आख़िर उन्हें किसका संरक्षण हासिल है..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

देश के पिछड़े जिलों में शुमार गढ़वा जिला में विकास की पटकथा लिखने के साथ साथ कानून व्यवस्था को नियंत्रण करने में भले प्रशासनिक महकमा सफ़लता हासिल कर ली हो लेकिन ज़मीन माफिया उनके हद से बाहर हैं,यह केवल हम नहीं कह रहे हैं बल्कि लगातार सुनते आने के बाद आज लिखने पर विवश होना पड़ रहा है,जिला मुख्यालय के कई ऐसे चिन्हित स्थल हैं जहां अहले सुबह से देर रात तक ज़मीन माफियाओं का जमावड़ा लगा रहता है,उधर इस बात से आम और ख़ास के साथ साथ प्रशासनिक महकमा भी इस बखूबी वाक़िफ है कि अपने जिले में अपराधियों के अपराध करने का ट्रेंड अब बदल गया है,वो अब सीधे रूप में अपराध करना छोड़ ज़मीन माफ़िया हो गए हैं,इस धंधे को करने के क्रम में भी कई घटनाएं घट चुकी हैं,और आगे भी घट सकती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है,जानकारी होने के बावजूद भी इस दिशा में कार्रवाई करने से दूर प्रशासन अब इस ओर क्या पहल करती है यह देखने वाली बात होगी।