आख़िर किसके शह पर हो रहा है यह अवैध कारोबार..?


आशुतोष रंजन
गढ़वा

ऐसे ही राह चलते एक अर्धनिर्मित घर नज़र आता है तो घरवालों से पूछता हूं की आपको तो सरकारी आवास मिला है न.?, फिर काहे भाई निर्माण क्यों नहीं पूरा हो रहा है,इसके जवाब में वो हमसे ही सवाल करता है की बालू बिना पूरा नहीं हो रहा है,बालू मिल रहा है क्या,सुनते हैं की नदी से उठाव नहीं हो रहा है,मैं कुछ ज़वाब देता उसके पहले ही फिर उसके द्वारा कहा जाता है की कुछ बोलिए न,काहे नहीं बोल रहे हैं,अच्छा छोड़िए क्या बोलिएगा,जानने के लिए तो आप भी और हम भी दोनो लोग जान रहे हैं,हो सकता है की आपको भी हिस्सा मिलता हो,काहे की आप भी तो पत्रकार हैं,इसीलिए बालू के अवैध उठाव की जानकारी होने के बाद भी आप ना तो मेरे सवाल का ज़वाब दे रहे हैं और ना ही उस निमित पत्रकारिता ही कर रहे हैं ताकि लोगों को जानकारी हो की कैसे गरीबों का घर भले अधूरा रह रहा है पर अमीरों की अट्टालिकाएं और सरकारी निर्माण अवैध बालू से ही पूरा हो रहा है।

काम वैध..बालू अवैध: – एक तरफ़ जहां मुझे उस व्यक्ति के सवालों का ज़वाब लिख कर देना था तो वहीं दूसरी ओर यह भी देखना था की क्या सच में अवैध बालू से वैध काम हो रहा है,उसे जानने के लिए मैं आज सुबह होने से पहले यानी रात के अंधेरे में ही शहर में निकला तो एक ओर जहां कई मोड़ और चौक से बालू से भरे ट्रैक्टर और बड़े हाइवा गुजरते नज़र आए,आखिर ये जा कहां रहे हैं इसे भी जानना ज़रूरी था तो हम एक हाइवा के पीछे हो लिए,वो कुछ दूर जा कर एक सरकारी निर्माण स्थल पर रुका और गाड़ी के बालू को अनलोड किया,तो ऐसे मुझे नज़र आया की इस तरह अवैध बालू से हो रहा वैध निर्माण,फिर मैं एक मोड़ पर रुक कर जब चाय पी रहा था तो सोचा की उस व्यक्ति की बात तनिक भी गलत नहीं है की अभी भी नदियों से बालू का अवैध उठाव हो रहा है,लेकिन जो गुज़रे वक्त में दिन के उजाले में होता था अब वो रात के अंधेरे में हो रहा है,अब सवाल उठता है की जब एक आम व्यक्ति को इस अवैध धंधे के बारे में जानकारी है तो क्या जिसे इस पर रोक लगाना है उन्हें जानकारी नहीं होगी.? ज़रूर होगी भाई,लेकिन फिर भी अवैध काम जारी है,अब एक सवाल और मन में उपज रहा है की बालू का अवैध उठाव करने वाले बदस्तूर नदियों का सीना चीर कर बालू निकाल रहे हैं,उधर जिन्हें इस पर रोक लगाना है वो चुप्पी साधे हुए हैं,तो फ़िर आख़िर इस अवैध कारोबार को किसका शह प्राप्त है..?