गढ़वा का वास्तविक कायाकल्प चाहती है जनता
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा
झारखंड मुक्ति मोर्चा के मीडिया पैनलिस्ट सह केंद्रीय सदस्य धीरज दुबे ने सांसद से अपील करते हुए कहा है कि अब वक्त आ गया है कि जिले के दीर्घकालिक विकास की दिशा में अति महत्वाकांक्षी योजनाओं पर विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने कहा कि छोटे-बड़े उद्घाटन और दिखावटी विकास से इतर जनता अब बुनियादी परिवर्तन चाहती है। जिसमें जिले का वास्तविक कायाकल्प हो। धीरज दुबे ने सांसद से मांग करते हुए कहा कि जिले की महत्वाकांक्षी योजना श्रीनगर – पंडुका सोन पुल का निर्माण कार्य अधर में लटका हुआ है। जिसे गति प्रदान कर जल्द पूरा कराने का प्रयास किया जाना चाहिए। सोन-कोयल नदी के सीमावर्ती क्षेत्र लगातार जमीन कटाव और बाढ़ की समस्याओं से जूझते रहते हैं। इस समस्या से निजात दिलाने के लिए सोन एवं कोयल नदी पर तटबंध निर्माण के लिए सांसद को पहल करनी चाहिए।
दुबे ने कहा कि पलामू सांसद का यह तीसरा कार्यकाल है। गढ़वा-पलामू की अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर निर्भर है। परंतु नीलगाय के आतंक के कारण किसानों का खेती से मोह भंग हो रहा है। नीलगाय से होने वाले नुकसान की भरपाई नहीं हो रही है। अतः केंद्र सरकार के माध्यम से वन संबंधित नियमों में संशोधन कर नीलगाय से होने वाले नुकसान का स्थाई समाधान निकाला जाना चाहिए।
धीरज दुबे ने कहा कि गढ़वा जिला कई मायनों में संसाधनों से भरपूर है। लेकिन योजनाओं के अभाव और राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण यह जिला आज भी पिछड़ेपन का शिकार बना हुआ है। उन्होंने सांसद से आग्रह किया कि वह केंद्र सरकार से समन्वय बनाकर गढ़वा में रेल, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा और उद्योग क्षेत्र में बड़ी योजनाएं लाने का प्रयास करें।
कहा कि सांसद को चाहिए कि वह हर सत्र में संसद में गढ़वा की प्रमुख समस्याओं को जोरशोर से उठाएं। सांसद का दायित्व केवल उद्घाटन करना या शिलान्यास तक सीमित नहीं होना चाहिए। बल्कि उन्हें नीति निर्माण की प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी निभानी चाहिए। झामुमो नेता ने आगे कहा कि युवाओं के लिए रोजगार सृजन एक गंभीर विषय है। गढ़वा जैसे सीमावर्ती जिलों में आईटी पार्क, स्किल डेवलपमेंट सेंटर और छोटे-मझोले उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए विशेष पैकेज की आवश्यकता है। गढ़वा की जनता अब केवल वादे नहीं बल्कि ठोस परिणाम चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर सांसद इन अति महत्वाकांक्षी योजनाओं को अपने एजेंडे में प्राथमिकता देंगे, तो गढ़वा आने वाले वर्षों में झारखंड के विकसित जिलों में गिना जाएगा।
अंत में उन्होंने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर गढ़वा के दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए एक साझा रोडमैप बनाएं। ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक विकसित और समृद्ध गढ़वा मिल सके।