आख़िर गढ़वा में क्यों भाजपा छोड़ रहे हैं लोग…?
आशुतोष रंजन
गढ़वा
बहुत ही पुरानी एक प्रचलित पंक्ति है कि हम तो अकेले ही चले हैं जानिबे मंज़िल,लोग मिलते जा रहे हैं और कारवां बनता जा रहा है,उक्त पंक्ति गढ़वा विधायक सह राज्य के मंत्री मिथिलेश ठाकुर के ऊपर सटीक चरितार्थ होता दिख रहा है,क्योंकि आज से लगभग सत्रह साल पहले जब वो केवल राजनीति नहीं बल्कि उनके अनुसार अनगढ़ गढ़वा को नए स्वरूप में गढ़ने के ख़्याल से जब वो यहां आए तो अकेले थे,उन्होंने संघर्ष शुरू किया,धीरे धीरे लोग उनसे जुड़ते गए और कारवां बनता गया,वो लोगों को समझते थे,लोग उन्हें समझते थे पर उसके बाद भी समझना और समझना कारगर नहीं हुआ और उन्हें दो बार हार का सामना करना पड़ा लेकिन उसके बाद लोगों ने उन्हें इस लिहाज़ से समझा कि यही वो व्यक्ति है जिसके द्वारा क्षेत्र के हालात में बदलाव लाने के साथ साथ हमारे मुरझाए चेहरों पर ख़ुशी ला सकता है,इसी सोच को दिल में आत्मसात करते हुए लोगों ने उन्हें अपना जनप्रतिनिधि चुन लिया,फ़िर क्या था विधायक के साथ साथ मंत्री भी बन जाने वाले मिथिलेश ठाकुर द्वारा अपने चुनावी वायदा नहीं बल्कि संकल्प को पूरा करते हुए अनगढ़ गढ़वा को गढ़ना शुरू कर दिया गया,गुज़रे 2019 से शुरू हुआ अभियान अब तलक अनवरत जारी है,हमने इतना तो बताया लेकिन मुझे तो कारवां के बारे में बात करना है तो आपको बताऊं कि जहां एक ओर उनके द्वारा गढ़वा विधानसभा क्षेत्र में विकासीय अभियान चलाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर उनसे जुड़ने वालों का सिलसिला पिछले सत्रह सालों से लगातार जारी है,तब इक्का दुक्का लोग जुड़ा करते थे फ़िर संख्या दर्ज़नो में पहुंची और अब तो एक साथ एक से ले कर पांच सैकड़ा से भी ज्यादा लोग शामिल हो रहे हैं,ऐसे तो नेताओं के साथ लोगों के साथ जुड़ना और अलगाव होने का सिलसिला तो चलता रहता है लेकिन राजनीतिक गलियारे में यह भी कहा जाता है कि चुनाव के वक्त पद पर काबिज़ जनप्रतिनिधि से लोगों का जुड़ाव कम और दुराव ज़्यादा होता है लेकिन यह बात मिथिलेश ठाकुर पर लागू नहीं होता है क्योंकि उनसे लोगों का दुराव कम और जुड़ाव ज़्यादा हो रहा है,ऐसे तो मंत्री पूरे राज्य के मंत्री होने के बावजूद अपने विधानसभा क्षेत्र में सबसे ज़्यादा वक्त देने वाले वो अगर रांची में भी होते हैं तो उनसे जुड़ने वाले लोग वहां भी पहुंच पार्टी की सदस्यता हासिल करते हैं,और अगर गढ़वा में होते हैं तो शामिल होने वालों की संख्या सैकड़ा और पांच सैकड़ा तक पहुंच जाती है,जिन्हें मंत्री द्वारा माला और पार्टी के प्रतीक चिन्ह वाला पट्टा पहना और मिठाई खिलाते हुए जेएमएम की सदस्यता दिलाई जाती है,इधर कई रोज़ से मंत्री गढ़वा में हैं जहां उनके द्वारा क्षेत्र में संवाद कार्यक्रम चलाया जा रहा है जिसके ज़रिए वो जनता से सीधे रूप में रूबरू हो रहे हैं,इधर क्षेत्र में निकलने से पहले हर रोज़ उनके आवास पर लोग पहुंच रहे हैं और भाजपा के साथ साथ कई और दूसरी पार्टियों को छोड़ जेएमएम में शामिल हो रहे हैं,अब आज की बात करें तो फ़रठिया पंचायत के कई लोग भाजपा सहित कई राजनीतिक दलों को छोड़ जेएमएम में शामिल हो गए,जिनका माला और पार्टी के प्रतीक चिन्ह वाला पट्टा पहनाते हुए एवं मिठाई खिला कर स्वागत किया गया,उक्त मौक़े पर लोगों ने कहा कि उन्हें ना तो बरगलाया और समझाया गया है और ना ही किसी तरह का प्रलोभन दिया गया है,वो आज इसलिए जेएमएम के हो गए क्योंकि उनके जो दुर्दिन हालात थे उसे एक संकल्प के रूप में मंत्री द्वारा पूरा किया गया साथ ही जिस तरह युद्ध स्तर पर उनके द्वारा क्षेत्र का विकास किया जा रहा है वो अपने आप में एक नायाब उदाहरण है,साथ ही लोगों ने कहा कि ऐसे तो हर किसी को इनके विकासीय कार्य का इल्म है,लेकिन फिर भी हम सभी अपने पंचायत में ही नहीं बल्कि क्षेत्र के अन्य गांव में भी जा कर लोगों को इनके द्वारा और सरकार द्वारा किए गए और किए जा रहे विकासीय कार्यों की जानकारी देते हुए उनके मन में मिथिलेश ठाकुर का नाम पेवस्त करा देंगे ताकि आने वाले चुनाव में एक बार फ़िर से यही हम सबों के विधायक बने जिससे जो काम बाक़ी रह जायेगा वो पूरा होने के साथ साथ गढ़वा विधानसभा क्षेत्र को पूर्ण स्वरूप में गढ़ने का इनका दिली ख़्वाब भी हक़ीक़त में परिणत हो जायेगा।