एसडीएम ने पंचायत प्रतिनिधियों के साथ कॉफी पर किया संवाद
प्रखंड प्रमुख, मुखिया, बीडीसी सदस्यों ने खुल कर रखे विचार
विधि व्यवस्था के मामलों में पंचायत प्रतिनिधियों की सकारात्मक भूमिका अपेक्षित : एसडीएम
बैठक में सबसे ज्यादा पेयजल संकट का विषय उठाया गया
खराब हैंडपंप और जल मीनारों को दुरुस्त रखने के लिए संबंधित मुखिया करें अपने स्तर से पहल
कॉफी विद एसडीएम की पंचायत प्रतिनिधियों ने मुक्त कंठ से की सराहना
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
गढ़वा : समाज के हर वर्ग, संस्थाओं, संगठनों व समूहों की नब्ज टटोलत हुए एसडीएम की अभिनव यात्रा गांव की सरकार तक पहुंच गई। इस दौरान करीब दो दर्जन संस्थाओं एवं समूहों की समस्याओं एवं अपेक्षाओं पर खरा उतरने का अनूठा प्रयास लोगों को खूब रास आ रहा है। लोगों ने कहा कि प्रशासन की ऐसी पहल कदमी कभी ना देखी ना सुनी। निश्चित रूप से इसके सकारात्मक परिणाम निकट भविष्य में दिखने एवं लोगों को मिलने शुरू हो जाएंगे। आज कहां और कैसे क्या हुआ इस खास खबर के जरिए आपको भी बताते हैं। अनुमंडल पदाधिकारी संजय कुमार ने अपने एक घंटे के साप्ताहिक कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में अनुमंडल क्षेत्र की पंचायतीराज संस्थाओं के प्रतिनिधियों के साथ अपने यहां कॉफी पर अनौपचारिक संवाद किया। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस की पूर्व संध्या पर आयोजित ‘कॉफी विद एसडीएम’ में पंचायती राज संस्थाओं के अध्यक्षों व सदस्यों को आमंत्रित किया गया था। उनके आमंत्रण पर गढ़वा सदर, डंडा, मझिआंव, मेराल आदि प्रखंडों के प्रमुख, उप प्रमुख, बीडीसी सदस्य, मुखिया आदि ने इस संवाद कार्यक्रम में सहभागिता निभाई।
इस 1 घंटे के अनौपचारिक संवाद में पंचायती राज संस्थाओं के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों से उनके क्षेत्र से जुड़ी जन समस्याओं को सुना गया। साथ ही उनसे सकारात्मक सुझाव भी लिये गये।
कॉफी पर संवाद की सराहना की: विभिन्न प्रखंडों और पंचायतों से आए जन प्रतिनिधियों ने कॉफ़ी विद एसडीएम कार्यक्रम की सराहना करते हुए कहां कि प्रशासन और पंचायती राज प्रतिनिधियों के बीच यह बैठक उन सबका मनोबल बढ़ाने वाली है। मेराल प्रखंड के उप प्रमुख निजामुद्दीन खान ने कहा कि उनके लंबे राजनीतिक और सामाजिक जीवन में उन्होंने इतनी प्रशासनिक संवेदनशीलता के साथ कभी सरकारी संवाद नहीं देखा जैसा कि कॉफी विद एसडीएम में देखने को मिल रहा है।
प्रखंड के अधिकारियों एवं कर्मियों के व्यवहार की शिकायत: मझिआंव प्रखंड की प्रमुख आरती दुबे ने संवाद के दौरान बताया कि मझिआंव प्रखंड के अधिकारियों एवं कर्मचारियों का व्यवहार जनप्रतिनिधियों के प्रति सम्मानजनक न होकर उपेक्षा जनक है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीडीओ, सीओ और बीपीओ आदि की शैली स्वेच्छाचारी है। इस पर संजय कुमार ने उन्हें आश्वस्त किया कि वे अपने स्तर से जांच कर वरीय पदाधिकारियों को संसूचित करेंगे।
सबसे ज्यादा विचार पेयजल संकट को लेकर मिले: ज्यादातर जनप्रतिनिधियों ने आसन्न जल संकट को देखते हुए अपनी चिंताएं प्रकट कीं। कई प्रखंडों के प्रमुखों व पंचायत समिति सदस्यों ने कहा कि इस मामले में वे जनता के सामने सिर्फ निरीह बने रहते हैं। क्योंकि पेयजल संकट को सामने देखते हुए भी वे जनता के लिये कुछ नहीं कर पा रहे हैं। कुछ लोगों ने अलग-अलग गांवों में नई अधिष्ठापित जल मीनारों के शुरू न होने पर प्रश्न उठाया, तो कुछ लोगों ने वित्तीय अनियमितता की शिकायत की। इस पर संजय कुमार ने उन सभी से ऐसी जल मीनारों की सूची लिखित में देने को कहा। साथ ही भरोसा दिलाया कि यदि कहीं अनियमितता हुई होगी तो उस पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
