल में संगम म्यूजिकल ग्रुप के संचालक अनिल राम ने कहा कि ढोल ताशे का काम सीजनल है। ऊपर से डीजे के बढ़ते प्रचलन से उनकी कमर टूट गई है। इस क्षेत्र में जितनी मेहनत है उतनी मजदूरी नहीं मिलती है। इसलिए उन सभी का मनोबल टूट रहा है। उन्होंने कहा कि लोग डीजे के लिए लाख रुपए भी दे सकते हैं। किंतु ढोल वालों के लिए 2000 रु भी बड़ी मुश्किल से निकलते हैं।

ढोल भांगड़ा वाले नशे से करें तौबा :- सुपरस्टार पार्टी के नाम से बैंड पार्टी चलाने वाले जरही निवासी यमुना प्रसाद ने कार्यक्रम के दौरान अपने अन्य साथियों से अपील की कि वे लोग काम के दौरान नशे का सेवन न करें। क्योंकि इससे व्यवसायिक छवि खराब होती है। उन्होंने कहा कि कई बार डीजे वालों के सहयोग से उनकी बैंड पार्टी को भी डीजे के साथ काम करने के लिए अवसर मिलता है। किंतु भयंकर ध्वनि प्रदूषण के बीच उन्हें कभी सहज महसूस नहीं होता।

निजी शिकायतें भी रखीं गईं :– इस दौरान आमंत्रित सदस्यों ने अपनी कई निजी शिकायतें भी एसडीम के समक्ष रखीं। डंडा प्रखंड के उमेश कुमार ने आवास योजना तथा राशन कार्ड में नाम नहीं जुड़ने की बात कही। वहीं बाल्मीकि कुमार ने म्यूटेशन के संबंध में और यमुना प्रसाद ने जरही व डंडई के बीच अधूरे पड़े पुल की बात रखी।

अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया :- अंत में एसडीएम संजय कुमार ने सभी की समस्याओं और शिकायतों पर यथासंभव पहल करने का भरोसा दिया। साथ ही सभी को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया। इस दौरान दिनेश कुमार, रमेश कुमार, धीरज कुमार, अमन कुमार व रवि कुमार आदि ने भी अपने विचार रखे।

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Ashutosh Ranjan

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