नक्सल के कारण पिता और चाचा को खोया!

नक्सल के कारण पिता और चाचा को खोया!

इंजीनियर बनने का सपना टूटा, अब ग्रामीणों को नक्सलवाद से करना चाहती है दूर

नक्सल सिर्फ विनाश की ओर ले जाता है। नक्सल के खत्म होने से ही विकास संभव है। एक बेटी की लोगों से अपील



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा


नक्सल आज पूरे भारत मे अंतिम सांसे गिन रहा है। झारखंड का इलाका कई दशक तक नक्सल की चपेट में रहा है। नक्सल के कारण कई परिवार बिखर गए, कइयों के सपने टूट गए।

पलामू के हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के महुडंड की रहने वाली नेहा का सपना था कि वह इंजीनियर बने। लेकिन उसका सपना एक झटके में बिखर गया। वजह थी नक्सलवाद। नक्सलवाद के कारण नेहा ने अपने पिता अजय यादव, चाचा अमृत यादव को खोया। नेहा का पूरा परिवार बिखर गया। कई लोग जेल गए।

नेहा आज हुसैनाबाद के एके सिंह डिग्री कॉलेज में जूलॉजी से बीएससी की पढ़ाई कर रही है। नेहा माओवादी जोनल कमांडर अजय यादव की बेटी और अमृत यादव की भतीजी है। 19 जुलाई को हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के महुडंड पंचायत के लोहबंधा में सार्वजनिक कार्यक्रम में नेहा ने नक्सल को लेकर अपने विचार को व्यक्त किया। नेहा आज लोगों से नक्सल से दूर रहने की अपील करती है और बताती है कि किस कदर उसका परिवार बिखर गया।

नेहा का लिखा निबंध, नक्सलियों ने धोखे से मारा था अजय यादव को

2017 में माओवादियों की आपसी लड़ाई में जोनल कमांडर अजय यादव सहित तीन नक्सली मारे गए थे। माओवादियों ने अजय यादव को धोखा दिया और मार दिया था। इस घटना के दौरान नेहा महुडंड मिडिल स्कूल में आठवीं की पढ़ाई कर रही थी।

नेहा ने उस दौरान नक्सली को लेकर एक निबंध लिखा था। जो पूरे देश में चर्चित हुआ था। उस दौरान नेहा ने लिखा था कि नक्सली के कारण उनके गांव में विकास नहीं हो रहा है। सड़क नहीं बन रही है। नक्सली जनता को धमकी देते हैं और उनसे पैसे लेते हैं।

नेहा ने लिखा था कि नक्सलवाद एक कोढ़ है और इसे खत्म होना चाहिए। नक्सल पढ़े लिखे नहीं हैं और अच्छे इंसान नहीं होते हैं। दरअसल नेहा के चाचा अमृत यादव 2008-09 पुलिस के साथ हुई मुठभेड़ में मारे गए थे। नेहा ने नक्सल को लेकर कई बातें बताईं और अपना दर्द साझा किया।

इलाके को नक्सल मुक्त देखना चाहती है नेहा, कहा पापा को भी धोखा मिला

नेहा ने बताया कि वह इंजीनियर बनना चाहती थी। लेकिन उसका सपना टूट गया। कोई मदद करे या कोई पहल करे तो वह आज भी इंजीनियर बन सकती है। उस दौरान उसे सुविधा और साधन नहीं मिल पाया है।

नेहा बताती है कि नक्सली कई तरह की पाबंदी लगाते थे। किसी तरह का कोई कार्य नहीं होने देते थे। वह अपने गांव समेत पूरे इलाके को नक्सली मुक्त करना चाहती है। पढ़ाई लिखाई समेत अन्य मामलों में चाचा और भाई उसकी मदद करते हैं। नक्सली के कारण मेरे चाचा मेरे पापा खो गए। परिवार इधर-उधर हो गया। नक्सल में पापा के साथ भी धोखा हुआ है।

“नेहा को आर्थिक मदद दी गई है और यह आश्वस्त किया गया है कि वह पढ़ाई एवं अपने करियर बनाने में पुलिस की कोई मदद लेना चाहती है तो उसकी मदद की जाएगी। दरअसल नेहा पूर्व माओवादी कमांडर अजय यादव की बेटी रही है। नेहा यह उदाहरण है कि माओवाद और नक्सलवाद के कारण किस तरह परिवार और सपने बिखर जाते हैं। नेहा हुसैनाबाद थाना क्षेत्र के महुडंड के गोरिऔटा की रहने वाली है। यह इलाका अभी भी नक्सल प्रभावित है और हाल के दिनों में वहां मुठभेड़ भी हुई है। पुलिस के कार्यक्रम में नेहा पहुंची थी और नक्सली को लेकर अपनी बात को भी रखा है। नेहा के बातों ने यह संदेश दिया है कि नक्सली के परिजन किस तरह बिखर जाते हैं। 2017 में नेहा ने नक्सलवाद को लेकर एक लेख भी लिखा था.” – रीष्मा रमेशन, एसपी, पलामू

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Ashutosh Ranjan

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