मैं नाम तो नहीं लूंगा लेकिन चर्चा तो है भाई


आशुतोष रंजन
गढ़वा

आप तो इस जानकारी से बखूबी वाकिफ हैं की भले वो उचित फोरम पर ना हो लेकिन झारखंड के गढ़वा में जहां एक ओर राजनीतिक आरोप प्रत्यारोप का दौर चलता है तो वहीं दूसरी ओर किसी के घर के दरवाज़े से ले कर चौक चौराहा एवं चाय के दुकान पर इस तरह की राजनीतिक चर्चा होती है की वहां बैठे बैठे विभिन्न पार्टी के समर्थक अपने अपने नेता को टिकट दिलाने के साथ साथ उन्हें जीत का सर्टिफिकेट दिलाते हुए शपथ ग्रहण तक करा देते हैं,लेकिन चाय की चुस्की जैसे ही ख़त्म होती है वो सरकार भी गिरा देते हैं,कुछ ऐसी ही एक चर्चा बड़ी तेज़ी से बलवती हो रही है की वो इंडिया जिंदाबाद बोलेंगे या भारत..?

लेकिन चर्चा तो है भाई: – समय का तकाज़ा है इसलिए माकूल वक्त का इंतज़ार कीजिए जिस रोज़ नाम बताऊंगा,लेकिन आज बिना नाम लिए उस चर्चा को शब्दों में पिरो रहा हूं,यहां यह भी बताना बेहद ज़रूरी है की वो चर्चा संसदीय चुनाव के मद्देनजर ही की जा रही है,आपको बताएं की एक भावी प्रत्याशी के समर्थक यही कहते सुने जा रहे हैं की आज भले वो इंडिया के साथ हैं लेकिन राजनीतिक गलियारे में जो बातें हो रही हैं उसके अनुसार यही सामने आ रहा है की हो सकता है वो भारत के साथ हो जाएं,ऐसा आख़िर क्यों हो सकता है यह पूछे जाने पर चर्चा करने वालों द्वारा बताया गया की जिस तरह कालांतर से ले कर वर्तमान तक भारत तटस्थ है,लाख विपरीत हालात के बाद भी भारत को कोई डिगा नहीं सका,ठीक उसी तरह वर्तमान राजनीति में भी भाजपा जो कल भी भारत बोला करता था और आज भी जिसके दिल में भारत ही पेवस्त है,लेकिन चर्चा करने वाले लोग इंडिया को तटस्थ नहीं बता रहे हैं,ख़ैर इस चर्चा को भी पूरी तरह तटस्थ ना ही माना जाए क्योंकि मैंने शुरुआत में ही कहा की चाय की चुस्की ख़त्म होते ही बैठे बैठे सरकार गिरा देने वाले लोग किसी को मजबूत तो किसी को कमज़ोर बता दिया करते हैं,लेकिन उनकी चर्चा के बीच से यह भी बात निकल कर आई की ऐसे हालात में हमारे नेता इंडिया जिंदाबाद बोलेंगे या भारत..? ऐसे में अब उन चर्चा करने वालों और आपके साथ साथ हमारी भी जहां नज़र भी बनी रहेगी और कान भी खुला रखूंगा की सच में नेता जी किसे जिंदाबाद बोलते हैं..?