अब हम गढ़वा को कैसे कहें आपसी भाईचारा वाला जिला…?

अब हम गढ़वा को कैसे कहें आपसी भाईचारा वाला जिला…?

जब आपके मातमी ताज़िए का पहलाम अमन के साथ होता है तो फ़िर मां की प्रतिमा का हर्षोल्लास विसर्जन क्यों नहीं…?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

झारखंड के गढ़वा में जब भी दोनों कौम का पर्व त्योहार आता है तो हम हर बार यही लिखा और बोला करते हैं कि अपना जिला आपसी भाईचारे,अमन और शांति वाला जिला है,जहां हर पर्व त्योहार शांति और सुकून के साथ गुज़रा करता है,लेकिन आज मां दुर्गा की प्रतिमा विसर्जन के वक्त हुए विवाद को देखते हुए अब हम अपने जिले को आपसी भाईचारा वाला जिला कैसे कहें..?

अब हम गढ़वा को कैसे कहें आपसी भाईचारा वाला जिला : – आपको बताएं कि आज नवरात्र के दशमी रोज़ कई पूजा समितियों द्वारा मां दुर्गा के प्रतिमा की विसर्जन की जाती है,तभी तो जिले के लखना गांव की पूजा समिति द्वारा विसर्जन को ले कर प्रतिमा गांव में घुमाने की प्रक्रिया की शुरुआत की गई ताकि घुमाने के बाद वो निर्धारित स्थल पर विसर्जन करें इसी बीच वो जब गांव में निवास कर रहे विशेष समुदाय के घर के सामने से गुजरने को पहुंचे तो उन्हें आगे जाने से यह कहते हुए रोक दिया गया कि आप इधर से नहीं जा सकते,कल तक आपसी समभाव और भाईचारे के साथ जीवन बसर करने वाले लोगों को जब एकाएक ऐसा सुनना पड़ा तो लोग पहले तो हतप्रभ रह गए फ़िर लोगों का आक्रोशित होना शुरू हुआ,समय और बात दोनों बढ़ता रहा साथ ही आक्रोश भी बढ़ा और लोग प्रतिमा को वहीं रोक बैठ गए।

मामले को सुलझाने में मुस्तैदी के साथ जुटा है प्रशासन : – उधर जानकारी होने के साथ ही उपायुक्त शेखर जमुआर और आरक्षी अधीक्षक दीपक पांडेय के निर्देश पर सदर एसडीओ संजय कुमार और एसडीपीओ नीरज कुमार पुलिस जवानों के साथ मौक़े पर पहुंच दोनों समुदाय के लोगों को समझाने में जुटे हुए हैं,लेकिन जो जानकारी मिल रही है उसके अनुसार मामले का हल नहीं हो सका है।

तो फ़िर मां की प्रतिमा का हर्षोल्लास विसर्जन क्यों नहीं : – बिल्कुल यह सवाल आज वाजिब हो गया है कि जब आपके मातमी ताज़िए का पहलान अमन के साथ होता है तो फ़िर मां की प्रतिमा का हर्षोल्लास विसर्जन क्यों नहीं,लेकिन मुझे जहां तक अहसास है इस माक़ुल सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है,साथ ही यहां पर यह भी कहना चाहूंगा कि एक तरफ़ तो आपसी भाईचारे को खंडित करने में लोग जुटे ही हुए हैं,जहां एक ओर दोनों समाज में कुछ ऐसे लोग हैं तो वहीं दूसरी ओर राजनीतिक गलियारे में भी कई ऐसे राजनेता हैं जो राजनीतिक रोटी सेंकने के ख़्याल से जानबूझ कर ऐसा माहौल पैदा करना चाहते हैं,उधर दूर रहने के बाद भी मुझे यह भी मालूम है कि आप सिविल प्रशासन और पुलिस प्रशासन को खरी खोटी सुनाने के साथ साथ उन्हें दोषवार भी ठहरा रहे होंगे,लेकिन ज़रा अपने दिल पर हाथ रख कर सोचिए कि दोनों प्रशासन किसके लिए है,ख़ुद के लिए या हमारे आपके लिए,साथ ही आज प्रशासनिक अधिकारी आपके दरवाज़े पर पहुंचे हैं तो आप जी भर कर उन्हें सुना लें लेकिन ज़रा सोचिए यह मामला ख़त्म हो जायेगा,सबकुछ सामान्य हो जायेगा,और उसके बाद जब आपके अपने हित का काम होगा तो आप कैसे और किस मुंह से उन अधिकारियों का सामना करेंगे,बात ऐसी नहीं है कि वो अधिकारी कल को आपसे आज का बदला लेंगे लेकिन उनके सामने जाने पर आपको शर्मिंदा ज़रूर होना पड़ेगा,इसीलिए कहना यही है कि यहां पर समझना दोनो समुदाय के अगुआ को होगा ताकि जिले का आपसी भाईचारा कायम रहे।

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Ashutosh Ranjan

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