लगातार सूखा अकाल का मारा किसान एक बार फिर दहशत में
किसी भी हाल में पीड़ित किसानों को कभी नहीं मिलती राहत : सबसे बड़ी त्रासदी
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दिवंगत आशुतोष रंजन
प्रियरंजन सिन्हा
बिंदास न्यूज, गढ़वा
लगातार हो रही बारिश के कारण किसानों के होश उड़े हुए हैं। हर दूसरे तीसरे साल सूखा व अकाल का सामना करनेवाला किसान एक बार फिर दहशत में है। इस बार सबसे बड़ी मार पड़नेवाली है। उसके खेतों में लगी हुई धान की बहुत अच्छी फसल बारिश के चलते बर्बाद होने की कगार पर पहुंच रही है। इस बारिश से किसी तरह का कोई लाभ नहीं है। केवल हानि ही हानि है। भारतीय जनता पार्टी किसान मोर्चा के प्रदेश कार्य समिति सदस्य राम लाला दुबे सहित कई किसानों ने कहा कि अपर लेवल के खेतों में लगी हुई धान की फसल लगभग पक चुकी है। इस बारिश के कारण तमाम फसल भीग रही है। जैसे ही धूप निकलेगी तमाम दाने झड़ जाएंगे। जिसका नतीजा होगा कि किसानों की कमर टूट जाएगी। इस वर्ष अच्छी बरसात होने के कारण परंपरागत खेतों का दायरा बढ़ाकर जिन खेतों में धान की खेती नहीं होती थी उनमें भी धान की रोपनी की गई है। उन खेतों में अर्ली वैरायटी का धान लगाया गया है। पूरी फसल पक रही है या पक चुकी है। ऐसी हालत में हल्की बारिश का होना भी उसके लिए काफी खतरनाक है। जबकि लेट वैरायटी यानी जडहन किस्म का धान भी फूट रहा है। बहुत सी फसल में दाना भर गया है। बारिश से भीगने के बाद धान की बाली झुक कर पानी में चली जाएगी। इसके साथ ही उससे भी लेट वैरायटी की फसल में बालियां निकल रही हैं। इस पोजीशन में रात के समय धान का मुंह खुला रहता है। बारिश होने के कारण उसमें पानी भर जाएगा। जिससे दाना नहीं पड़ कर तमाम फसल खखरी हो जाएगी। पक्की हुई धान की फसल कटी भी जा रही है जिसका पांजा खेत में पड़ा हुआ है। जो बारिश होने के बाद वहीं खेत में ही डूब कर बर्बाद हो जाएगा। कुल मिलाकर इस बारिश से भारी नुकसान होने वाला है। जैसा कि मौसम विज्ञान की सूचना है साइक्लोनिक मौसम के कारण अभी और बारिश होने की संभावना है। इसका साफ मतलब है कि लाखों का नहीं इस वर्ष करोड़ों का नुकसान होने वाला है। खेती करने में कर्ज उधार लेकर हर किसान को हजारों रुपए खर्च करने पड़े हैं। कांडी प्रखंड क्षेत्र के हैंठार इलाके के दर्जन भर गांव में धान की फसल दो बार प्रारंभिक बरसात में ही बर्बाद हो चुकी थी। जिसे बाहर से 100 डेढ़ सौ किलोमीटर दूर से ट्रैक्टर से ढोकर धान के बिचड़े लाकर तीसरी बार रोपनी की गई है। अगर वह फसल मारी जाती है तो किसानों के सामने आत्महत्या करने के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचेगा। किसान मोर्चा के नेता सहित कई किसानों ने कहा कि लाखों रुपए की फसल बर्बाद होने के बाद प्रशासन ने आकलन कराकर क्षतिपूर्ति एवं मुआवजा देने की बात कही थी। लेकिन बात हवा हवाई होकर रह गई। एक भी कर्मचारी नुकसान को देखने तक नहीं आया। अभी भी करीब 500 एकड़ खेत बर्बादी की गवाही देने के लिए परती पड़ा हुआ सामने तैयार है। यदि पैदा हो चुकी फसल मारी जाती है तो किसान अगली फसल की शुरुआत भी नहीं कर पाएगा। इसलिए कि उसकी तमाम क्यर शक्ति समाप्त हो चुकी है। धान की फसल में महाजन से कर्जा लिया हुआ चुकाने की बात ही नहीं है। क्योंकि धान की फसल के मारे जाने की संभावना सामने दिखाई पड़ रही है। कर्ज नहीं चुकाए जाने के कारण अगली फसल के लिए कर्ज देने वाला भी कोई नहीं है। जिसका नतीजा है कि करोड़ों रुपए की धान की फसल मारे जाने के बाद रबी फसल में हजारों एकड़ खेत परती रहेंगे। इस वर्ष अच्छी बरसात करके अच्छी फसल देकर प्रकृति उसे बर्बाद करने पर तुल गई है। विपदा बयान करनेवाले अन्य किसानों में रामनाथ दुबे, योगेन्द्र दुबे, शंभु दुबे, कमला दुबे, बृजराज दुबे, प्रवीण दुबे, अनिल दुबे, कामेश्वर राम, नरेश मेहता, मुखदेव मेहता, नानक प्रजापति, भरत दुबे, बेचू चंद्रबंशी, सुरेश शाह आदि का नाम शामिल है।








