कौन होगा गढ़वा का विधायक..?

कौन होगा गढ़वा का विधायक..?

कोई जीता रहा मिथिलेश को तो कोई कह रहा जीत रहे सत्येंद्र नाथ


आशुतोष रंजन
गढ़वा

पहले चरण का मतदान भले कल संपन्न हो गया,लोगों द्वारा व्यापक सुरक्षा और सुविधा के बीच निर्भीकता और स्वतंत्रता के साथ अपना अपना मतदान किया गया,लेकिन कल शाम से ही प्रत्याशियों के समर्थकों द्वारा जितने कि अंकगणित ख़ुद समझने के साथ साथ चर्चा के बीच समझाई भी जा रही है,हम बात पूरे राज्य की नहीं बल्कि गढ़वा विधानसभा की कर रहे हैं,जहां 43 सीटों से ज़्यादा चर्चा हो रही है,आख़िर लोग जीत की चर्चा किस तरह कर रहे हैं,आइए आपको बताते हैं।

तो कोई कह रहा जीत रहे सत्येंद्र नाथ : – हमने अपने इस ख़बर का सबहेडिंग दिया है कोई जीता रहा मिथिलेश को तो कोई कह रहा जीत रहे सत्येंद्र नाथ,जी हां ऐसे तो गढ़वा विधानसभा क्षेत्र से इन दोनों के अलावे गिरिनाथ सिंह के साथ साथ कई अन्य प्रत्याशी द्वारा भी चुनाव लड़ा गया है,सबके क़िस्मत का फ़ैसला मतदाताओं द्वारा ईवीएम में क़ैद कर दिया गया है,लेकिन चर्चा में जेएमएम के मिथिलेश ठाकुर और भाजपा का सत्येंद्र नाथ ही हैं,घर से ले कर गांव की गली और शहर के चौक चौराहे और चाय की दुकानों पर जहां भी समर्थकों द्वारा जीत हार की चर्चा की जा रही है तो उसके केंद्र में मिथिलेश और सत्येंद्र नाथ ही हैं,जहां एक ओर मिथिलेश ठाकुर के समर्थक यह कहते हुए जीत का दावा कर रहे हैं कि उनके द्वारा गढ़वा में विकास किया गया है,और चुनावी दौरे के क्रम में भी मिथिलेश ठाकुर के साथ साथ उनके आए कार्यकर्ता और स्टार प्रचारकों द्वारा भी किए गए विकास का हवाला देते हुए ही वोट देने की अपील की गई थी,कहा गया था कि मिथिलेश ठाकुर ने चुनावी वायदे के अनुसार नहीं बल्कि अपने संघर्ष के दरम्यान लिए गए संकल्प और देखे गए ख़्वाब को विकास के रूप में पूरा करने का विकासीय अभियान शुरू किया गया,साथ ही यह भी कहा गया कि अगर जनता मौक़ा देती है तो जहां गढ़वा नए स्वरूप में नज़र आएगा तो वहीं दूसरी ओर राज्य ही नहीं बल्कि देश के अग्रणी जिलों की श्रेणी में गढ़वा स्थापित होगा,तो उधर बात अगर पूर्व विधायक एवं भाजपा प्रत्याशी सत्येंद्र नाथ तिवारी की बात करें तो इनके समर्थकों द्वारा भी केवल साधारण नहीं बल्कि असाधारण अंतर के साथ जीत का दावा किया जा रहा है,उनके दावे के पीछे उनका मज़बूत तर्क भी है,सबसे पहला यह कि राजनीति में चुनाव हारने के बाद नेता कुछ साल तक क्षेत्र से दूर हो जाया करते हैं या यूं कहें तो उनका अपने क्षेत्र से मोहभंग हो जाता है पर दृढ़ जीवट वाले सत्येंद्र नाथ का जहां एक ओर क्षेत्र से मोहभंग नहीं हुआ तो वहीं दूसरी ओर सबसे दिली जुड़ाव भी जुड़ा रहा,साथ ही दूसरे तर्क की बात करें तो वो पूरे पांच साल पार्टी के इकलौते विपक्षी नेता के रूप में सत्ता का पुरजोर विरोध करते रहे,उनके विरोध के केंद्र में सत्ता का भ्रष्टाचार रहा,शुरुआत से चुनावी दौरे के अंत तक वो खुले और सीधे रूप में सत्ता और वर्तमान विधायक सह मंत्री का विरोध करते रहे,साथ ही दूसरी ओर कल के पहले चरण का चुनाव गुजरने के बाद कहा जा रहा है कि भाजपा नेताओं के पाला बदल कर विरोधियों के साथ जुड़ने का नुकसान नहीं बल्कि व्यापक लाभ हुआ क्योंकि अगर वो साथ रह कर भितरघात करते तो पिछली बार की तरह नुक़सान हो सकता था,पर उनका जाना लाभ दे गया,इन सबके साथ साथ कई और मज़बूत तर्कों के साथ उनके समर्थक सत्येंद्र नाथ तिवारी की जीत का कंक्रीट दावा कर रहे हैं,जो चर्चा हो रही है उसके अनुसार हमने बताया,अब तो 23 तारीख़ को आने वाला परिणाम बताएगा कि गढ़वा का विधायक कौन होगा।

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