मानहानि मामले में पूर्व विधायक को मिला बेल


आशुतोष रंजन
गढ़वा

जब तक ठेस पहुंचता रहेगा जनता के सम्मान को,कोई रोक नहीं सकता बोलने से मेरे ज़ुबान को,अरे भाई मै बोलता रहा हूं और बोलता रहूंगा,उक्त बातें गढ़वा से भाजपा के पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी ने कही,दरअसल वो न्यायालय से जमानत मिलने के उपरांत मीडिया से मुखातिब हो रहे थे,किस मामले में उन्हें जमानत मिली और उन्होंने क्या कहा,आइए आपको इस ख़बर के ज़रिए बताते हैं।

पूर्व विधायक को मिली जमानत: – उन्हें किस मामले में जमानत मिली इस विषयक आपको बताऊं की पिछले कुछ माह पहले पूर्व विधायक सत्येंद्र नाथ तिवारी के विरुद्ध वर्तमान गढ़वा विधायक सह प्रदेश के मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा मानहानि का मामला दर्ज़ कराया गया था,उनके ऊपर मंत्री एवं उनके भाई के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने का आरोप लगा था,उधर मामला दर्ज़ होने के बाद जब न्यायालय से तारीख़ मिला तो उक्त तारीख़ को हाज़िर होने के वास्ते आने वक्त उनकी गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त हुई जिसमें वो गंभीर रूप से घायल हो गए थे,इस कारण न्यायालय से उनके द्वारा मोहलत मांगी गई थी,आज जब वो न्यायालय पहुंचे तो उन्हें उक्त मामले में जमानत मिल गई।

मैं बोलता रहूंगा: – उधर जमानत मिलने के बाद जब वो मीडिया से मुखातिब हुए तो अपने चिरपरिचित बेबाकी अंदाज़ में ही बिना किसी लाग लपेट के उनके द्वारा कहा गया की मैं बोलता रहूंगा भाई,चाहे कितना भी मुकदमा और मामला मुझ पर दर्ज़ हो मैं उतना ही बुलंद आवाज़ में बोलता रहूंगा,क्योंकि जहां जनता हित की बात नहीं होगी,लोगों का हक़ और अधिकार छीना जाएगा तो मैं किसी भी सूरत में चुप नहीं रहूंगा,लोगों का आवाज़ बनता आया हूं और बनता रहूंगा,अब बताइए सत्तापक्ष द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार के विरोध में बोलना क्या गलत है ?,क्या मैं विपक्ष की भूमिका का निर्वहन नहीं करूं,क्या मैं भी औरों की तरह मुंह में रूमाल डाल कर चुप रह जाऊं,क्या सबकुछ देखते हुए भी आंखें बंद कर लूं,साथ ही सबकुछ सुनते हुए कान में उंगली डाल लूं,हमसे तो नहीं होगा,इसके लिए चाहे जो हो जाए ना मैं कभी किसी से डरा हूं और ना ही डरूंगा,जनता के लिए लड़ता आया हूं और आजीवन लड़ता रहूंगा,हां यह बात और है की पिछले दिनों गंभीर रूप से चोटिल हो जाने के कारण मेरी तबीयत भी ज्यादा ख़राब रहा,जिस कारण लगभग चार माह आपके बीच नहीं रह सका,पर मैं आपको बताऊं की दूर रह कर भी ठीक उसी तरह दिल से आपके क़रीब रहा जिस तरह आप मेरे क़रीब हैं,हर वक्त आपकी ही चिंता मुझे सालती रही,आपको बताऊं की मुझसे मिल कर जो मेरा हाल जानने आया करते थे मैं उन्हें अपना हाल बताने से ज्यादा आप सभी क्षेत्र वासियों का हाल ख़बर पूछता था और जैसे ही किसी के द्वारा आपकी विषम परिस्थिति बताई जाती थी तो मेरी तबियत और बिगड़ जाती थी क्योंकि मेरा शरीर भर मेरा है,उसमें बसा हुआ प्राण तो आप हैं,मैं हर वक्त भगवान से अपने लिए नहीं बल्कि आपके लिए प्रार्थना करता था,ताकि जल्दी से स्वस्थ हो कर आप तक पहुंचु और आपके चेहरे से दूर चली गई मुस्कान और फ़िर से वापस ला सकूं,कहा की अब आप सभी पूरी तरह बेफिक्र हो जाएं क्योंकि आपका बेटा आपका भाई आपके पास आ गया है,कहा की बस जरूरत आपके सहयोग और आशीर्वाद की है ताकि मैं निकट भविष्य में गढ़वा विधानसभा के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ सकूं।