उनके बर्दाश्त की हद ना मापिए


आशुतोष रंजन
गढ़वा

वो चाहे आम जीवन हो जिसे हम आप बसर किया करते हैं या राजनीतिक क्षेत्र हो उस व्यक्ति का कभी भी अपमान नहीं करना चाहिए जो आपको विषम हालात में साथ दिया हो या किसी विपरीत हालात में आप पर कोई अहसान किया हो,मैं तो इसे हर वक्त जेहन में पेवस्त रखता हूं,क्योंकि मेरा परिवार,मेरे परम मित्र के साथ साथ व्यवसायिक क्षेत्र से जुड़े लोग,प्रशासनिक अधिकारी और राजनेता मेरे हर विषम हालात में सहायक बनते आ रहे हैं,जिनका अपमान करना तो ख़्वाब में भी सोचने की बात नहीं है,मैं कभी भी उन्हें भूलता नहीं,लेकिन कुछ लोग हैं जो इसे भूलना ही बेहतर समझा करते हैं,हम बात यहां झारखंड में वर्तमान गुजरते राजनीति की करना चाह रहे हैं,जहां आम और ख़ास के साथ साथ अपने कार्यकर्ता के मान को बढ़ाने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ने वाले नेता जी का अपमान उन्हीं के कुछ कार्यकर्ता करने में हिचक नहीं रहे,सूत्र बता रहे हैं की नेता जी को सोशल मीडिया पर उनके उन कार्यकर्ताओं द्वारा अपमानित करने का काम किया जा रहा है जिन्हें नेता जी द्वारा ख़ुद का सबसे ज्यादा करीबी माना जाता है,जिनका ख़ुद का कोई वजूद नहीं नहीं था उन्हें नामवर बनाए जाने के साथ साथ नेता जी द्वारा उन्हें हर विषम हालात में सहयोग किया गया या यूं कहें की अब तलक किया जा रहा है पर वो उसे सिरे से भूल कर उन्हें अपमान कर रहे हैं,राजनीतिक कार्यों में अनवरत व्यस्त रहने वाले नेता जी के विषयक उनके वो कार्यकर्ता इस मुगालते में भी हैं की नेता जी को हमारे इस कारगुजारी के बारे में कोई जानकारी नहीं है,पर शायद उनका यह सोचना बिल्कुल गलत है क्योंकि नेता जी को सारी बातों की और मेरा कौन कार्यकर्ता क्या कर रहा है इन सभी बातों से वो बखूबी वाकिफ़ हैं,अब रही बात की इतना के बावजूद भी वो ख़ामोश क्यों हैं,तो मैं यहां यही कहना चाहूंगा की जब आम जनजीवन में किसी अदना आदमी के बर्दाश्त की सीमा को नहीं मापना चाहिए तो नेता जी तो वैसे भी बहुत कद्दावर हैं,उनके हद को लोग क्यों मापने में जुटे हैं,अभी भी वक्त है ख़ुद में सुधार ले लाएं नहीं तो कहीं ऐसा ना हो की…?