जब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर बरामद हुआ था आतंकियों का हथियार और गोला बारूद

जब 12 हजार फीट की ऊंचाई पर बरामद हुआ था आतंकियों का हथियार और गोला बारूद

पलामू के दयाशंकर शर्मा ने किया था नेतृत्व



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा


बिंदास न्यूज, गढ़वा : सेना के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर पूरा देश गौरवान्वित है। भारतीय सेना ने साहस और पराक्रम दिखाया है और आतंकियों के मंसूबे को नाकाम किया है। पहलगाम घटना में आतंकियों ने आधुनिक हथियार का इस्तेमाल किया था। आतंकी अक्सर पहाड़ की चोटियों पर हथियार और गोला बारूद को छुपा कर रखते हैं।

बात मई सन 2000 की है।चीता जब कश्मीर के चीमा सेक्टर के गुलमर्ग में 12000 फीट पर आतंकियों ने तीन ट्रक हथियार, गोला, बारूद और आधुनिक उपकरण को छिपा कर रखा था। स्थानीय ग्रामीणों से मिली जानकारी के बाद भारतीय सेना ने 12000 फीट की ऊंचाई पर ऑपरेशन शुरू किया था और आतंकियों के मंसूबों को नाकाम कर दिया था।

रिटायर सूबेदार मेजर दयाशंकर शर्मा ने कहा: इस अभियान का नेतृत्व करने वालों में सूबेदार मेजर दयाशंकर शर्मा भी थे। दयाशंकर शर्मा मूल रूप से पलामू के उंटारी रोड के सतबहिनी के रहने वाले हैं और फिलहाल मेदिनीनगर के कान्दू मोहल्ला में रहते हैं। 2006 में दयाशंकर शर्मा सूबेदार मेजर से रिटायर हुए हैं। भारतीय सेना के ऑपरेशन सिंदूर के बाद दयाशंकर शर्मा बेहद खुश हैं और इसे सेना की बहुत बड़ी सफलता बता रहे हैं।

आतंकियों ने गुलमर्ग में 12 हजार फीट की ऊंचाई पर छुपाए थे हथियार: रिटायर्ड सूबेदार मेजर दयाशंकर शर्मा सेना में उत्कृष्ट सेवा के लिए राष्ट्रपति से सम्मानित हो चुके हैं। गुलमर्ग ऑपरेशन के लिए सेना की तरफ से भी उन्हें सम्मानित किया गया है। रिटायर्ड सूबेदार मेजर दयाशंकर शर्मा ने बताया कि पहाड़ की चोटियों पर बर्फ पिघल गयी थी। स्थानीय लोग गुच्छी चुनने के लिए पहाड़ की चोटियों पर जाते हैं।

स्थानीय लोगों के माध्यम से सेना को पहाड़ पर मौजूद हथियार के बारे में जानकारी मिली थी। वह बताते हैं कि उस दौरान वह नायब सूबेदार के पद पर थे। इस दौरान बोकारो के रहने वाले कैप्टन रवि कुमार, सूबेदार पीएम सिंह और उनके नेतृत्व में एक अभियान शुरू हुआ था और पुलिस जवान के साथ गुलमर्ग की चोटी पर पहुंचे थे।

गुलमर्ग की चोटी से ग्रेनेड लांचर, ग्रेनेड, एके-47, पिस्टल, आरपीजी रॉकेट, टाइम बम, सोलर रॉकेट समेत तो तीन ट्रक हथियार बरामद हुआ था। वह बताते हैं कि हथियार इतना अधिक था कि एक पूरी बटालियन खत्म हो सकती थी।

पीठ पर रख कर उतारा गया था हथियार, विस्फोटकों को किया गया था नष्ट: रिटायर्ड सूबेदार मेजर दयाशंकर शर्मा बताते हैं कि 12000 फीट की ऊंचाई से हथियार और बारूद को उतारना एक बड़ी चुनौती थी। जवानों ने साहस का परिचय देते हुए पीठ पर रख सामान को नीचे उतारा था।

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Ashutosh Ranjan

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