सिद्धू, कान्हू के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को देश सदा सर्वदा रखेगा याद रखेगा : मिथिलेश ठाकुर

सिद्धू, कान्हू के स्वतंत्रता आंदोलन में योगदान को देश सदा सर्वदा रखेगा याद रखेगा : मिथिलेश ठाकुर

सिद्धू, कान्हू की जयंती पर पूर्व मंत्री ने किया शहीद को नमन


दिवंगत आशुतोष रंजन

प्रियरंजन सिन्हा


गढ़वा : संथाल विद्रोह के नायक सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू की जयंती के मौके पर शुक्रवार को झारखंड सरकार के पूर्व मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने उन्हें नमन किया। पूर्व मंत्री ठाकुर ने अपने आवास पर एक समारोह आयोजित कर सिद्धू , कान्हू की जयंती मनाई। इस मौके पर उन्होंने सिद्धू, कान्हू की तस्वीर पर माल्यार्पण कर उन्हें नमन किया। मौके पर ठाकुर ने कहा कि अमर शहीद सिद्धू, कान्हू की जयंती प्रतिवर्ष 11 अप्रैल को मनाई जाती है। सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। जिन्होंने 1855 -1856 में संथाल विद्रोह का नेतृत्व किया था। जो वर्तमान झारखंड और पूर्वी भारत के पुरुलिया, बीरभूम और बांकड़ा सहित बंगाल के कुछ हिस्सों में हुआ था। विद्रोह का उद्देश्य ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन और शोषणकारी ज़मींदारी व्यवस्था का विरोध करना था। सिद्धू मुर्मू और कान्हू मुर्मू का जन्म वर्तमान झारखण्ड राज्य के भोगनाडीह नामक गाँव में एक संथाल आदिवासी परिवार में हुआ था। सिद्धू का जन्म 1815 ई. को हुआ था एवं कान्हू का जन्म 1820 ई. को हुआ था। 30 जून, 1855 को सिद्धू और कान्हू के नेतृत्व में मौजूदा साहेबगंज जिले के भगनाडीह गांव से विद्रोह की शुरुआत हुई थी। इस मौके पर सिद्धू ने ‘करो या मरो, अंग्रेजों हमारी माटी छोड़ो’ का नारा दिया था। इनके स्वतंत्रता आंदोलन को देश सदा सर्वदा याद रखेगा।

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Ashutosh Ranjan

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