एक बेहद गरीब परिवार की बिटिया अंजली की उंगलियों में है जादू

एक बेहद गरीब परिवार की बिटिया अंजली की उंगलियों में है जादू

वह बिना किसी संसाधन के बनाती है सुंदर तस्वीर व प्रतिमाएं

इस कलाकार को है सहयोग व सक्षम प्लेटफार्म की जरूरत

इस कलाकार की कला को और निखारा जा सके इसलिए सहृदय समाजसेवी व संस्थाओं से आगे आने की अपील



दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा


गढ़वा : बेहद गरीब परिवार की बेटी अंजली की उंगलियों में जादू है। वह बिना किसी संसाधन के सुंदर व कलात्मक तस्वीर तथा प्रतिमाएं बना लेती है। लेकिन संसाधन व अवसर के अभाव में यह कला कुंठित होने की कगार पर है। अनुसुचित जाति के मजदूर परिवार की बिटिया अंजली की परिस्थिति बहुत ही विकट है। वह गढ़वा जिलांतर्गत कांडी प्रखंड के पंचायत व गांव पतरिया की निवासी है। उसके पिता मानसिक रूप से विक्षिप्त हैं। जो मजदूरी भी नहीं कर पाते। मां रीता देवी हृदय रोग की गंभीर मरीज हैं। जो बराबर बेड पर रहती हैं। अंजली का छोटा भाई मामा के घर रहकर नवीं कक्षा में पढ़ाई करता है। अंजली कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय कांडी में 12वीं कक्षा की छात्रा है। जो पारीवारिक परिस्थितियों के कारण स्कूल के हॉस्टल में नहीं रह पाती। उसे सुबह में घर का सारा काम कर मां को दवा वगैरह खिलाकर स्कूल जाना पड़ता है। फिर स्कूल से लौटकर सभी काम व मां की देखभाल करनी पड़ती है। इसी बीच के समय में वह सादा कागज एवं ग्राफ पेपर पर तस्वीर बनाया करती है। उसके बनाए हुए तस्वीर काफी सुंदर एवं मनमोहक होते हैं। लेकिन बेहतर रखरखाव के बिना उसकी कलाकृतियां भी खराब होती जाती हैं। इसके साथ ही वह छोटी-छोटी प्रतिमाएं भी बनाया करती है। जो काफी सुंदर होते हैं। इसके लिए वह साधारण कूची या ब्रस तथा साधारण कलर का इस्तेमाल किया करती है। क्योंकि उसके पास चित्र एवं प्रतिमाएं बनाने के लिए उचित संसाधन उपलब्ध नहीं हैं। अंजलि ने बचपन में ही जमीन पर पत्थर या खपड़ा के टुकड़ों से तथा दीवार पर कोयला या खल्ली से चित्र बनाया करती थी। जो आज कागजों पर कला को जीवंत रूप देने लगी है। उसे अच्छे ब्रश, कैनवास, कई तरह के बेहतर कलर्स मिल जाए तो उसकी कला में चार चांद लग सकती है। लेकिन सवाल है कि उसे यह संसाधन उपलब्ध कौन कराए। यहां तो 2 जून की रोटी का जुगाड़ करना भी मुश्किल हुआ है। इसके ऊपर से मां की दवा की व्यवस्था अलग से करनी पड़ती है। गरीबी के कारण ही मां का बेहतर इलाज नहीं हो पा रहा है। आज जरूरत है कि कोई दानवीर व्यक्ति या स्वयंसेवी संस्थाएं आगे बढ़कर इस परिवार की मदद करें एवं कलाकार बिटिया अंजलि की मदद करते हुए उसे संसाधन उपलब्ध कराएं। अंजलि एक प्रोफेशनल चित्रकार बनना चाहती है। इसके लिए उसे उचित प्लेटफार्म पर प्रशिक्षण एवं अवसर की दरकार है। जो गरीब को सर्वथा अनुपलब्ध है। निकट भविष्य में ऐसी स्थिति आने वाली है कि 12वीं की छात्रा अंजलि की वार्षिक परीक्षा फरवरी में संपन्न हो जाएगी। उसके बाद वह कस्तूरबा आवासीय बालिका विद्यालय कांडी से निकल जाएगी। अभी वार्डन आर उषा के द्वारा जो संसाधन उसे स्कूल से उपलब्ध हो पा रहा है वह भी बंद हो जाएगा और तब उसकी कला घर के चूल्हा चौके में दफन होकर रह जाएगी। इसके बाद संयोग से शादी हुई तो और भी चूल्हे चौके में उसकी कला दम तोड़ देगी। जो इस कलाकार बिटिया के लिए किसी मर्मान्तक पीड़ा से कम नहीं होगी। इस विषय में सोच सोच कर अभी से ही वह उदास हो जाया करती है। पत्रकारिता के साथ दैनिक भास्कर के सामाजिक सरोकार के मिशन के तहत ही यह खबर प्रकाशित की जा रही है कि कोई न कोई सह्रदय सज्जन या संस्था आगे आएं। ताकि इस कलाकार की कला और निखार पाकर दुनिया के सामने आए। और एक कलाकार की कला कुंठित होने से बच जाए।

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Ashutosh Ranjan

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