मधेया पंचायत के मुखिया बसंत चौबे ने कहा कि उनके पंचायत के खजूरी गांव में दो जल मीनारें लगी हुई हैं। किंतु उनमें एक बूंद पानी नहीं आता। इसी प्रकार अचला पंचायत के मुखिया मुखराम भारती ने कहा कि उनकी पंचायत के डुमरो एवं नारायणपुर में पानी के लिए हाहाकार है। नारायणपुर में आठ डीप बोर करा कर व्यर्थ पड़े हुए हैं। इस पर एसडीओ ने कहा कि वे स्वयं आकर जांच करेंगे।


प्रखंड मुख्यालय में कर्मचारियों की उपस्थिति सुनिश्चित की जाए: मेराल प्रखंड की प्रमुख दीपमाला ने कहा कि उनके प्रखंड में अधिकारियों एवं कर्मचारियों की उपस्थिति कम रहती है। इतना ही नहीं जो लोग मुख्यालय छोड़कर जाते हैं वे उन्हें सूचना देना भी जरूरी नहीं समझते। इस प्रवृत्ति पर लगाम लगाई जाए। उन्होंने प्रखंड स्तर पर शिथिल पड़े कुछ कार्यो की जानकारी देते हुए कहा कि इनमें तेजी लाने की कार्रवाई की जाए।
राजस्व मामलों के निष्पादन में तेजी की मांग: गढ़वा प्रखंड के कार्यकारी प्रमुख फैजुल अंसारी ने कहा कि गढ़वा अंचल में दाखिल खारिज, ऑनलाइन प्रविष्टि, लगान निर्धारण आदि के बड़ी संख्या में मामले लंबित हैं। लोग अंचल का चक्कर काट काट कर परेशान है। इन कार्यों में तेजी लाई जाए। इस पर एसडीओ ने कहा कि इस परिप्रेक्ष्य में वे शीघ्र ही अंचल कार्यालय का निरीक्षण करेंगे।
गांव की सामाजिक कूरीतियों को दूर करने में निभाएंगे भूमिका: कोरवाडीह पंचायत के मुखिया शरीफ अंसारी ने बैठक में बोलते हुए अन्य जनप्रतिनिधियों से कहा कि वे सभी निर्वाचित प्रतिनिधि अपने गांव देहात में फैले अंधविश्वास, नशाखोरी, छोटे-मोटे झगड़ों आदि को अपने स्तर से दूर करने का प्रयास करेंगे। अंसारी के इस प्रस्ताव के आलोक में संजय कुमार ने सभी से अनुरोध किया कि वे स्थानीय स्तर पर विधि व्यवस्था एवं सामाजिक सौहार्द बनाए रखने में अपनी सकारात्मक भूमिका जरूर निभायें।
प्रमुख नहीं बैठते हैं चेंबर में, न ही होती है बैठक: डंडा प्रखंड के उप प्रमुख नंदू चौधरी ने कहा कि उनके प्रखंड विकास पदाधिकारी और प्रखंड प्रमुख दोनों ही प्रखंड कार्यालय नहीं आते हैं। उन्होंने बताया कि उनका कार्यकाल 3 साल हो गया है। लेकिन इन 3 सालों में पंचायत समिति की सिर्फ एक बैठक हुई है। इस विषय को एसडीओ ने काफी गंभीर बताते हुए आवश्यक कार्रवाई का भरोसा दिया। कुछ इसी बात की पुष्टि डंडा प्रखंड की पूर्व प्रमुख और वर्तमान में पंचायत समिति सदस्य शाइना खातून ने भी की। उन्होंने कहा कि पंचायत समिति की नियमित बैठकें करवाईं जाएं।
अन्यान्य विषय: उपरोक्त के अलावा सोनपुरवा पंचायत के मुखिया अख्तर खान, मेराल पूर्वी के मुखिया रामसागर महतो, संगबरिया पंचायत के मुखिया संजय राम, परिहारा पंचायत के मुखिया रविंद्र राम, ओबरा पंचायत की मुखिया कौशल्या देवी, बोदरा पंचायत के मुखिया इंद्र कुमार सिंह, छतरपुर पंचायत के बीडीसी मोहम्मद उस्मान अंसारी, बोदरा पंचायत के बीडीसी नूर आलम, रामपुर पंचायत की बीडीसी गुलाब देवी, मेराल के बीडीसी जगदीश राम, करमडीह की बीडीसी समरून खातून, तलसबरिया की बीडीसी शाइस्ता खातून, मोरबे की बीडीसी संध्या देवी, अचला की बीडीसी बिंदु देवी आदि ने भी आवास, शिक्षा, आंगनवाड़ी, राशन आदि को लेकर विस्तार से मुद्दे रखे। कई जनप्रतिनिधियों ने लिखित में भी अपनी शिकायतें और सुझाव रखे।
“सुंदर गढ़वा और समृद्ध गढ़वा” की परिकल्पना समन्वय से ही सम्भव: एसडीएम संजय कुमार ने सभी जनप्रतिनिधियों से अपील की कि वे अपने सहयोगी प्रशासनिक पदाधिकारियों के साथ बेहतर समन्वय बनाकर कार्य करें। किसी भी परिस्थिति में परस्पर संवादहीनता और प्रतिद्वंद्विता से बचेंगे। फिर भी यदि कहीं किसी प्रकार की समन्वयात्मक परेशानी आती है तो वे उन्हें या जिले के वरीय पदाधिकारियों को सूचित करेंगे। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों एवं सरकारी अधिकारियों के सामूहिक प्रयास से ही “समृद्ध गढ़वा और सुंदर गढ़वा” की परिकल्पना पूरी होगी।