किसके सर सजेगा गढ़वा नगर परिषद अध्यक्ष का ताज़..?

किसके सर सजेगा गढ़वा नगर परिषद अध्यक्ष का ताज़..?

कई नामों की हो रही है चर्चा

राजनीतिक दल की नहीं है बाध्यता,एक दल से होंगे कई प्रत्याशी


आशुतोष रंजन
गढ़वा

उच्च न्यायालय द्वारा बार बार निकाय चुनाव कराने के निर्देश के बाद झारखंड में चुनाव होना लगभग तय हो गया है,राज्य स्तर के एक पदाधिकारी से हुए बात के अनुसार फ़रवरी के अंतिम सप्ताह में आचार संहिता लग सकता है,लेकिन इस ख़बर के ज़रिए जिस विषय पर हम बात करने जा रहे हैं वो यह है कि इस बार जब चुनाव होगा तो गढ़वा नगर परिषद अध्यक्ष का ताज़ किसके सर सजेगा,क्योंकि कई नामों की चर्चा जो हो रही है।

किसके सर सजेगा अध्यक्ष का ताज़ : – राज्य में चुनाव का होना वर्तमान में भले तय माना जा रहा है पर गढ़वा नगर परिषद का अध्यक्ष बनने को ले कर संभावित प्रत्याशी ख़ुद के तरफ़ से अनवरत प्रयास में जुटे हुए हैं,अपने अपने स्तर से क्षेत्र में समाज सेवा की ज़रिए उनके द्वारा मौजूदगी बरकरार रखी जा रही है,कई लोग फ्रंट पर रह कर सक्रियता बनाए हुए हैं तो कई लोग शांत रह कर उपस्थिति दर्ज़ करा रहे हैं,हम अध्यक्ष पद की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि ज़्यादा उम्मीदवार इसी पद के लिए ख़ुद को संभावित प्रत्याशी मान मेहनत कर रहे हैं,अब इनमें से बाज़ी किसके द्वारा जीती जाएगी यह तो चुनाव परिणाम ज़ाहिर करेगा।

कई नामों की हो रही है चर्चा : – जिन नामों की चर्चा हो रही है उन नामों से तो नगर परिषद क्षेत्र के आप सभी वाक़िफ हैं ही लेकिन फ़िर भी जब मुझे लिखना है तो मैं एक बार फ़िर से ज़ाहिर कर दूं कि अध्यक्ष पद के संभावित प्रत्याशी के लिए पूर्व अध्यक्ष पिंकी केशरी या संतोष केशरी,अनिता दत्त,दौलत सोनी या संध्या सोनी,कंचन साहू या शोभा साहू,विनोद जायसवाल या कंचन जायसवाल,जितेंद्र सिन्हा या रश्मि सिन्हा,उमेश कश्यप या ममता कश्यप,इनके साथ साथ चंदन जायसवाल,पूनम चंद कांस्यकार पातंजलि केशरी,जाहिद खान,डॉक्टर पूजा के साथ साथ कई ऐसे नाम भी हैं जो अभी पर्दे के पीछे रह कर ही चुनाव के निमित अपने काम में जुटे हुए हैं,अगर वो सामने आते हैं तो अगले ख़बर में उनकी चर्चा ज़रूर करूंगा,लेकिन फ़िलहाल यही वो नाम हैं जिनके द्वारा ज़ोर आजमाइश की जा रही है।

फ़िर भी होंगे एक दल से कई प्रत्याशी : – इस बार राजनीतिक दल की बाध्यता का नहीं होना बताया जा रहा है लेकिन एक दल से कई प्रत्याशी के होने की संभावना जताई जा रही है,चाहे वो सत्तापक्ष हो या विपक्ष दोनों से कई प्रत्याशी हैं जो चुनाव में आने की जुगत में जुटे हुए हैं,साथ ही उनके द्वारा मतदाताओं से ज़्यादा अपने नेता की चिरौरी ज़्यादा की जा रही है,उसका कारण मात्र एक है ख़ुद के दल से ज़्यादा नाम का होना,भले उनकी पार्टी द्वारा इस बार टिकट नहीं दी जाएगी लेकिन संभावित प्रत्याशियों की कोशिश यही है कि हमारे नेता केवल उनके नाम पर ही मुहर लगा दें,ताकि ख़ुद का कम भले हो अपने नेता के नाम का असर मुझे परिणाम दे जाए,साथ ही यह भी कहूं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि नामांकन की प्रक्रिया समाप्त होने के बाद जो नाम प्रत्याशी के रूप में सामने आयेंगे जो यह ज़ाहिर कर देंगे कि सत्तापक्ष और विपक्ष के नेता द्वारा अपने किस कार्यकर्ता पर दिली विश्वास जताते हुए भरोसा जताया गया,क्योंकि एक विधाई जनप्रतिनिधि के लिए भी यह बेहद ज़रूरी होता है कि नगर परिषद के अध्यक्ष के साथ साथ आधा से अधिक कुनबा उनका हो।

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