प्रत्येक निजी विद्यालय में शुल्क समिति का गठन करना अनिवार्य- उपायुक्त
सभी स्कूल RTE मानक के अनुरूप अर्हता पूर्ण करते हुए RTE Recognised लें जल्द से जल्द, अन्यथा किये जायेंगे बन्द- उपायुक्त
दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा
गढ़वा : उपायुक्त दिनेश कुमार यादव की अध्यक्षता में स्थानीय नगर भवन के सभाकक्ष में शिक्षा विभाग के तहत जिला स्तरीय शुल्क समिति के गठन के लिए बैठक आयोजित की गई। झारखण्ड शिक्षा न्यायाधिकरण (संशोधन) अधिनियम, 2017 के आलोक में शुल्क समिति गठित करने के संबंध में बैठक आयोजित की गई। जिसमें समिति के गठन हेतु झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 की धारा 7 (अ) (1) के आलोक में सरकार द्वारा निजी विद्यालयों द्वारा लगाए गए शुल्क विनियमित करने हेतु प्रत्येक विद्यालय स्तर पर फीस समिति तथा अधिनियम की धारा 7 (अ) (2) के आलोक में निर्धारित शुल्क के विरुद्ध विद्यालय स्तरीय शुल्क समितियां प्रबंधन द्वारा निर्दिष्ट किए गए हैं। उक्त अधिनियम के सुसंगत प्रावधानों के आलोक में उपायुक्त श्री यादव द्वारा सभी निजी विद्यालय के संचालकों को विद्यालय स्तरीय शुल्क समिति गठित करने हेतु निर्देशित किया। प्रत्येक निजी विद्यालय में शुल्क (Fees) समिति का गठन करना अनिवार्य है। जिसके अंतर्गत निजी विद्यालय में प्रबंधन द्वारा मनोनीत प्रतिनिधि अध्यक्ष, विद्यालय के प्रधानाध्यापक सचिव, विद्यालय के प्रबंधन द्वारा तीन मनोनित शिक्षक सदस्य एवं माता-पिता संघ द्वारा मनोनीत चार माता-पिता सदस्य के रूप में होंगे। जबकि जिला स्तरीय समिति के अंतर्गत उपायुक्त अध्यक्ष, जिला शिक्षा पदाधिकारी पदेन सदस्य-सदस्य सचिव (माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों के लिए), जिला शिक्षा अधीक्षक पदेन सदस्य-सदस्य सचिव (प्राथमिक एवं मध्य विद्यालयों के लिए), जिला परिवहन पदाधिकारी पदेन सदस्य, सनदी लेखाकार (चार्टड एकाउंटेंट) सदस्य, निजी विद्यालय के दो प्राचार्य सदस्य, दो माता पिता समिति द्वारा नामित सदस्य तथा संबंधित क्षेत्र के सांसद एवं विधायक सदस्य के रूप में शामिल हैं।
उपायुक्त श्री यादव ने बैठक में उपस्थित विभिन्न निजी विद्यालय के संचालकों, प्रधानाध्यापकों एवं अभिभावकों को संबोधित करते हुए झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के आलोक में विस्तृत रूप से महत्वपूर्ण जानकारियों से अवगत कराया। उन्होंने निजी विद्यालयों में शुल्क समिति का गठन करने, निः शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 यथा संशोधित 2011/2019 तथा RTE मानक के अनुरूप अर्हता पूर्ण करते हुए विद्यालय खोलने की प्रक्रिया के बारे में विस्तार पूर्वक बताया तथा इसका अक्षरश: अनुपालन करते हुए विद्यालय संचालन करने का निर्देश दिया। उन्होंने कहा कि पूर्व में U-DISE Code Database Maintain करने के लिए बिना RTE मान्यता के भी दिया जाता था। परन्तु अब बिना RTE मान्यता के कोई भी U-DISE Code नहीं दिया जा सकता है।
मौके पर उपस्थित जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला शिक्षा अधीक्षक द्वारा जानकारी दिया गया कि गढ़वा जिले में लगभग 300 निजी विद्यालय हैं। इनमें कुछ विद्यालय को यू-डायस कोड दिया गया है। उन्होंने बताया कि U-Dise Code सिर्फ़ यह Ensure करता है कि School are Part of National Database. U-Dise Code ये Ensure नहीं करता है कि विद्यालय Recognised है। गढ़वा जिले में मात्र 25 विद्यालय हैं, जो RTE द्वारा रिकॉग्नाइज्ड हैं। जबकि शेष सभी विद्यालय अन-रिकॉग्नाइज्ड हैं।
