उनका मुसल्लम है ईमान,क्योंकि वो गढ़वा के विकास के लिए हैं बेईमान


आशुतोष रंजन
गढ़वा

किसी को आहत करने एवं नुकसान पहुंचाने के लिए अगर कोई अपना नियत बदले तो उसे बदनीयत कहते हैं,लेकिन अगर कोई किसी को व्यक्तिगत रूप के साथ साथ पूरे समूह को लाभ पहुंचाने के लिए अगर बेईमानी करे तो उसे बेईमान नहीं कहा जा सकता है,ऐसा हमने किस संदर्भ में कहा,आइए आपको बताते हैं।

क्योंकि वो गढ़वा के विकास के लिए हैं बेईमान:- उनका मुसल्लम है ईमान,क्योंकि वो गढ़वा के विकास के लिए हैं बेईमान”,यह मात्र कोई जुमला नहीं बल्कि वो सच्चाई है जो उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व से नुमाया होते रहता है,आप समझे मैं किनके बारे में कह रहा हूं,लगता है नहीं समझे तो चलिए बता देता हूं,दरअसल मैं बात गढ़वा विधायक सह सूबे के मंत्री मिथिलेश ठाकुर की कर रहा हूं,आप इस जानकारी से तो वाक़िफ हैं की झारखंड में विधानसभा का बजट सत्र चल रहा है,जहां सत्तापक्ष लाख विकास की बात करते हुए चर्चा करने और बजट को मंजूरी देने की कवायद में जुटा रहे पर विपक्ष द्वारा बार बार व्यवधान पैदा करने के साथ साथ कई तरह से आरोपित भी किया जाता है,उसी व्यवधान के क्रम में आज विपक्षी विधायक द्वारा मंत्री मिथिलेश ठाकुर को बेईमान कहा गया,लेकिन ऐसा क्यों कहा गया उसे जानकर उनका कहना आपको बड़ा हास्यास्पद लगेगा,क्योंकि विधायक ने कहा की मंत्री पूरी तरह से बेईमान हैं क्योंकि हमारे क्षेत्र में योजनाएं नहीं पहुंच रही हैं और वो अपने क्षेत्र में सबसे ज़्यादा योजनाएं ले जा रहे हैं,इसलिए वो बेईमान हैं,अब यहां सोचने वाली बात है की कोई अगर किसी क्षेत्र से जनप्रतिनिधि यानी विधायक निर्वाचित होता है तो उसका पहला फर्ज़ बनता है की जिस उद्देश्य से लोगों ने उन्हें अपना प्रतिनिधि चुना है वो विकासीय निधि का नेक नियत और ईमानदारी पूर्वक उपयोग करते हुए क्षेत्र का विकास करे,ज़्यादा से ज़्यादा योजना संचालित हो ताकि क्षेत्र का विकास हो,और लोगों के उसी उद्देश्य को पूरा करने में मंत्री मिथिलेश ठाकुर पूरे प्राणपन से जुटे हुए हैं,अपने विधानसभा क्षेत्र ही नहीं बल्कि पूरे गढ़वा जिला को विकास के मामले में अग्रणी जिला बनाने के लिए दिल से जुटे हुए हैं इसलिए मंत्री मिथिलेश ठाकुर गलत हैं,दावपेंच करते हुए सबसे अधिक योजना अपने यहां ला रहे हैं इसलिए बेईमान हैं,जो क्षेत्र इतने सालों बाद भी अनगढ़ था उसे वो नए तरीके से गढ़ रहे हैं इस लिहाज़ से वो कसूरवार हैं,एक जनप्रतिनिधि के दायित्व का बखूबी निर्वहन करते हुए अगर क्षेत्र को विकसित करना,सालों से लोगों के मुरझाए चेहरे पर नई चमक लाना अगर खता है तो वो खतावार ही सही।

विपक्षी खेमे से कुछ जलने की बू आ रही है:- मुझे अपने पिताजी की कही वो बात यहां मंत्री के कृतित्व पर सटीक बैठती नज़र आती है,वो हर बार मुझे कहते हैं की कोई तुम्हारे काम पर सवाल उठाए तो उसका जवाब ज़ुबानी नहीं बल्कि उससे बेहतर कर के दिखाओ,बात मंत्री की करूं तो सड़क से सदन तक विपक्ष द्वारा बोले जा रहे विरोधी बात और किसी भी आरोप का जवाब वो अन्य नेताओं की तरह बोल कर रहीं बल्कि काम से देते हैं,एक बार चुनाव में मात खा कर मैदान छोड़ चुके कई नेताओं की लंबी फेहरिस्त है,क्योंकि जिसने मैदान छोड़ा वो क्षेत्र के लिए अपने लिए चुनाव में आए थे,लेकिन मिथिलेश ठाकुर अपने आप में वो विरले हैं जो चमन में दिदावर के रूप में पैदा हुए हैं,क्योंकि लगातार दो बार चुनाव हारने के बाद भी उन्होंने संघर्ष नहीं छोड़ा और तीसरे बार में वो गढ़वा से विधायक निर्वाचित हुए,उनके मैदान नहीं छोड़ने का कारण एकमात्र यही है की वो उन नेताओं में शामिल नहीं हैं जो ख़ुद के लिए प्रतिनिधि बनना चाहते हैं बल्कि उन नेताओं में शुमार होते हैं जो क्षेत्र की बदहाली दूर करने का ख़्वाब देखा करते हैं,जिनके मन में कुछ कर गुजरने का जज़्बा होता है,और आज मुझे बताने की जरूरत नहीं है की किस तरह वो अपने उस ख़्वाब को पूरा कर रहे हैं जो उन्होंने राजनीति में आने के बाद नहीं बल्कि बचपन में ही देखा था,क्योंकि उनका बचपन से युवावस्था तक गढ़वा में ही गुज़रा था,इसका प्रमाण इससे मिलता है की जब वो राजनीति में आए तो वो राज्य के किसी क्षेत्र में संघर्ष कर सकते थे लेकिन गढ़वा की दुर्दीनता उनके अंदर घर कर गया था,वो और पेवस्त तब हुआ जब उनके द्वारा यहां एक दो नहीं बल्कि लगातार ग्यारह साल लंबा संघर्ष किया गया,जिस दरम्यान गांव की बदहाली और लोगों के चेहरे पर छाई उदासी उन्हें झकझोर कर रख दिया,उसी वक्त उन्होंने संकल्प लिया था की जब मेरा वक्त आएगा और मेरे हाथ में कुछ करने का अधिकार आएगा तो मैं क्षेत्र की बदहाली को इस रूप में दूर करूंगा जो एक नायाब उदाहरण होगा,और आज वो नुमाया हो रहा है,विकास के हर मानकों पर खरा उतरते हुए विधायक सह मंत्री मिथिलेश ठाकुर द्वारा गढ़वा को विकसित किया जा रहा है,अब आप ही बताइए क्षेत्र और जिला को पूर्ण रूपेण विकसित करने के साथ साथ विकास के मामले में अग्रणी बनाने के लिए अगर वो दावपेंच भी करते हैं तो क्या ऐसा करना गलत है.?,तभी तो वो चुटकी लेते हुए कहते हैं की जबसे मैं विधायक और मंत्री बना हूं और मेरे द्वारा विकास के मामले में कोरे कागज़ के रूप में पहचानीत गढ़वा में एक नई इबारत लिखी जा रही है तो वो लोगों को सहन नहीं हो रहा है और केवल आज ही नहीं बल्कि गुजरे इतने सालों लगातार विपक्षी खेमे से कुछ जलने की बू आ रही है।