गुस्से में धरती के भगवान

गुस्से में धरती के भगवान

दूसरों की ज़िंदगी महफूज़ रखने वाले आख़िर कब होंगे सुरक्षित..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा 

सच में यह एक बड़ा ही नहीं बल्कि वर्तमान गुजरते वक्त में ज्वलंत सवाल है की दूसरों की ख़त्म होती ज़िंदगी को जद्दोजहद कर महफूज़ रखने वाले आख़िर क्यों सुरक्षित नहीं हैं,हम बात डॉक्टरों की कर रहे हैं,वो चाहे ग्रामीण क्षेत्र का अस्पताल हो या जिला राज्य और देश का कोई अस्पताल,हर जगह डॉक्टरों को निशाना बनाया जा रहा है,हम आप जरा अपने अपने दिल पर हाथ रख कर सोचिए की जब ख़ुद या परिवार का कोई सदस्य साधारण या किसी गंभीर बीमारी से पीड़ित होता है तो सबसे पहले किसे याद करते हैं और किसके दर पर पहुंचते हैं,उस भगवान से तो केवल प्रार्थना और दुआ करते हैं जबकि धरती के भगवान पास पहुंच बचा लेने की मिन्नत करते हैं,और वो हमारी पुकार सुनते भी हैं और काफ़ी जद्दोजहद करते हुए मरीज़ की चूकती सांसों की डोर को जहां एक ओर थाम लेते हैं या यूं कहें की ज़िंदगी को महफूज़ रखते हैं,लेकिन दूसरी ओर यह जानते हुए की डॉक्टर को हम धरती का भगवान ज़रूर कहते हैं लेकिन जिसका इस जीवन से जाने का वक्त मुकर्रर हो गया हो उसे रोक लेने की क्षमता उनमें भी नहीं है इसे शिद्दत से महसूस करने के बाद भी अगर हमारे आपके मरीज़ की इलाज़ के दौरान मौत हो जाती है तो हम इसे स्वाभाविक नहीं मानते हुए डॉक्टरों को ही दोषी मानते हुए उनसे उलझ पड़ते हैं,जबकि क्या ऐसा होना चाहिए,अगर संजीदगी से सोचिएगा तो हम आप ख़ुद बोल पड़िएगा की कतई ऐसा नहीं होना चाहिए,लेकिन कोई सोचे और यथार्थ को स्वीकारे तब तो,अगर स्वीकार ले तो ना तो कभी हम उन्हें कसूरवार ठहराएंगे और ना ही उनसे उलझेंगे,उधर दूसरी ओर इतना लिखने का मेरा दो उद्देश्य है,पहला यह की वो गांव,शहर,नगर और महानगर कहीं के डॉक्टर हों ना तो हम आप कभी उनसे उलझें और दूसरा यह की महिला डॉक्टर के साथ घटित हुई जघन्य घटना के आरोपियों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई हो,आख़िर वो घटना क्या है और डॉक्टरों द्वारा किस रूप में विरोध जताया जा रहा है आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं !

गुस्से में धरती के भगवान : – आम और ख़ास तो सुरक्षित नहीं ही थे,अब तो वहशी दरिंदों द्वारा डॉक्टरों को भी निशाना बनाया जाने लगा,ताज़ा मामला कोलकाता का है जहां की ट्रेनी महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और उसकी हत्या से पूरे देश के डाक्टरों में उबाल है,हर जगह उनके द्वारा पुरजोर तरीके से विरोध करने के साथ साथ कठोर कार्रवाई की मांग की जा रही है,आज गढ़वा सदर अस्पताल परिसर में भी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन द्वारा एक दिवसीय धरना दिया गया,जहां मौजूद सभी डॉक्टरों द्वारा एक स्वर से कहा गया की वो देश की बेटी थी जो पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी और नौकरी पेशे में जा सकती थी,लेकिन उसके द्वारा चिकत्सा सेवा को चुना गया ताकि लोगों की सेवा की जा सके,वो प्रशिक्षण लेने के दरम्यान भी काफ़ी तेज़ी से अनुभव हासिल कर रही थी,अपने सहपाठियों के साथ साथ वो वरिष्ठ लोगों से यही कहा करती थी की प्रशिक्षण हासिल करने के बाद वो किसी ग्रामीण सरकारी अस्पताल में ही कार्यरत होना चाहेगी ताकि वैसे लोगों को स्वास्थ्य सुविधा दे सके जिन्हें वक्त पर इलाज मयस्सर नहीं हो पाती है,लेकिन उसका वो सपना उस वक्त उसके साथ ही इस दुनिया से चला गया जब वहशी दरिंदों उसके साथ ब्लातकार की घटना को अंजाम देने के बाद उसकी नृसंस हत्या कर दी,डॉक्टरों ने कहा की हम आज़ादी का 78 वां दिवस मना रहे हैं लेकिन यह कैसी आजादी जब रात के अंधेरे में कौन कहे दिन के उजाले में ही सेवा करने वाले हम डॉक्टर ही महफूज़ नहीं हैं,कहा की अगर इतना के बाद भी कार्रवाई और हम डॉक्टरों को सुरक्षा नहीं दी जाती है तो आज ओपीडी बंद किया गया है,कल को हम सभी बड़ा क़दम उठाने पर भी बाध्य होंगे |



इन डॉक्टरों की रही मौजूदगी : – घटना को ले कर विरोध करने वालों में उपाधीक्षक हरेन चंद्र महतो,डॉक्टर एन के रजक,ज्वाला प्रसाद सिंह,पंकज प्रभात,निशांत सिंह,मनीष सिंह,राकेश तरुण,रवि कुमार,अमित कुमार,शमशेर सिंह,पियूष प्रमोद,प्रशांत प्रमोद,पी कश्मोर,विजय कुमार भारती,वीरेंद्र कुमार,बबलू कुमार,उमेश्वरी कुमारी,रागिनी अग्रवाल,पुष्पा सहगल,नीतू सिंह,माहेरू यमानी,स्नेहलता सहित सभी डॉक्टर मौजूद रहे |

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