एसडीएम की कॉफी पर पहुंचे परंपरागत लौह कर्मी

एसडीएम की कॉफी पर पहुंचे परंपरागत लौह कर्मी

परंपरागत काम के आधुनिकीकरण पर हुई चर्चा

लोन, प्रशिक्षण, बाजार आदि को लेकर आए कई सुझाव, होगा सार्थक प्रयास

पारंपरिक कारीगरी को संरक्षित और प्रोत्साहित करने की जरूरत : एसडीएम



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा


गढ़वा : पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सदर अनुमंडल पदाधिकारी के नियमित साप्ताहिक संवाद कार्यक्रम “कॉफी विद एसडीएम” में क्षेत्र भर के 80 से अधिक लौह कर्मियों ने सहभागिता निभाई। कार्यक्रम में गढ़वा अनुमंडल के सभी प्रखंडों के ऐसे लौहकर्मी शामिल हुए जिनके यहां परंपरागत रूप से लोहा गला कर कृषि औजार जैसे खुरपी, गैंता, फावड़ा, कुल्हाड़ी आदि बनाए जाते रहे हैं। ज्यादातर लोगों ने बताया कि वे आज भी भांथी, धोंकनी आदि संयंत्र की मदद से आग में लोहा तपाने का काम करते है। जो कि काफी मेहनत भरा काम है। किंतु उनके यहां पीढ़ियों से होता आ रहा है इसलिए वे इस परंपरा को आगे निभा रखे हैं।

आधुनिकीकरण के दौर में छोड़ रहे हैं पारंपरिक पेशा: ज्यादातर लोगों का मानना था कि आधुनिकीकरण के दौर में आने वाली पीढ़ियां शायद ही अब इस काम को करें। इस पर सभी ने सुझाव दिया कि उनके इस व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए आवश्यक आधुनिक उपकरण तथा बाजार उपलब्ध करवाने में उनकी मदद की जाए। ताकि वह इस पेशे को जारी रख सकें।

योजनाओं की दी गई जानकारी: इस दौरान सभी को विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया गया। विशेष कर विश्वकर्म योजना तथा ऋण और अनुदान से संबंधित कई योजनाओं के बारे में जानकारी दी गई। स्वास्थ्य, शिक्षा, आवास आदि से जुड़ी योजनाओं के बारे में भी विस्तार से बताया गया। परंपरागत रूप से लोहे का काम करने वाले इन लोगों में से ज्यादातर लोहार समुदाय के लोग थे। इन लोगों ने बताया कि उनका समुदाय वर्षों से लोहे के औजार, कृषि उपकरण एवं अन्य आवश्यक सामग्री का निर्माण कर समाज की सेवा करता आ रहा है।

पूंजी की कमी भी आ रही है आड़े: लोगों ने खुलकर अपनी समस्याएँ व सुझाव रखे। उन्होंने बताया कि बदलते समय और मशीनों के बढ़ते उपयोग के कारण उनके पारंपरिक धंधे को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आधुनिक संसाधनों की कमी और पूँजी अभाव के कारण उनका काम सीमित होता जा रहा है।

अधिकांश प्रतिभागियों ने सरकारी ऋण सुविधा तथा आवास योजना का लाभ देने की मांग की। उनका कहना था कि यदि उन्हें वित्तीय सहयोग एवं रहने के लिए स्थायी आवास उपलब्ध हो जाए तो वे आत्मनिर्भर होकर अपने कारीगरी व्यवसाय को नई दिशा दे पाएंगे।

कार्यक्रम के दौरान एसडीएम ने सभी सुझावों को गंभीरता से सुना और आश्वस्त किया कि इन मांगों को उच्च स्तर पर संज्ञान में लाया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं से उन्हें जोड़ा जाएगा।

एसडीएम ने पारंपरिक कारीगरी को संरक्षित और प्रोत्साहित करने पर बल देते हुए कहा कि इस तरह के शिल्प न केवल आजीविका का साधन हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा भी हैं। उन्होंने अधिकारियों को निर्देशित किया कि लोहार समुदाय की समस्याओं और आवश्यकताओं पर प्राथमिकता से कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
एसडीएम ने कहा कि जल्द ही इन लोगों के लिए उद्योग विभाग, श्रम विभाग और बैंकिंग संस्थाओं की मदद से कैंप लगाकर लाभ पहुंचाया जाएगा।

विश्वकर्मा योजना में 2 साल पहले किया था आवेदन, नहीं मिला लाभ: लगमा निवासी विक्रम विश्वकर्मा तथा देवगाना निवासी आशीष विश्वकर्मा सहित 10 से अधिक लोगों ने एसडीएम को जानकारी दी कि उन्होंने 2 वर्ष पहले विश्वकर्मा योजना से लाभ लेने के लिए आवेदन किया था। किंतु उन्हें अभी तक लाभ नहीं मिल पाया। इस पर एसडीएम ने कहा कि वह उद्योग विभाग से समन्वय स्थापित कर उनकी समस्या का हल करवाएंगे।

मौजूद थे: इस दौरान आनंद विश्वकर्मा, रमेश विश्वकर्मा, डॉक्टर अर्जुन विश्वकर्मा, मुखदेव विश्वकर्मा, संतोष विश्वकर्मा,सरजू मिस्त्री, रामशरण मिस्त्री, हीरा विश्वकर्मा, किशन विश्वकर्मा, राकेश कुमार, अमरेश विश्वकर्मा, अरुण विश्वकर्मा, अनुज विश्वकर्मा, रवि रंजन, अशोक विश्वकर्मा, श्रवण विश्वकर्मा, शिवनाथ विश्वकर्मा, अमित विश्वकर्मा, उपेंद्र विश्वकर्मा, गिरजा मिस्त्री, दिलीप कुमार, विजय विश्वकर्मा, मिथिलेश विश्वकर्मा आदि ने अपने विचार रखे।

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Ashutosh Ranjan

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