आइए इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाएं
आशुतोष रंजन
गढ़वा
वर्तमान गुजरते वक्त में भले यह कहा जा रहा हो कि युवाओं के क़दम अब भटक नहीं रहे हैं वो विध्वंस की जगह सृजन की सोच ख़ुद में समाहित कर रहे हैं,लेकिन जिस वक्त एक युवा सृजनात्मक सोच लिए अपना क़दम बढ़ाया उस समय उस इलाक़े के युवाओं के क़दम भटकाव के कग़ार पर आगे बढ़ रहे थे,हम सीधे रूप में कहें तो वो इलाका नक्सल प्रभावित था और नक्सली बहला और बरगला कर युवाओं को अपने पाले में कर रहे थे,जिसका नतीज़ा हो रहा था कि युवाओं के मन में सृजन की जगह विध्वंस सोच घर कर रही थी,लेकिन वो युवा उसी इलाक़े से एक बड़े सृजनात्मक सोच लिए आगे बढ़ता है और आज उसके द्वारा वो आयाम गढ़ा गया है और साथ ही अनवरत गढ़ते हुए एक ऐसी लंबी लकीर खींची जा रही है जिसे पार पाना तो दूर उसे छू पाना भी किसी अन्य के लिए संभव प्रतीत नहीं होता है,आख़िर वो युवा कौन है जिसके बारे में लिखा जाए तो सारे कसीदे भी कम पड़ जायेंगे,आइए आपको इस ख़ास ख़बर के ज़रिए बताते हैं।


संभव नहीं है किसी के लिए विकास माली हो जाना : – गढ़वा जिले के रंका अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत गौरगड़ा गांव जहां के माली परिवार में एक बच्चे का जन्म होता है पिता संतन माली द्वारा उस बच्चे का नाम विकास रखा जाता है,माध्यम वर्ग परिवार में जन्मे विकास की परवरिश शुरू होती है,जब हम रंका का इलाका लिखे हैं तो शायद मुझे बताने की ज़रूरत नहीं है कि वो किस हद तक नक्सल प्रभावित था,जहां रात के अंधेरे में कौन कहे दिन के उजाले में लोगों में लोगों को अपने दिनचर्या में दहशत का समावेश हुआ करता था क्योंकि दिन में किसी वक्त नक्सली गांव में धमकते थे जिनका एक मात्र उद्देश्य हुआ करता था गांव के युवाओं को बहला और उनमें ख़ौफ़ पैदा कर संगठन में शामिल करना,वो लगातार अपने उद्देश्य में सफ़ल भी हो रहे थे,वक्त गुज़रा और विकास माली बचपन से युवावस्था में प्रवेश किए,लेकिन बचपन से ही परिवार के साथ साथ गांव के लोगों की परेशानी देख आहत होते होने वाले विकास के युवा मन में सेवा भाव घर कर गया,साथ ही नक्सलियों के कारण होने वाली परेशानी भी उन्हें कष्ट पहुंचाती थी,इसी बीच पढ़ाई भी चलती रही,जहां सेवा भावना समाहित विकास द्वारा स्कूल में भी ग़रीब बच्चों को अपने पॉकेट खर्चे से किताब और कॉपी की मदद की जाने लगी,इसी बीच एक रोज़ गांव में एक ग़रीब लड़की की शादी हो रही थी,दहेज़ की सारी रकम की अदायगी हो चुकी थी लेकिन एन वक्त पर लड़के वालों द्वारा कहा गया कि हमें और पैसा चाहिए तब शादी होगी नहीं तो बारात वापस ले जायेंगे,उस शादी की व्यवस्था में विकास माली भी शामिल थे तो उनके द्वारा पहल की गई और सभी लोगों को समझाते हुए शादी संपन्न कराई गई,लेकिन इस बीच के गुज़रे वक्त और लड़की के पिता को बिलखते देख विकास माली काफ़ी आहत हुए और उसी वक्त एक संकल्प लिए की पढ़ाई पूरी कर कोई नौकरी और रोज़गार ना करते हुए समाज की सेवा करने के साथ साथ ऐसी व्यवस्था करूंगा ताकि किसी ग़रीब की बेटी की शादी में कोई परेशानी ना हो,और फ़िर विकास माली जिला मुख्यालय गढ़वा पहुंचते हैं और उनके द्वारा कन्या विवाह एंड विकास सोसाइटी नामक संस्था का गठन करते हुए ग़रीब,असहाय और अनाथ बेटियों की दहेज़ रहित सामूहिक शादी की शुरुआत की जाती है,पहली सफ़लता हासिल करने के बाद लोगों का जुड़ाव उनकी संस्था से तेज़ी से होना शुरू होता है और वो गढ़वा से बिहार के गया पहुंचते हैं जहां संस्था का बिहार के हर जिले में विस्तार होता है और फ़िर जिला दर जिला सामूहिक शादी का आयोजन किया जाना शुरू होता है,हर सामाजिक कार्य में जिस तरह व्यवधान और परेशानी आती है ठीक उसी तरह विकास माली के इस पुनीत अभियान के राह में भी कई रोड़े आए लेकिन राह में पर्वत पड़े तो हौसले से तोड़ दो,रोकती हो राह दरिया धार उसकी मोड़ दो,है नज़रों में मंज़िल तो पहुंचना आसान है,हम अकेले हैं कहां,संग मेरे भगवान हैं को दिल में आत्मसात किए हुए सारी बाधाओं को पार करते और आयोजन को आगाज़ से अंज़ाम तक पहुंचाते हुए विकास माली द्वारा इन गुज़रे सालों में तेरह हज़ार ग़रीब बेटियों की शादी कराई जा चुकी,ग़रीब बेटियों की शादी वाले अपने दिली अभियान को छोटे स्तर से एक बड़ा आयाम दे देने वाले विकास माली का सामूहिक शादी का यह अभियान अनवरत जारी है,साथ ही यहां यह भी कहना लाज़िमी है कि ऐसा आयोजन व्यक्तिगत रूप के साथ साथ कई संस्थाओं द्वारा किया गया लेकिन सभी एक दो बार ही आयोजित हो सके,लेकिन विकास माली के दृढ़ संकल्प और उनके आयोजन को नज़र करते हुए क्या यह कहना ग़लत होगा कि संभव नहीं है किसी के लिए विकास माली हो जाना


आइए इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाएं : – गढ़वा से अभियान की शुरुआत कर बिहार और मुंबई तक भले पहुंच गए हैं लेकिन अपने गांव और जिले से दिली लगाव रखने वाले विकास माली द्वारा केवल शादी आयोजन नहीं बल्कि अपने उपार्जन का एक हिस्सा अपने जिले के सामाजिक कार्यों में खर्च करने के साथ साथ आगे बढ़ कर उसे सफ़ल बनाने में अहम भूमिका भी निभाते हैं,अब अपने गृह जिले में शादी आयोजन की बात करें तो पिछले साल 151 बेटियों की सामूहिक शादी को सफ़ल बनाने वाले विकास माली द्वारा आगामी 19 फरवरी को 251 बेटियों की सामूहिक शादी का आयोजन किया जा रहा है,जिसे ले कर दानरो नदी में तैयारी की जा रही है,तो आइए जहां एक ओर इस पुनीत अभियान के साक्षी बनें वहीं दूसरी ओर सहयोग रूपी सहयोगी बन इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाएं।