दर्द का अहसास नेता को नहीं,बेटा को ही होता है: मंत्री


आशुतोष रंजन
गढ़वा

हमरा नज़दीक जाए द,हमरा कुछु काम नईखे,खाली देखेला बा,देख लेब त हमार मन भर जाई,ये शब्द उस बूढ़ी मां के हैं जो आज एक कार्यक्रम के दौरान गढ़वा विधायक सह राज्य के मंत्री मिथिलेश ठाकुर से मिलने के ख़्याल से भीड़ से आगे जाने को ले कर लोगों से बोल रही थीं,उन पर मंत्री के अंगरक्षकों की नज़र पड़ती है,और उन्हें वो मंत्री के क़रीब ले जाते हैं,फिर वहां क्या हुआ,आइए आपको बताते हैं।

जब बूढ़ी मां ने बेटा कह कर पुकारा: – जैसे ही वो मंत्री के पास पहुंची मानो ऐसा अहसास हुआ जैसे की उन्हें वो बहुमूल्य चीज मिल गया जिसकी चाह अरसे से थी,एकाएक उनकी आवाज़ भर्रा गई और उस भर्राते आवाज़ के साथ उन्होंने जैसे ही मंत्री को बेटा कह कर पुकारा,मंत्री भी भावुक हो गए,कुछ देर के लिए भीड़ में सन्नाटा छा गया,सभी मंत्री और बूढ़ी मां को देखने लगे,फिर ख़ुद को संभालते हुए मंत्री ने पूछा की बताइए मां कैसे आना हुआ,बूढ़ी मां ने जो कहा उसे सुन कर जहां एक ओर मंत्री के आंखों से आंसू छलक पड़े तो वहीं मौजूद सबकी आंखें भर आईं,उनके द्वारा कहा गया की एहिजा लोग कुछ न कुछ काम खातिर आईल बड़े बेटा,लेकिन हमरा कोई काम ना बा,हम काम ले के नईखी आईल,हमरा त कहिया से तोहरा देखे के आऊ मिले के मन में ललसा लागल रहे,रोज़ सबका से पुछत रहती की कहिया हमर मंत्री बेटा आई,हमरा मिले के बा,लोग पुछ्त भी रहे की सब कोई नेता कहेला,तू बेटा काहे कहेलू,हम ईहे ज़वाब देत रही बाबू की,नेता इनका से पहिले वाला लोग रहन,काहे की एगो पेंशन खातिर दऊड़त दउड़त देंह थक गईल लेकिन नाही मीलल,ऊ अब जा के मिलल,बस ईहे से हम मंत्री बेटा कहिला,तू बतावा बाबू हम का गलती कहीला।

दर्द बेटा को ही होता है: – मंत्री ने भी कहा की एकदम कोई गलत बात नहीं है माता जी,हम आपके बेटा हैं ही,उस समय भी जब हम आपके बीच आया करते थे तो गांव के साथ साथ आपलोगों का बेहाल हाल देख कर भावुक हो जाया करते थे,अपनों का दर्द और पीड़ा देख कोई बाहरी व्यक्ति नहीं यानी किसी नेता को नहीं बल्कि एक बेटे को ही तकलीफ़ होती है,आपको बताएं की आपके साथ साथ मैं भी उस असहनीय पीड़ा को दिली शिद्दत से महसूस करता था,तभी तो जिस तरह घर में एक बेटा अपने मां बाप का कष्ट दूर करते हुए पुत्रधर्म का पालन करता है ठीक उसी तरह ख़ुद को इस क्षेत्र का और आप सबों का बेटा मान परेशानी दूर करने का संकल्प लिया,विधायक निर्वाचित होने और मंत्री बनने के बाद से सभी समस्या के समाधान के बावत जुट गया,मुझे ख़ुद से बताने की ज़रूरत नहीं है,आपका इस तरह मिलना और मुझे बेटा कह कर पुकारना यह साबित कर रहा है की मैं बेटा होने का फ़र्ज़ बखूबी निभा रहा हूं,इतना के बाद भी मेरा मन अभी भरा नहीं है,मुझे अभी बहुत कुछ करना बाक़ी है।