बच्चों के बीच करवाई निबंध प्रतियोगिता, अपने हाथों से वितरित किए स्कूल बैग
मिड डे मील में बच्चों के साथ एसडीएम ने किया भोजन
“शराब के दुष्प्रभाव” विषय पर हुयी निबंध प्रतियोगिता में दो छात्रों को किया गया पुरस्कृत
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा: धुन के धनी व लक्ष्य के प्रति मनसा, वाचा, कर्मणा समर्पित एसडीएम संजय कुमार अवैध शराब को उसके मायका व ससुराल दुलदुलवा से विदा करके ही मानेंगे। इसके लिए वे कार्रवाई ही नहीं कर रहे बल्कि हर आयुवर्ग का ब्रेन वॉश भी कर रहे हैं। वह कैसे आइए इस खबर के जरिए आपको भी बताते हैं। सदर एसडीएम संजय कुमार ने गुरुवार को मध्य विद्यालय दुलदुलवा का औचक निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने शिक्षकों तथा छात्रों की उपस्थिति, ड्रॉप आउट की स्थिति, आधारभूत साधनों की उपलब्धता आदि के बारे में जानकारी लेते हुये प्रधानाध्यापक एवं शिक्षकों को शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने की दिशा में ईमानदारी से काम करने तथा नियमित कक्षायें चलाने का निर्देश दिया।
बच्चों को नैतिक शिक्षा का पढ़ाया पाठ: सदर एसडीएम संजय कुमार के साथ प्रखंड शिक्षा प्रसार पदाधिकारी रम्भा चौबे और विद्यालय के शिक्षक गण मौजूद थे। इस दौरान एसडीएम ने कक्षा आठवीं और कक्षा सातवीं के बच्चों को नैतिक शिक्षा का पाठ पढ़ाते हुए अच्छा नागरिक बनने के लिए प्रेरित किया।
शराब के दुष्प्रभाव पर बच्चों से निबंध लिखवाया गया: संजय कुमार ने कक्षा आठवीं और सातवीं के बच्चों को एक साथ बैठाकर “शराब के दुष्प्रभाव” विषय पर निबंध लिखने को कहा। सभी बच्चों ने 100 शब्दों के अंदर शराब और अन्य नशे के दुष्प्रभावों के बारे में लिखा। सर्वश्रेष्ठ दो निबंधों को नकद राशि देकर एसडीम ने बच्चों को पुरस्कृत किया।
गांव की साक्षरता दर बढ़ाने की जरूरत: वर्ष 2011 की जनगणना आंकड़ों के अनुसार 2011 में दुलदुलवा गांव में कुल 910 परिवार थे। लगभग 5000 की तत्कालीन जनसंख्या की साक्षरता दर 61.80 प्रतिशत है। जो कि राज्य की साक्षरता दर यानि 66.41 प्रतिशत से पांच प्रतिशत कम है। गांव की महिला साक्षरता लगभग 50% हैं। जानकारी के अनुसार अब तक गांव के ज्यादातर परिवार अवैध देशी शराब निर्माण में लगे रहे हैं। जिससे बच्चों की शिक्षा में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। अब शराब निर्माण के कारोबार पर प्रभावी रोक लगने से यहां की साक्षरता दर बेहतर होने की उम्मीद है। संजय कुमार ने न केवल प्रधानाध्यापक और शिक्षकों को बल्कि गांव के अभिभावकों से भी अपील की कि वे बच्चों की उपस्थिति बढ़ाने पर जोर दें।
350 में से 250 बच्चे अनुपस्थित मिले: एसडीएम की इस विजिट में लगभग 70% बच्चे अनुपस्थित पाए गए। प्राप्त जानकारी के अनुसार विद्यालय में 350 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं। किंतु मौके पर 100 छात्र-छात्राएं उपस्थित मिले। इनमें से ज्यादातर छात्र-छात्राओं को एसडीएम के भ्रमण के मद्देनजर गांव से तात्कालिक रूप से बुला लिया गया था। शिक्षकों को निर्देश दिया गया कि वे बच्चों के पठन पाठन में गुणवत्तापूर्ण योगदान दें, ताकि बच्चे कम से कम अनुपस्थित रहें।



मिड डे मील में बच्चों के साथ भोजन करने बैठे संजय कुमार: निरीक्षण के थोड़ी देर बाद ही मिड डे मील का समय हो गया था। मिड डे मील की गुणवत्ता जांचने के उद्देश्य से एसडीएम ने सभी बच्चों के साथ खुद भी भोजन किया। भोजन की गुणवत्ता से उन्होंने संतुष्टि व्यक्ति की।
बच्चों को वितरित किए गए बैग: मौजूद सभी बच्चों को स्कूल बैग प्रदान किए गए। जिसे एसडीएम तथा रम्भा चौबे ने संयुक्त रूप से अपने हाथों से प्रदान किया। एसडीएम में कहा कि सभी बच्चों के खातों में नियमानुसार ड्रेस की राशि ससमय हस्तांतरित करना सुनिश्चित करेंगे। साइकिल वितरण एवं छात्रवृत्ति आदि के बारे में भी ससमय कार्रवाई करने का निर्देश दिया।
सुप्रिया कुमारी एवं सोनपरी की कहानी ने सबको भावुक कर दिया: कक्षा चार में पढ़ने वाली दो सगी बहनें सुप्रिया कुमारी एवं सोनपरी ने जब एसडीएम को अपनी दर्द भरी दास्तां सुनाई तो सभी की आंखें नम हो गईं। सुप्रिया बताती हैं कि उनके पिता पिंटू साव का निधन अधिक शराब पीने के चक्कर में लगभग 6 साल पहले हो गया था। उसके बाद उनके दादा उनको पाल रहे थे। तभी उनकी मां ने अन्यत्र कहीं शादी कर ली। उसके बाद दादा जी और उनके चाचा का भी निधन हो गया तो अब दोनों बहनों की देखभाल नाना कर रहे हैं। 10 साल की सुप्रिया और 8 साल की सोनपरी ने एसडीएम से बड़े भावुक अंदाज में कहा कि सर शराब पर रोक लगनी चाहिए। ताकि उनकी तरह और बच्चे अनाथ न हों। संजय कुमार ने उन बच्चों को गले लगाते हुए कहा कि वे अनाथ नहीं हैं। उनकी देखभाल की चिंता करने के लिए बहुत लोग हैं। वे पढ़ाई करें। उन्हें किसी प्रकार की कमी नहीं होने दी जाएगी।
मौजूद थे: इस दौरान प्रधानाध्यापक के अलावा पूनम श्री, अनिल कुमार तिवारी, आर्यन कुमार, अखिलेश्वर पाठक, बलराम पाठक, सुरेंद्र राम, श्रवण कुमार, मूर्ति कश्यप आदि शिक्षक व शिक्षिकाएं मौजूद थे।