उपायुक्त ने झारखंड शिक्षा न्यायाधिकरण संशोधन अधिनियम 2017 के आलोक में विस्तृत जानकारी से लोगों को अवगत कराया तथा इसकी महत्ता को बताते हुए कहा कि बिना U-DISE Code के बच्चों का APAAR ID Generate नहीं किया जा सकता है। आपार आईडी बच्चों का Digital Identification है जो बच्चों का Academic And extra co-curricular achievements का रिकॉर्ड रखता है। बिना आपार आईडी के बच्चों को आगे भविष्य में Study के लिए समस्याओं का सामना करना पड़ेगा एवं इनका भविष्य खराब हो सकता है। बिना U-DISE Code वाले विद्यालय के बच्चों का आपार आईडी के लिए सरकारी विद्यालय में भी नामांकन करवाकर बच्चों का आईडी Generate करवाते हैं एवं बच्चों को अपने स्कूल में पढ़ाते हैं। अर्थात दोबारा नामांकन कराते हैं। इससे जिले का पूरा Status खराब हो रहा है एवं रैंकिंग नीचे हो जाता है। जो लाभ सरकारी स्कूल के बच्चों को मिलना चाहिए वो निजी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चें लेते हैं एवं इससे अच्छादन पर प्रभाव पड़ता है।


इस समस्या के समाधान के लिए उपायुक्त ने बताया कि सभी स्कूल RTE के मानक के अनुरूप सभी अर्हता को पूरा करते हुए RTE Recognised जल्द से जल्द लें। अन्यथा की स्थिति में सभी Unrecognised स्कूल को बन्द किया जा सकता है। आरटीई मान्यता प्राप्त करने हेतु उच्च न्यायलय के द्वारा दिए गयें समय का हवाला देते हुए उपायुक्त नहीं से जल्द से जल्द सभी गैर मान्यता प्राप्त निजी विद्यालयों को RTE Recognised मान्यता प्राप्त करने की बात कही। इसके अतिरिक्त निः शुल्क और अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 यथा संशोधित 2011/2019 के बारे में बताते हुए कहा कि विद्यालय के स्थापना हेतु भूमि अनिवार्य रूप से विद्यालय के नाम से निबंधित होना आवश्यक है या विद्यालय के नाम से कम से कम 30 वर्षों का निबंधित Lease Deed होना अनिवार्य है। प्राथमिक विद्यालय (1-5) के लिए 40 डी० शहरी क्षेत्र में एवं 60 डी० ग्रामीण क्षेत्र में। मध्य विद्यालय (1-8) के लिए 75 डी० शहरी क्षेत्र में एवं 01 एकड़ ग्रामीण क्षेत्र में आवश्यक है। प्राथमिक विद्यालय के लिए कम से कम 18’X22′ होना आवश्यक होगा। वर्ग कक्ष जिसका आकार न्यूनतम खेल का मैदान एवं अन्य गतिविधियों के लिए भूमि का दो तिहाई भूमि खाली होना आवश्यक है। साथ ही विद्यालयों में बाउंड्री वॉल, सीसीटीवी कैमरा, प्लेग्राउंड, अग्निश्मन की व्यवस्था, कम से कम 3 स्टार रेटिंग इन ड्रिंकिंग गवॉटर एंड सैनिटेशन तथा लाइटनिंग रॉड समेत शिक्षक पात्रता प्राप्त प्रशिक्षित शिक्षक होना अनिवार्य है।
निजी विद्यालय में शुल्क समिति के गठन के विषय में बताते हुए कहा कि शुल्क समिति द्वारा निर्धारित शुल्क दो वर्षों के लिए प्रभावी होगी। यदि समिति द्वारा तय शुल्क में वृद्धि पिछले वर्ष के शुल्क के 10% से अधिक है, तो मामले को जिला समिति को अनुमोदन के लिए भेजना आवश्यक होगा। निर्धारित शुल्क के विरूद्ध विद्यालय स्तरीय शुल्क समितियां प्रबंधन द्वारा निर्दिष्ट किये गये मामले में निर्णय लेने के लिए जिला स्तरीय समिति का गठन किया गया है।
उपायुक्त श्री यादव ने सभी निजी विद्यालय के संचालकों से जल्द से जल्द विद्यालय को आरटीई मान्यता लेने की अपील की। उन्होंने बताया कि वैसे विद्यालय जो RTE मान्यता प्राप्त नहीं होंगे वे बंद कर दिए जाएंगे तथा वर्तमान वित्तीय वर्ष के अंतिम माह से ऐसे विद्यालयों में विद्यार्थियों का नामांकन करना प्रतिबंधित रहेगा।
उक्त बैठक में अनुमंडल पदाधिकारी गढ़वा, रंका एवं श्री बंशीधर नगर, जिला शिक्षा पदाधिकारी एवं जिला शिक्षा अधीक्षक, गढ़वा जिले के विभिन्न निजी विद्यालयों के संचालक प्रधानाध्यापक एवं विद्यार्थियों के अभिभावकगण समेत काफी संख्या में अन्य लोग उपस्थित थे।